17-Nov-2015 08:42 AM
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केन्द्र में पूववर्ती यूपीए सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की आग में तपकर निकली आम आदमी की पार्टी से लोगों को बहुत अपेक्षाएं थी,लेकिन समय के साथ-साथ आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों की कार्यप्रणाली ने

सबको हैरत में डाल दिया है। आलम यह है कि अब लोगों को आप पार्टी के हर कदम में पाप दिखने लगा है। इसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है। उधर आलम यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल केन्द्र सरकार हो या दिल्ली के उप राज्यपाल नजीर जंग इनके हर कदम में केजरीवाल खोट निकालते फिर रहे हैं। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि दिल्ली में विकास कार्य लगभग रुके पड़े हैं और राजनेता टकराव की मुद्रा में नजर आ रहा हैं। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ज्यूडिशियल एक्टिविज्म में भी पेंच फंसाकर केन्द्र सरकार को सकते में डाल दिया है। केन्द्र और राज्य सरकार के बीच मची इस जंग में जनता को कोई फायदा होता नजर नहीं आ रहा है, लेकिन इस जंग से दिल्ली की जनता पिस जरूर रही है। हाल-फिलहाल दिल्ली की जनता को इस जंग से निजात मिलती नजर नहीं आ रही है।
दिल्ली में जारी जंग को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक नई मुहिम के साथ जोड़ दिया है। अच्छी बात ये है कि ये मुहिम लोगों को जल्द इंसाफ दिलाने से जुड़ी है। क्या दिल्ली की जंग कभी खत्म हो सकती है? नामुमकिन तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर है। दिल्ली में जारी जंग को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक नई मुहिम के साथ जोड़ दिया है। अच्छी बात ये है कि ये मुहिम लोगों को जल्द इंसाफ दिलाने से जुड़ी है। ऐसे में जबकि जजों की नियुक्ति के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट और सरकार में तनातनी चल रही है, केजरीवाल ने न्यायपालिका और केंद्र सरकार के सामने एक नया प्रस्ताव रखा है।
केजरीवाल का प्रस्ताव
एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, चीफ जस्टिस एचएल दत्तू और दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग की मौजूदगी में केजरीवाल ने ये प्रस्ताव रखा। केजरीवाल दिल्ली को एक ऐसा आदर्श राज्य बनाना चाहते हैं, जहां की अदालतें छह महीने में मुकदमों का निपटारा कर सकें। ये मामले दीवानी के भी हो सकते हैं और फौजदारी के भी। अपनी ओर से केजरीवाल ने भरोसा दिलाया कि अगर ऐसा होता है तो दिल्ली सरकार अपनी ओर से सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराएगी। केजरीवाल के मुताबिक इसे एक प्रयोग के तौर पर शुरू किया जा सकता है - और सफलता मिलने पर दूसरे राज्यों में भी लागू किया जा सकता है। केजरीवाल ने इसमें केंद्र सरकार और न्यायपालिका से सहयोग की अपील की है। त्वरित न्याय के साथ ही केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा पर भी खास सक्रियता दिखाई है। केजरीवाल ने कानून मंत्री मनीष सिसोदिया की अगुवाई में एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर का गठन किया है। ये ग्रुप सरकार को सुझाव देगा कि रेप के मामलों को जल्द से जल्द कैसे निपटाया जा सकता है? रेप के कौन से मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में डाले जाने चाहिए?
महिला सुरक्षा पर एक जांच कमीशन बनाने की तैयारी है। साथ ही ग्रुप ऑफ मिनिस्टर इस बात की भी जांच करेगा कि अगर कोई पीडि़त महिला पुलिस एक्शन को संतोषजनक नहीं मानती तो उसके लिए विशेष इंतजाम किए जाएं जहां वो अपनी शिकायत दर्ज करा सके। दिल्ली में जहां कहीं भी अंधेरी जगह है, वहां जल्दं से जल्द से लाइट की व्यवस्था की जाएगी। लोगों को त्वरित न्याय दिलाने के मकसद से फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए गए, फिर भी देश की अदालतों में करोड़ों मामले लंबित हैं। इस तरह सुप्रीम कोर्ट में 60 हजार से ज्यादा जबकि उच्च न्यायालयों में 40 लाख केस पेंडिंग हैं। जिला और सत्र न्यायालयों की तो हालत और भी खराब है जहां 2.6 करोड़ मामलों में फैसले का इंतजार है - और ऐसे में केजरीवाल का प्रस्ताव आम लोगों के लिए काफी मददगार हो सकता है। केजरीवाल की राय में इंसाफ में देरी की सबसे बड़ी वजह राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी है। केजरीवाल का कहना है कि उनके पास राजनीतिक इच्छाशक्ति पूरी है। आइडिया तो अच्छा है, मगर एक राजनीतिक लोचा इसमें भी है। इस आइडिया पर भी अमल तभी हो सकता है जब केंद्र सरकार भी दिल्ली सरकार के साथ सहयोग करे। केजरीवाल ने एक बार फिर नई पहल के साथ गेंद केंद्र के पाले में डाल दी है। अगर मिशन अधूरा रहा तो जिम्मेदार केंद्र सरकार होगी। फिर तो दिल्ली की जंग शायद ही कभी खत्म हो पाए। केजरीवाल के इस ज्युडिशियल एक्टिविज्म में सबसे बड़ा पेंच यही है।
द्यरेणु आगाल