खानÓ दान का सच: सेठी को दे दी 150 खाने
02-Nov-2015 09:22 AM 1234899

राजस्थान में 45 हजार करोड़ के खनन घोटाले के सामने आने के बाद सरकार ने 601 खानों का आवंटन निरस्त तो कर दिया है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या प्रदेश में खान माफिया और अफसरों के गठजोड़ का कोई तोड़ है सरकार क पास शायद नहीं? अगर होता तो प्रदेश में इतना बड़ा घोटाला नहीं हो पाता।  निलंबित आईएएस अशोक सिंघवी और खान रिश्वतखोरी कांड में गिरफ्तार संजय सेठी के बीच गठजोड़ का जांच में एक और खुलासा हुआ है। रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया है कि प्रदेश सरकार ने जिन 601 खानों को निरस्त किया है, उनमें से 150 से अधिक खानें अकेले संजय सेठी, उसके रिश्तेदारों और करीबियों को आवंटित की गई थीं। ये खानें भीलवाड़ा, जैसलमेर और उदयपुर में अलग-अलग कंपनियों और नामों से आवंटित की गई। संजय सेठी ने अलग-अलग नाम पर कंपनियां तो बना ली, लेकिन ज्यादातर कंपनियों का पता उदयपुर का दिया। सेठी के एक करीबी रिश्तेदार के नाम पर भीलवाड़ा के पते पर भी कंपनियां बनाई गईं। इसके अलाव उसने अन्य कइयों को पार्टनर दिखाकर भी कंपनियां बनाई, जिनके नाम खानों का आवंटन करवाया गया। ये सभी आवंटन एक नवंबर 2014 से 12 जनवरी 2015 के बीच हुए।
राज्य में लागू करनी बाकी चल रही नई माइनर मिनरल खनन नीति 2015 के प्रावधानों में विशेषज्ञों की राय लेने में ही सरकार उलझी हुई है। दरअसल, नई खनन नीति में हाल ही खान महा घूसकांड में जेल गए निलंबित आईएएस अशोक सिंघवी ने प्रमुख शासन सचिव रहते ऐसे प्रावधान भी जोड़ दिए थे, जिनको लागू करने से पहले सरकार उनको ठोक बजाकर देख रही है। हालांकि अंदर ही अंदर कुछ प्रावधानों का उच्च स्तर पर विरोध हो रहा है। नई खनन नीति में मुख्य रूप से लीज ट्रंासफर को मुक्त कर देने का प्रावधान रखा गया है, जो अब तक लागू की गई किसी भी खनन नीति में शामिल नहीं हो सका था। इसका विरोध किया जा रहा है कि इससे माफियाराज बढ़ेगा। यही नहीं, बजरी का पांच वर्षों की अवधि का दिया गया ठेका बढ़ाकर 10 वर्ष करने की भी तैयारी है, जबकि पांच वर्ष की अवधि के ठेके के लिए ठेकेदारों ने लाखों रुपए की बोली लगाकर ठेके उठाए हैं। इसे 10 वर्ष की अवधि तक कर दिया जाएगा तो केवल नवीनीकरण होगा, जिससे ओपन मार्केट में नए आवेदक को नहीं आने पर प्रतिस्पद्र्धा नहीं हो सकेगी तथा सरकार को नए ठेके के पेटे फिर से लाखों रुपए का राजस्व नहीं मिल सकेगा। केवल नवीनीकरण पर मामूली राजस्व मिल सकेगा। यह मंथन फिलहाल वित्त विभाग के स्तर पर चल रहा है। रिसर्जेंट राजस्थान से पहले खनन नीति लागू करने की सरकार युद्धस्तर पर मंथन करवा रही है। इसमें विशेषज्ञों ने इन प्रावधानों का विरोध किया है। नई नीति के ड्राफ्ट में लीज अवधि 50 वर्ष के बाद 20 वर्ष और फिर 20 वर्ष कुल 90 वर्ष की अवधि लागू करने का भी बड़ा महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़ा गया है।
इस पर भी विशेषज्ञ विरोध कर रहे हैं कि एक ही परिवार या आवेदक के पास 90 वर्षों तक खान को रखना व्यावहारिक तौर पर सही नहीं माना जा रहा है। खानों को एएमई और एमई के स्तर पर बंद करा देने और फिर चालू कर देने की शक्तियों का प्रावधान रखने के पीछे विशेषज्ञों का कहना है कि हाल ही खान महा घूसकांड भी इसी शक्ति की उपज रहा है। ऐसे में विभाग में पारदर्शिता टिका पाना मुश्किल होगा।

मौजूदा नियम को भी किया था किनारे
कमेटी की जांच रिपोर्ट के अनुसार खान विभाग की ओर से मंशा पत्र जारी ही नहीं किए जा सकते थे। क्योंकि, जिस समय मंशा पत्र जारी किए गए उस समय खान आवंटन के लिए केवल दो ही विकल्प थे। पहला खान आवंटन नीलामी के जरिए किया जाए, जिसके लिए केंद्र ने कहा था। दूसरा लाटरी के माध्यम से। इसके तहत पहले आवंटन किया जाता रहा। इन दोनों को ही खारिज करके पहले आओ पहले पाओ के आधार पर खानों का आवंटन किया गया। इस नीति का आखिरी समय में आवेदन करने वालों को भी खानें आवंटित करके उल्लंघन किया गया।
जैसलमेर में सबसे अधिक खानें
जिन 653 खानों को लेकर विवाद चल रहा है, उनमें सबसे अधिक 250 खदानें जैसलमेर में आवंटित की गई थी। इसके अलावा भीलवाड़ा में 115, अजमेर में 50, अमेट में 41, उदयपुर में 38, राजसमंद में 32, बीकानेर में 24, चित्तौरगढ़ में 21, बाड़मेर में 20, करौली में 18, सिरोही में 13, पाली में 11, जालौर में पांच, प्रतापगढ़ में चार, नागौर, जयपुर में तीन-तीन, अलवर में दो और भरतपुर, कोटा, सीकर में एक-एक खदान आवंटित की गई।
1 कंपनी, 1 व्यक्ति को कई खानें आवंटित
जयकृष्णा मिनरल -14, आरबीआई एंड एस ट्रैडस- 12, जय करणी अर्थ मिनरल -6, मैसर्स सिस्मेटिक्स - 6, बालाजी - 5, किस्टोन - 4, शुभम माइंस एंड मिनरल - 4, संपत्ति अर्थ माइनिंग - 3, संपन्न अर्थ माइनिंग - 3, आनंद बख्शी- 3, मारवोल्स -3, रतन लाल खटीक -3, स्नेह माइंस एंड मिनरल -3, मारबल एक्सपोर्ट - 3, भेरू सिंह सिसोदिया -3, आरके मारबल -2,लक्ष्मी मिनरल- 2, वेद स्टोन प्रा लि - 2, स्वाति एग्रो फर्म - 2, संपत्ति क्लेज प्रा लि - 2, देव नारायण मिनरल - 2, घनश्याम - 2, विष्णु प्रकाश- 2, सोनिया- 2, सचेती मिनरल्स -2, स्नेह मिनकेम - 2
अफसर जवाब देने को नहीं थे तैयार
मामला खुलने के बाद जिन खनन पट्टों को सिंघवी के कार्यकाल में आवंटित किया गया था उसके संबंध में प्रदेश सरकार और निदेशालय का कोई भी अफसर केंद्र सरकार की ओर से पूछे गए सवालों का जवाब देने को तैयार नहीं था। हाल ही में केंद्र सरकार ने श्री सीमेंट और लाफार्ज को लेकर आपत्ति की थी, लेकिन उसका जवाब नहीं भेजा जा रहा था।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी

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