कई काम अधूरे दिसंबर तक कैसे होंगे पूरे
17-Oct-2015 08:23 AM 1234845

अपनी उत्सवधर्मिता के लिए विख्यात मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उज्जैन सिंहस्थ को ग्लोबल फेस्टिवल बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। जहां मुख्यमंत्री स्वयं सिंहस्थ की ग्लोबल

ब्रांडिंग कर रहे हैं, वहीं पूरी सरकार भी सिंहस्थ को अब तक का देश का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनाने की तैयारी में जुटी हुई है। इसके लिए न केवल उज्जैन बल्कि इंदौर, देवास और उज्जैन के आस-पास के शहरों को भी सजाया संवारा जा रहा है। संभागायुक्त रवींद्र पस्तोर ने बताया कि सिंहस्थ मेले में परंपरा के साथ आधुनिक तकनीक का समावेश किया गया है। यात्रियों की सुविधा से लेकर स्वच्छता, पेयजल, सुरक्षा व सेवाओं के काम में टेक्नोलॉजी के उपयोग करने की योजना भी बन चुकी है। 2016 का मेला में कई ऐसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं, जो पहली बार किसी मेले में होंगी। कोशिश यह है कि मेले में आने वाले करोड़ों श्रद्धालु मेले की अच्छी यादें संजोकर ले जाएं। उन्होंने बताया कि सिंहस्थ में शिप्रा नदी के घाट सिंहस्थ की कहानियां बयां करेंगे। सिंहस्थ के दौरान घाटों पर विशेष प्रकाश व्यवस्था, सौंदर्यीकरण, वॉल पेंटिंग आदि की जाए। साथ ही नदी में आकर्षक रंगीन फव्वारे लगाए जाएंगे।

 

सिंहस्थ में 2600 करोड़ रुपए के काम कराए जा रहे हैं जिनमें से अब तक पंद्रह सौ करोड़ रुपए के काम जारी हैं। इसमें 900 करोड़ रुपए के काम कराए जा चुके हैं। कार्यो को गति देने के लिए मुख्य सचिव एंटोनी डिसा निरंतर समीक्षा कर रहे हैं। अभी हालही में भोपाल में अक्टूबर को राज्य स्तरीय सिंहस्थ साधिकार समिति की बैठक में डिसा ने अब तक की तैयारियों की समीक्षा करते हुए हरेक विभाग को दिसंबर तक काम पूरा करने का अल्टीमेटम दे दिया है। बहुत जरुरी काम ही जनवरी 16 तक पूरे किए जाएंगे। इनकी मॉनिटरिंग अब रोज होने वाले खर्च के आधार पर होगी। रोज हर विभाग किए गए काम और खर्च का ब्यौरा संभागायुक्त डॉ. रवींद्र पस्तौर को देगा।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कहा है कि अब कोई बहाना नहीं बना सकते। अब न बारिश है और न ही कोई अन्य रुकावट। काम समय सीमा में पूरे होना चाहिए। मुख्य सचिव ने मेले में यात्रियों व साधु संतों से जुड़ी तमाम व्यवस्थाएं, जैसे- पेयजल, सफाई, सीवर, स्ट्रीट लाइट, बिजली व्यवस्था, अस्पताल, घाटों का सौंदर्यीकरण, भीड़ नियंत्रण, खाद्य आपूर्ति, ईंधन, आवागमन व्यवस्था, मंदिरों में दर्शन आदि की समीक्षा करते हुए विभागों को निर्देश दिए।
सिंहस्थ मेला प्राधिकरण अध्यक्ष दिवाकर नाते कहते हैं कि सिंहस्थ 2016 के मेले में भारतीय संस्कृति तथा परंपराओं के साथ आधुनिक तकनीक का कुंभ भी देखने को मिलेगा। पांच करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए कई ऐसी तकनीकी उपयोग में लाई जा रही हैं जो सिंहस्थ को सफल और सुरक्षित बनाएंगी। चाहे सुरक्षा का प्रबंध हो, खान-पान हो या फिर साफ-सफाई। सिंहस्थ की तैयारियों में कई ऐसी नई व्यवस्थाएं शामिल की गई जो अब तक कभी देखने को नहीं मिलीं। तीन हजार हेक्टेयर में होने वाले मेले के लिए सिंहस्थ एप, पोर्टल सहित वेबसाइट यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाएगी। पहली बार ऐसा होगा कि मेला अपने परंपरागत स्वरूप से उठकर सौंदर्यीकरण की झलक दिखाएगा। प्रवाहमान शिप्रा का जल कितना साफ और पेयजल कितना शुद्ध रहेगा, यात्रियों को डिस्प्ले बोर्ड पर दिखाई देगा। प्याऊ हटकर अब कूलिंग हट के रूप में दिखाई देंगी। मेले की सुविधाओं से यात्री कितना संतुष्ट हुआ, इसका सेल्फ सेटिसफेक्शन कार्ड भी रहेगा। खास बात यह कि कुंभ में बिछडऩे की कहावत भी अब पुरानी हो जाएगी। यानी सिंहस्थ 2016 मेला टेक्नोफ्रेंडली रहेगा जो हिंदू धर्म और सनातन परंपरा के निर्वाहन में अपना भी अघ्र्य देगा। ङ्क्षसहस्थ में नहाने की महत्ता है। वर्ष 2016 के सिंहस्थ में तीर्थयात्री प्रवाहमान शिप्रा में स्नान करेंगे। ऐसा करीब दो सिंहस्थ (1992 व 2004) के बाद हो रहा है। अब तक सिंहस्थ के दौरान शिप्रा में गंभीर नदी का जल डाला जाता है। इस बार 450 करोड़ रुपए की नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना पूर्ण होने के चलते शिप्रा में नर्मदा का पानी प्रवाहित होगा। अब तक तीन दफे नर्मदा का जल उज्जैन पहुंच चुका है। योजना यह है कि शिप्रा मेें प्रतिदिन 5 क्यूसेक जल डाला जाएगा ताकि नदी में जल बहता रहे। मेले में किसी भी आपदा से निपटने के लिए पहली बार करोड़ों रुपए का बीमा किया गया है। यह दो प्रकार का रहेगा। इसमें एक संपत्ति का नुकसान तथा दूसरे में जनहानि शामिल रहेगी। वहीं मेला अवधि के दौरान यह बीमा मेला क्षेत्र सहित पूरे उज्जैन शहर को कवर करेगा। इसमें किसी भी दुर्घटना में एक तय राशि दी जाएगी।? बीमे की इस नई व्यवस्था को भी अंतिम रूप दे दिया गया है। सिंहस्थ में खान नदी की गदंगी भी शिप्रा में नहीं मिल सकेगी।
खान के प्रदूषित पानी को शिप्रा में नहीं मिलने के लिए 90 करोड़ से खान डायवर्सन योजना का काम प्रचलित है जो सिंहस्थ मेले से पहले पूर्ण हो जाएगी। ऐसे में शिप्रा में नर्मदा जल आने के बाद से शिप्रा एकदम स्वच्छ और निर्मल रहेगी। शिप्रा जल की शुद्धता 24 घंटे नापी जाएगी। इसके लिए घाटों पर डिस्प्ले लगाया जाएगा। इसमें नदी में बीओडी की मात्रा सहित अन्य जानकारी लाइव दिखाई देगी। यही नहीं शिप्रा में 10 करोड़ रुपए को ऑक्सीडेशन का कार्य भी होगा। यानी की शिप्रा जल से नहान ही नहीं आचमन भी किया जा सकेगा। सिंहस्थ हाईटेक सुविधाओं के लिए जाना जाएगा। मेला क्षेत्र को वाई-फाई जोन के साथ डिजिटल जीआईएस मैप तैयार किया गया है। यात्रियों के लिए टूरिस्ट ओडियो गाइड तैयार किए जा रहे हैं। इससे पर्यटकों को सुविधा मिलेगी। मेला क्षेत्र की मॉनीटरिंग तो होगी ही, कौन-सी गतिविधि कहां चल रही है और कैसी सुविधाएं उपलब्ध करवानी हैं, यह भी पता चल सकेगा। मैप के माध्यम से एक क्लिक पर पार्किंग स्लॉट, फ्लैग स्टेशन, पेशवाई मार्ग, बिजली आपूर्ति, ड्रेनेज सिस्टम, हेल्प काउंटर्स, पेयजल आपूर्ति, एटीएम, घाट होल्डअप सहित अन्य जानकारी कम्प्यूटर पर नक्शे सहित दिखाई देंगी। इसी मैप के माध्यम से मेला क्षेत्र में कहां क्या सुविधा देनी है इसकी भी प्लानिंग होगी। साधु-संतों व व्यावसायिक उपयोग की जमीन की जानकारी भी इस मैप से दी जाएगी?

-उज्जैन से श्याम सिंह सिकरवार

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