02-Nov-2015 09:09 AM
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सपनों के शहर मुंबई में बॉलीवुड की चकाचौंध के साथ-साथ अब डांस बारों में खनखनाहट भी सुनाई देगी। मुंबई की रातें अब फिर से गुलजार होगी। डांस बारों के फिर से खुलने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में

महाराष्ट्र में डांस बार पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है। अब राज्य सरकार डांस बार खोले जाने पर क्या कदम उठाती है यह देखना रोचक होगा। लेकिन इतना तो तय है कि अगर मुंबई में फिर से डांस बार शुरु होते हैं तो मुंबई की नाइट लाइफ की रौनक कुछ अलग होगी। 10 सालों से बॉम्बे पुलिस एक्ट की बदौलत मुंबई में डांस बारों पर पाबंदी लगी हुई थी।
मुंबई की नाइट लाइफ यानी रात की जिंदगी अब वापस आ रही है। नाइट लाइफ में पब, रेस्त्रां, होटल और डांस बार आते है। डांस बार का मतलब होता है ऐसा हॉल जहां तेज आवाज में बॉलीवुड गानों पर कुछ लड़कियां डांस करती हैं। ग्राहक उन लड़कियों पर नोट उड़ाते है और उनके साथ डांस करने से भी नहीं चूकते। इसके साथ ही कुछ डांसर्स ग्राहकों के गिलास में बीयर और शराब डालती रहती हैं। यानी शराब और शबाब का संगम होते हैं ये डांस बार। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा डांस बार पर लगाए गए प्रतिबंध पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने डांस बारों को हरी झंडी इस शर्त के साथ दिखाई है कि डांस अश्लील और फूहड़ नहीं होने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के डांस बार पर रोक लगाने वाले 2014 के फैसले को रोक दिया है।
देश में डांस बार सबसे पहले महाराष्ट्र में ही चलन में आए और फिर देश के बाकी शहरों में फैले। केवल मुंबई में ही 700 डांस बार थे। मुंबई की नाइट लाइफ की तो खास पहचान हुआ करते थे ये डांस बार। लेकिन तत्कालीन गृहमंत्री आरआर पाटील ने डांस बारों पर रोक लगा दी। पाटील के गांव के कुछ लोगों को डांस बार का जबरदस्त चस्का लग गया था और इसमें वे अपनी सारी कमाई गंवा बैठे थे। इसके बाद उनके परिवार की औरतें मुंबई पहुंची और उनको अपना दुखड़ा सुनाया। इसके बाद पाटील ने मुंबई के डांस बारों पर बैन लगा दिया। पाटील के नैतिकतावादी स्टैंड के खिलाफ किसी ने खुलकर विरोध नहीं किया। पाटील ने डांस बारों पर रोक लगाते समय यह भी वजह बताई थी कि ये अपराधियों का शरणस्थल बन गए हैं। इसके साथ ही डांस बारों पर अश्लीलता का भी आरोप लगा था। मुंबई और ठाणे में कुल मिलाकर 550 बार है। कोर्ट के आदेश के बाद 75 हजार बार गल्र्स को इसमें काम मिल सकेगा। दरअसल जो लड़कियां डांस बार के अंदर बॉलीवुड गानों पर थिरकती है वो रास्ता उन्होंने अपनी मर्जी से नहीं चुना होता है, बल्कि हमारे समाज द्वारा ही वह उस अंधेरे कोने में धकेली गई होती है। कोई लड़की अपनी बीमार मां और परिवार का खर्च उठाने के लिए यह काम कर रही है तो कोई अपने बच्चों के दूध रोटी के इंतजाम के लिए। कई लड़कियों का यह आजीविका साधन है और डांस बार बंद होने से उनकी आजीविका के साधन भी बंद हो जाते है। ऐसे में डांस बार के बंद होने की वजह से ये वेश्यावृति में धकेल दी गई है। सरकार इन्हें अश्लीलता का प्रतीक बनने को मजबूर नहीं होने दे सकती और न ही इनकी आजीविका छीन सकती है।
मुंबई डांस बार एसोसिएशन के प्रवक्ता मंजीत सिंह ने बताया कि हम इसे एक बड़ी जीत मानते हैं। मुंबई से नाईटलाईफ एक तरीके से खत्म हो गई थी और जो महिला डांसर थीं वो घर चलाने के लिए देह व्यापार को चुनने को मजबूर हो गईं थीं। हमारा व्यापार भी अब काफी अच्छी तरह से चल सकेगा। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। 30 साल की आरती ने बताया कि हम इतने सालों से बेरोजगार हैं लेकिन कोई हमारी मदद के लिए नहीं आया। मैं 30 साल की उम्र में मजदूरी करती हूं, मेरी साथी सहेलियों को शरीर बेचना पड़ा। जो लोग हमपर अश्लीलता का आरोप लगा रहे हैं मेरा उनसे सवाल हैं कि क्या साड़ी पहन कर नाचना बुरा है? फिर तो राजस्थानी डांसर भी अश्लील हैं? आरती कहती हैं, हमारे बच्चे जब भूख से बिलखेंगे तो हमें किसी के साथ सोना भी पड़ेगा हम सोएंगे, हमारे बच्चे हॉस्टलों में रह कर पढ़ते थे आज वो नगरपालिका के स्कूलों में पढ़ रहे हैं। वो नाराजगी जताते हुए आगे कहती हैं, किसी ने हमें काम नहीं दिया, किसी ने हमारा हाथ नहीं पकड़ा, बॉलीवुड में हमें काम देने की बात कर रहे थे लेकिन सच में क्या हुआ, सबको मालूम है... और आज कोर्ट ने हमारा साथ दिया है तो आप हमारा विरोध कर रहे हैं। मुंबई में अन्य प्रदेशों से आने वाले लोगों के कारण डांसबारों में भीड़-भाड़ होती है। लोकल लोगों के बजाए डांसबार में जाम छलकाने के लिये बाहरी लोगों का जमावड़ा ज्यादा होता है। शराब और शबाब की ताल पर इन बारों में मार्केट से तीन गुने ज्यादा रेट पर शराब और खाना परोसा जाता है जिसे शराब के नशे में झूमते लोग खूब स्वाद के साथ पचा जाते हैं और डांस बार वाले नए नोटों की गड्डियां बटोर कर निहाल हो जाते हैं। आर.आर. पाटील ने डांस बार के नाम पर बढ़ते देह व्यापार को देखते हुये इस कारोबार पर रोक लगाई थी क्योंकि इनमें डांस बालाओं पर लुटाए जाने वाला पैसा उनके पैरों के नीचे कुचला जाता था जो भारतीय मुद्रा का अपमान था।
-मुंबई से ऋतेन्द्र माथुर