03-Apr-2013 11:09 AM
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इंग्लेंड के हाथों बुरी तरह पिटी भारतीय टीम को अंतत: कंगारुओं के खिलाफ लगातार 4 जीत मिली जो भारत के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में भारत की यह अब तक की सबसे बड़ी जीत है। इसके पहले टेस्ट क्रिकेट में भारत की सबसे बड़ी जीत 1993-94 में श्रीलंका के

खिलाफ थी। भारत ने 3 टेस्ट मैचों की सीरीज में श्रीलंका को 3-0 से हराया था। उसके कुछ दिन पहले ही भारत ने इंग्लैंड को भी 3 टेस्ट मैचों की सीरीज में 3-0 से हराया था। इस बार पहले मैच में जब कंगारू धोनी की लाज़वाब पारी की बदौलत जीतने में भारत के शेर कामयाब रहे थे तब किसी को आशा नहीं थी कि भारत लगातार 4 मैचों में जीत हांसिल करेगा। किन्तु इस बार धोनी के खिलाडियों ने शायद कमर कास रखी थी इसी कारण हर अगले मैच के साथ कंगारुओं की खिंचाई शुरू हो गयी। दरअसल 265 गेंदों का सामना कर 24 चौकों और छह छक्कों से सजी 224 रनों की माही की यह पारी इस मैच के लिए रेफरेंस प्वाइंट या संदर्भ बिन्दु बन गई थी, क्योंकि किसी टेस्ट मैच में बतौर कप्तान किसी भी भारतीय खिलाड़ी की यह सबसे बड़ी पारी थी, और सबसे खास बात यह है कि यह एक ऐसी पारी थी, जिसके बगैर टीम की जीत किसी भी तरह मुमकिन नहीं थी। इसके बाद हर अगले मैच में भारत ने धोनी के नेतृत्व में बेहतर प्रदर्शन किया। हालाँकि चंडीगढ़ में कंगारुओं ने कुछ दम अवश्य दिखाई किन्तु उनकी बल्लेबाजी उतनी मजबूत नहीं थी। ऑस्ट्रेलिया की मौजूदा टीम का जो हाल है, उससे तो यही लगता है कि उसका बुरा दौर शुरू हो चुका है। कभी जिनके खिलाफ खेलने से विरोधी टीमें डरती थीं, अब आसानी से उन्हें हराने का दम रखती हैं। ऑस्ट्रेलियाई टीम की मौजूदा हालात को देखकर पूर्व चयनकर्ता जॉन बेनो भी खासे चिंतित हैं।
बेनो का मानना है कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का लगातार बुरा दौर उसी तरह है जिसका सामना वेस्टइंडीज की दिग्गज टीम को करना पड़ा था। बेनो ने इसके लिए दबदबे के समय आत्ममुग्धता को जिम्मेदार ठहराया। बेनो ने कहा कि हमारा मामला वेस्टइंडीज की तरह है। हम सभी टीमों को हराते गए और सहज हो गए। हमने जमीनी स्तर पर ध्यान देना बंद कर दिया। हम अगली पीढ़ी को तैयार करने की अहमियत भूल गए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हम आत्ममुग्धता का शिकार हो गए और अब हमें नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक समय अजेय मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलिया की टीम मुश्किल दौर से गुजर रही है। मौजूदा हालात क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के लिए चिंता की बात है। पूर्व क्रिकेटर डारेन लेहमैन ने भी स्थिति के आंकलन में बेनो का समर्थन किया। लेहमैन ने कहा कि हमें सुनिश्चित करना होगा कि जब हम युवा खिलाडिय़ों को ऑस्ट्रेलिया की ओर से खेलने के लिए भेजें तो उससे पहले वह रन बना रहे हों और विकेट हासिल कर रहे हों। उधर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज में 29 विकेट चटकाकर मैन आफ द सीरीज बने गेंदबाज आर अश्विन ने कहा कि इंग्लैंड सीरीज के बाद गेंदबाजी में कुछ बदलाव उनके लिये अच्छा रहा। अश्विन ने मैच के बाद कहा, श्रृंखला में हर चीज बढिय़ा रही, इंग्लैंड श्रृंखला के बाद मुझे कुछ बदलाव करने पड़े थे। खुश हूं कि इन बदलावों का परिणाम अच्छा रहा। मुझे अपने बॉलिंग रन अप पर काम करना पड़ा था। हमारे पास काफी कम समय था, मैं भाग्यशाली था कि मेरे पास इसे कम समय में पता करने कोच मौजूद था।