02-Nov-2015 08:32 AM
1234923
स्वास्थ्य विभाग में अभी तक जो कुछ भी चलता रहा है। वह अब नहीं चलेगा। मैंने जिसको जो जिम्मेदारी दी है अब उसे पूरा करने का दायित्व उसका होगा। अगर अपने दायित्व के निर्वहन में किसी ने भी लापरवाही बरती तो उसका

खामियाजा भुगतने के लिए उसे तैयार रहना पड़ेगा। खासकर प्रदेश में डेंगू और स्वाइन फ्लू को लेकर विशेष सतर्कता बरतनी है। डेंगू और स्वाइन फ्लू से पीडि़त मरीजों की जांच में किसी भी तरह की आंच नहीं आनी चाहिए। यह निर्देश स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने प्रदेश के सभी सीएचएमओ, चिकित्सकों को दी है। उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि स्वाइन फ्लू की रिपोर्ट रोजाना भोपाल भेजी जाए।
दरअसल, प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग ऐसा महकमा है जहां अफसरों और चिकित्सकों की धीकामस्ती से न तो योजनाएं धरातल पर उतर पा रही थी और न ही लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल पा रहा था। लेकिन जब से गौरी सिंह स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख बनी है। उन्होंने निरंतर योजनाओं की समीक्षा की है और उन्हें अमली जामा पहनाने के लिए लगातार प्रदेशभर का दौरा किया है। जिसका परिणाम यह हुआ है कि आज प्रदेश में अधिकांश योजनाओं का लाभ मरीजों को निरंतर मिल रहा है। अब प्रदेश में जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी वैसे ही जानलेवा स्वाइन फ्लू वायरस के पनपने का खतरा बढ़ेगा। इसको देखते हुए प्रमुख सचिव ने बिना देरी किए हुए सतर्कता बरतने का निर्देश जारी कर दिया है। उन्होंने अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की जांच के तमाम इंतजाम करने का निर्देश दिया है। साथ ही हिदायत दी है कि किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वायरस फैलने की आशंका के चलते उन्होंने आम लोगों को सचेत रहने को कहा है। उल्लेखनीय है कि प्रमुख सचिव के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता के कारण इस बार डेंगू विकराल रूप नहीं ले सका। पिछले साल प्रदेश में सैंकड़ों लोगों की मौत बनकर आया डेंगू इस बार अपना असर नहीं दिखा पाया। दरअसल, इस बार स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू के वायरस के सक्रिय होने से पहले ही उस पर नियंत्रण करना शुरू कर दिया था। इससे डेंगू विकराल रूप लेने से पहले ही थम सा गया है। बताया जाता है कि जिस अप्रैल-मई के महीने में डेंगू का वायरस पनपता है उसी समय मप्र के स्वास्थ्य विभाग की कमान प्रदेश की तेज तर्रार आईएएस अफसर गौरी सिंह के हाथ में आ गई। उन्होंने प्रमुख सचिव का पद संभालते ही सबसे पहले डेंगू को पनपने से रोकने के लिए कार्य योजना बना दी और उसके क्रियान्वयन की लगातार मानीटरिंग करती रहीं। अब उन्होंने ठंड शुरू होते ही अधिकारियों और चिकित्सकों को स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए ऐसे ही कारगर उपाय करने के निर्देश दिए है। उन्होंने सभी जिला चिकित्सालयों को निर्देश दिया है कि वे अपने यहां आने वाले स्वाइन फ्लू के मरीजों का इलाज तत्परता से करें तथा क्रिटिकल पोजीशन होने की स्थिति में तत्काल मुख्यालय सूचित करें।
मिशन इंद्रधनुष की मॉनिटरिंग चुनाव जैसी
मध्य प्रदेश में टीकाकरण से वंचित बच्चों और गर्भवतियों के लिए चलाए जा रहे मिशन इंद्रधनुष के तहत विशेष टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण सात अक्टूबर से शुरू हो गया है। इस अभियान की मॉनिटरिंग चुनाव के मतदान जैसी हो रही है। राज्य में मिशन इंद्रधनुष के तहत चलाए जा रहे इस विशेष अभियान में ऐसे बच्चों और गर्भवती माताओं को लक्ष्य किया गया है, जिन्हें या तो टीका लगा ही नहीं है या फिर कुछ टीके लगने से रह गए हैं। इसके लिए घर-घर जाकर ऐसे बच्चों की पहचान की जाती है और गांव-गांव में टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने बताया कि अभियान के पहले चरण के नतीजे बहुत उत्साहवर्धक रहे हैं। पिछले चरण में जो खामियां रह गई थीं उन्हें दूर करते हुए इस बार टीकाकरण की मॉनिटरिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत प्रतिदिन टीकाकरण के जितने सत्र आयोजित होंगे, वहां से दिन में दो बार उसी तरह प्रगति की जानकारी मंगवाई जाएगी जिस तरह चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत की जानकारी जुटाई जाती है। मिशन इंद्रधनुष के पहले चरण में राज्य के 15 जिले लिए गए थे। इस बार 23 नए जिले लिए गए हैं। इन जिलों के अलावा पहले चरण के दो जिले नए चरण में भी शामिल किए गए हैं, ये वे जिले हैं जहां पिछली बार लक्ष्य के मुताबिक काम नहीं हो पाया था। उन्होंने बताया कि इस काम में स्वास्थ्य विभाग के अलावा अन्य कई संस्थाओं का सहयोग मिल रहा है। इसमें यूनिसेफ जागरूकता की दिशा में काम कर रहा है तो विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) टीकाकरण की मॉनिटरिंग में मदद कर रहा है। इसी तरह यूएनडीपी कोल्ड चेन के रखरखाव पर निगाह रखता है। रोटरी जैसी कई सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में विभाग की मदद कर रही हैं।
-भोपाल से अजयधीर