02-Nov-2015 09:28 AM
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अक्टूबर 2014 में इंदौर में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान अनिल अंबानी-रिलायंस एडीजी ग्रुप ने सीमेंट, कोल, पॉवर और टेलीकॉम प्रोजेक्ट में 60 हजार करोड़ के निवेश की घोषणा की थी। लेकिन वे घोषणाएं अभी फाइल

में ही कैद हैं कि 22 अक्टूबर को अनिल अंबानी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर प्रदेश सरकार को फिर से 46 हजार करोड़ रुपए के निवेश का सपना दिखा दिया है। जिस तरह अनिल अंबानी ने अपने इस निवेश में रूचि दिखाई है उससे प्रदेश के औद्योगिक घराने उनकी नियत को संदेह की नजरों से देख रहे हैं। उनका कहना है कि पहले समूह ने धीरूबाई अंबानी विश्वद्यिाालयी के लिए भोपाल के अचारपुरा में जमीन ली थी। फिर इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिए। आखिर अंबानी को मप्र में अब ऐसी क्या संभावना दिख रही है जिससे वे यहां निवेश के लिए इतने तत्पर हैं।
जब इस संदर्भ में अनिल अंबानी-रिलायंस एडीजी ग्रुप के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट शेखर सिंह से बात की गई तो उन्होंने पहले कहा कि आप लिखित में सवाल ईमेल कर दें मैं जवाब दे दूंगा, फिर बोले आप मेरे ऑफिस आ जाइए मैं वहां जवाब दूंगा। फिर उन्होंने कहा कि रिलायंस ग्रुप की तरफ से अभी कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है। सरकार ने अपनी तरफ से विज्ञप्ति जारी की है। ग्रुप के चेयरमैन और मुख्यमंत्री के बीच इस संदर्भ में बात हुई है। जब उनसे तर्क-वितर्क कर पूछा गया तो उन्होंने सवाल सुनने से पहले ही कह दिया कि मैं इस संदर्भ में कुछ भी जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं हूं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जवाबदार है कौन? जो व्यक्ति रिलायंस समूह के नाम पर मंत्रालय के जवाबदार अधिकारियों के पास समूह के लिए कार्य करता है अगर वह अधिकृत नहीं है तो फिर कौन है? सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर क्या वजह है कि सरकार को ऐसी विज्ञप्ति जारी करनी पड़ी जिसके लिए कम्पनी के जिम्मेदार अधिकारी मुकर रहे हैं या फिर रिलायंस समूह द्वारा सरकार को मूर्ख बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
जब शेखर सिंह से पूछा गया कि क्या समूह ने पीथमपुर में एसईजेड में जमीन मांगी है तो उन्होंने कहा हां मांगी है लेकिन अभी तक मिली नहीं है। इस दौरान वे इस बात को बार-बार दोहराते रहे कि मैं जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं हूं। जब उनसे पूछा गया कि हमारे सवालों का जवाब कौन देगा तो उन्होंने कहा आप मुंबई ईमेल भेज दो। इस पर उनसे पूछा गया कि वहां ईमेल भेजने पर सवाल का जवाब मिल जाएगा तो उनका कहना था कि मैं यह नहीं बता सकता। क्योंकि उनकी कार्यप्रणाली के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। और अंत में यह कहकर फोन रख दिया कि आप ईमेल भेज दो जवाब तो वहीं से मिलेगा। जबकि प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में रिलायंस समूह की तरफ से शेखर सिंह ही प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन जब किसी मामले में उनसे सवाल-जवाब किया जाता है तो वे जवाब देने से मुकर जाते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अनिल अंबानी को मुख्यमंत्री से मिलवाने शेखर सिंह ही लाए थे। समझ में यह नहीं आ रहा कि एक तरफ प्रदेश के प्रमुख सचिव उद्योग मो.सुलेमान कहते हैं कि राज्य में अनिल अंबानी समूह ने चार बड़े निवेश प्रस्ताव दिए हैं। समूह से डीपीआर मिलने के बाद राज्य सरकार जमीन और अन्य सुविधा देने के बारे में निर्णय लेगी। हम उम्मीद कर रहे हैं कि निवेश जल्द धरातल पर उतरेगा। वहीं समूह के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट शेखर सिंह कहते हैं कि उन्हें इस संदर्भ में कुछ भी जानकारी नहीं है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि कहीं रिलायंस समूह अचारपुरा की तरह ही इस बार भी प्रदेश सरकार को अंगूठा तो नहीं दिखा देगी।
फिर मंत्री को ठेंगा दिखा दिया पीएस ने
उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान ने एक बार फिर उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की उपेक्षा की है। प्रदेश में निवेश करने के लिए अनिल अंबानी राजधानी आते हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करके चले जाते हैं लेकिन इसकी सूचना विभाग की मंत्री को नहीं दी जाती है। जबकि यशोधरा राजे सिंधिया ग्वालियर संभाग के दतिया में ही थीं। आखिर सवाल यह उठता है कि विभागीय अधिकारियों ने इतनी महत्वपूर्ण बैठक की सूचना उद्योग मंत्री को क्यों नहीं दी। उधर रिलायंस समूह के वाइस प्रेसीडेंट शेखर सिंह ने भी मंत्री को अंधेरे में रखा।
-सुनील सिंह