17-Nov-2015 08:51 AM
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क्रिकेट के इस दीवाने देश में इनदिनों फुटबाल का धमाल लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। दरअसल, इंडियन सुपर लीग के पहले संस्करण की सफलता के बाद देश में आईएसएल-2 का आगाज 4 अक्टूबर से हो गया है और 20 दिसंबर तक

चलने वाले इस टूर्नामेंट में देशी खिलाडिय़ों के साथ कई विदेशी खिलाड़ी लोगों का भरपूर मनोरंजन कर रहे हैं। आईएसएल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भारतीय खेलों में स्टार क्रिकेटर और फिल्म सितारे फुटबाल की सनसनी पैदा कर रहे हैं। हालांकि ये केवल सनसनी नहीं होगी बल्कि देश में फुटबाल को गंभीरता से लोकप्रिय बनाने की कोशिश है। रिलांयस द्वारा प्रवर्तित फुटबाल की इंडियन सुपर लीग की आठ में छह फ्रेंचाइजी स्टार क्रिकेटरों और फिल्म सितारों ने खरीदी हैं। इस लीग के पीछे यूरोपीय फुटबाल एक्सपर्ट, रिलायंस और आल इंडिया फुटबाल फेडरेशन शामिल हैं। भारतीय फुटबाल जगत में अचानक यूरोपीय क्लबों की दिलचस्पी लेना, यूरोपीय क्लबों का भारत में फुटबाल एकेडमी खोलना कोई अचानक नहीं हुआ बल्कि ये सब एक रणनीति के तहत हुआ। सौ करोड़ से ज्यादा जनसंख्या वाले भारत में फुटबाल प्रतिभाओं की कमी होगी, ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। मौसम, कद काठी और सामाजिक स्थितियों में भारत लातीन अमेरिकी देशों से अलग हो, ऐसा भी नहीं लगता। भारत और लातीनी अमेरिकी देशों की आर्थिक संरचना और जीवनयापन में बहुत अंतर नहीं है। अगर वहां से गलियों और स्लम्स से निकले फुटबाल सितारे दुनिया पर परचम लहरा सकते हैं तो अपने यहां क्यों नहीं। कहा जाता है कि फुटबाल ही एकमात्र ऐसा खेल है जो नैसर्गिक तौर पर हमेशा से मानव के करीब रहा है। आप गरीब बस्ती में रहते हैं तो पुराने और खराब कपड़ों से गेंद बनाइये और खेलना शुरू कर दीजिए, जैसा आमतौर पर ब्राजील, अर्जेटीना और अफ्रीकी देशों में होता है। ये ऐसा खेल भी है जो किसी को भी खुद से सबसे आसानी से जोड़ता है। आपको नियमों की जानकारी हो या नहीं हो लेकिन अगर आपने एक बार इस खेल को टीवी पर देखना शुरू किया तो आपके इसके रोमांच से खुद को जुड़ा हुआ ही पाएंगे। ऐसा शायद किसी खेल में नहीं है।
भारत के पूर्वोत्तर हिस्सों, केरल और गोवा में खूब फुटबाल खेली जाती है। लेकिन इस देश दुनिया के फुटबाल मानचित्र में बहुत नीचे है। इस पर दुनिया के लोग हैरान भी होते हैं कि इतनी बड़ी जनसंख्या वाला देश फुटबाल में इतना पीछे क्यों है। हालांकि सब ये भी मानते हैं कि अगर कोशिश की जाए तो भारत में जबरदस्त तरीके से फुटबाल प्रतिभाओं को सामने लाकर तराशा जा सकता है। अब तक वाकई ऐसी कोशिश हुई नहीं कि फुटबाल को देश के आमजनों से जोड़ा जा सके। अब इंडियन सुपर लीग के माध्यम से ये कोशिश हुई है। जिस तरह से इसमें सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, जान अब्राहम, सलमान खान और रणवीर कपूर ने दिलचस्पी दिखाते हुए टीमें खरीदी हैं और जिस तरह से रिलायंस जैसा बड़ा कारपोरेट ग्रुप इसके पीछे खड़ा है, उससे ये तय है कि बहुत जल्दी ही फुटबाल की इंडियन सुपर लीग विश्वभर में बिल्कुल उसी तरह लोकप्रिय होने वाली है, जिस तरह क्रिकेट की इंडियन प्रीमियर लीग यानि आईपीएल है। बेशक आईपीएल की देखादेखी में देश में खेलों में लीग की नई बहार सामने आई है। चूंकि आईएसएल के मॉडल को आईपीएल की तरह ही कामर्शियल तौर पर जोड़ा गया है, लिहाजा माना जाना चाहिए कि इसे खेल की लोकप्रियता बढ़ाने के साथ सफलता की कहानी भी लिखना चाहिए। चूंकि आईएसएल में भी पैसा फ्रेंचाइजी, ब्राडकास्टिंग राइट्स, लोगो राइट्स और स्पांसरशिप से आता है और बड़े कारपोरेट इसके लिए तैयार बैठे हैं, इसलिए इस लीग में भी मोटा पैसा आ रहा है। इंटरनेशनल मैनजमेंट ग्रुप-रिलायंस ने इस लीग में 700 करोड़ रुपए के आसपास का निवेश किया है। करीब 15 सालों तक इस लीग पर उनका अधिकार होगा। इससे केवल देश में फुटबाल का पूरा परिदृश्य ही आमूलचूल तौर पर बदल जाएगा और देश फुटबाल की नई ताकत के तौर पर उभर कर सामने आ पाएगा बल्कि देश में खेल इंडस्ट्री के विकास को समानांतर पर बढ़ावा मिलता रहेगा, ये अपने साथ खेल इंडस्ट्री से जुड़े तमाम दूसरे आयामों को भी समृद्ध करेगा। जहां इससे देश में फुटबाल की नई तकनीक, तौर तरीकों और विदेशी कोचों के साथ बड़े विदेशी खिलाडिय़ों के साथ देशी प्रतिभाओं को खेलने और सीखने का मौका मिल रहा है बल्कि सही मायनों में देश उस खेल से जुड़ रहा है, जिसे दुनिया का सबसे मेगा ग्लोबल खेल माना जाता है। दुनिया के 200 से ज्यादा देश इसे खेलते हैं। सबसे ज्यादा पैसे का बहाव इस खेल में होता है। कई मायनों में अपने बजट और कुल पैसे के बहाव में ये दुनिया के किसी भी खेल को मात करता है।
-आशीष नेमा