17-Oct-2015 08:36 AM
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यूपी में 5700 करोड़ रुपए से ज्यादा के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की संलिप्ता की तहकीकात में जुट गई है। अपनी तहकीकात में

सीबीआई मायावती की संपत्ति को भी जांच के घेरे में रखी है। खुद को दलित की बेटीÓ बताने वाली उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती अरबपति हैं। उनके पास कुल 112 करोड़ रुपये की संपत्ति है। मायावती की इस दौलत की जानकारी उन्होंने खुद सार्वजनिक की है। अब सीबीआई इस की पड़ताल कर रही है कि मायावती का एनआरएचएम घोटाले से कोई कनेक्शन तो नहीं है।
इस घोटाले में कुछ नए साक्ष्य हाथ लगने के बाद सीबीआई ने बसपा सुप्रीमो मायावती से उनके दिल्ली स्थित आवास पर 28 सितंबर को पूछताछ की। हालांकि मायावती इस केस में आरोपी नहीं हैं। इसके बाजवूद मायावती से उनके कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग को दो भागों में बांटने और इससे संबंधित तीन मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) की हत्या के संबंध में सीबीआई की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा उनसे कई अहम सवाल किए गए। मायावती के विशेष अनुरोध पर उनके कानूनी सलाहकार और बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्र भी पूछताछ के दौरान उनके साथ थे। इस दौरान मायावती कई अहम सवालों के जवाब देने से बचती रहीं। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते किए गए कई विवादित फैसलों के प्रति अनभिज्ञता भी जताई। पूछताछ के बाद अब फिर चर्चा होने लगी है कि क्या घोटाले का सच सामने आएगा। सीबीआई इस मामले में अब तक 76 से अधिक केस दर्ज कर चुकी है। 48 आरोपियों पर चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है। सीबीआई के सूत्र बताते हैं कि जल्द ही पूरी कागजी तैयारी के साथ फिर से मायावती से पूछताछ की जाएगी।
15 जनवरी, 1956 को दिल्ली में जन्मीं और राजनीति में आने से पहले स्कूल में बतौर टीचर काम करने वाली मायावती के पिता डाक विभाग में नौकरी करते थे। मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग का बंटवारा कर दिया था। साथ ही जिला परियोजना अधिकारियों के 100 पद भी सृजित कर दिए थे। एनआरएचएम के क्रियान्वयन में इन अधिकारियों की भूमिका सवालों में हैं। सीबीआई का आरोप है कि विभाग का बंटवारा इसलिए किया गया ताकि एनआरएचएम फंड को सीधे परिवार कल्याण विभाग के अधीन लाया जा सके। यह विभाग तत्कालीन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के पास था। कुशवाहा के खिलाफ पहले ही आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। ऐसा माना जा रहा है कि करोड़ों रुपये के घोटाले के लिए यह फैसला भी अहम है।
केंद्र की रकम अपनी
झोली में भर ली
मायावती के कार्यकाल (वर्ष 2007-12) के दौरान एनआरएचएम के लिए केंद्र से मिले पैसे का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया। घोटाला 5700 करोड़ रुपये का है। केंद्र की यह योजना 18 राज्यों में अप्रैल 2005 में सात सालों के लिए शुरू की गई थी। इसका मकसद ग्रामीण इलाकों में रहने वालों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा और सस्ती दवाइयां मुहैया कराना था। केंद्र ने इसके लिए यूपी को 8657 करोड़ रुपये का फंड दिया था। इस रकम में से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, डॉक्टरों ने पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम आपस में ही बंदरबांट कर ली। इसका खुलासा कैग की रिपोर्ट में हुआ। बाद में इस घोटाले की जांच सीबीआई के हवाले कर दी गई। इसके बाद घोटाले में मंत्री, नेता और वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी सामने आए हैं। घोटाले से जुड़े तीन सीएमओ सहित तकरीबन 10 लोगों की जान जा चुकी है। सीएजी रिपोर्ट में यह साफ हो गया है कि एनआरएचएम में करीब 5700 करोड़ रुपये का घोटाला तो सिर्फ अपने नियम और कानून बनाकर किया गया। वर्ष 2009-11 के बीच ज्यादातर काम सहकारी संस्थाओं के जरिए कराए। इन्हें करोड़ों रुपए एडवांस में दिए गए। सीएमओ परिवार कल्याण का पद भी इसीलिए सृजित किया गया ताकि एनआरएचएम की रकम को ठिकाने लगाया जा सके।
-लखनऊ से मधु आलोक निगम