रियो की आधी-अधूरी तैयारी पड़ न जाए भारी
17-Oct-2015 07:55 AM 1234778

रियो ओलंपिक के आयोजन में एक साल से भी कम का समय बचा है, लेकिन भारतीय खिलाडिय़ों की आधी-अधूरी तैयारी 125 करोड़ देशवासियों की आशाओं पर भारी न पड़ जाए। क्योंकि अभी हाल ही में चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित 15वीं विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप(आईएएएफ) में भारत का प्रदर्शन खराब रहा। दरअसल, लंदन ओलंपिक में भारतीय खिलाडिय़ों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 6 पदकों पर कब्जा किया था। इसके बाद सरकार ने खेलों और खिलाडिय़ों पर विशेष ध्यान देने की बात कही थी, लेकिन जैसे-जैसे ओलंपिक खेल करीब आ रहे हैं एथलीटों के प्रदर्शन को देखकर ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि निश्चित तौर पर भारतीय एथलीट रियो ओलंपिक में कम से कम दो पदक भारत की झोली में डालेंगे और कई दशकों से चले आ रहे पदकों के सूखे को खत्म करेंगे। गौरतलब हो कि आज तक भारत ओलंपिक की एथलेटिक्स स्पर्धाओं में एक भी पदक नहीं जीत सका है। हाल ही में चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित 15 वीं विश्व चैंपियनशिप में भारतीय खिलाडिय़ों के लिए बेहद निराशाजनक साबित हुए।
चीन की राजधानी बीजिंग के बड्र्स नेस्ट स्टेडियम में 22 से 30 अगस्त के बीच आयोजित 15वीं विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप (आईएएएफ) आयोजित हुई। इसमें भाग लेने गया 17 सदस्यीय भारतीय दल एक बार फिर खाली हाथ लौटा। दो साल के अंतराल में आयोजित होने वाली इस स्पर्धा में ओलंपिक से पहले हर खिलाड़ी के पास अपनी क्षमता और तैयारियों के आकलन करने का यह सर्वश्रेष्ठ और आखिरी मौक़ा था।जिसमें पूरी दुनिया के एथलीट एकसाथ भाग लेते हैं। इस मौके को भारतीय खिलाडिय़ों ने एक बार फिर गंवा दिया। बीजिंग गए भारतीय दल में 10 महिला और 7 पुरुष खिलाड़ी शामिल थे। जिन्होंने 9 स्पर्धाओं में भारतीय चुनौती पेश की थी।एशियन चैंपियन इंद्रजीत सिंह (शार्टपुट) और विकास गौड़ा (डिस्कस थ्रो) भारतीय दल के सबसे जाने माने नाम थे। इन दोनों से पदक जीतने की सबसे ज्यादा आशायें थीं लेकिन दोनों ही खिलाडिय़ों ने निराश किया।
पदक के दावेदारों में से एक रहे इंद्रजीत सिंह ने इस साल जिन प्रतियोगिताओं में भाग लिया है उनमें उन्हें जीत हासिल हुई थी। साल 2015 में वह विभिन्न स्पर्धाओं में आठ स्वर्ण पदक जीत चुके हैं, लेकिन विश्व चैंपियनशिप में वह अपनी जीत का सिलसिला बरकरारा नहीं रख पाये। उन्हें 11 वें स्थान से संतोष करना पड़ा। इंद्रजीत ने क्वालीफिकेशन राउंड में 20.47 मी दूरी तक गोला फेंका लेकिन फाइनल राउंड में वह केवल 19.52 मी. तक ही गोला फेंक सके। ऐसे तो इंद्रजीत पहले ही रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं, यहां उन्हें बिना किसी चिंता के गोला फेंकना था और ओलंपिक से पहले अपनी तैयारियों को पुख्ता करना था लेकिन वह पदक तक पहुंचने में नाकामयाब रहे। लंदन ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले विकास गौड़ा विश्व चैंपियनशिप में भारतीय पदक की सबसे बड़ी आशा थे लेकिन वह भी अपने फॉर्म में नहीं दिखाई दिए। क्वालीफिकेशन राउंड में उन्होंने 63.86 मी. दूरी तक चक्का फेंका लेकिन फाइनल राउंड में वह क्वालीफिकेशन राउंड से डेढ़ मीटर कम(62.24 मी.) दूरी तक ही चक्का फेंक सके और उन्हेें 9वें स्थान से संतोष करना पड़ा। महिलाओं में पीटी ऊषा की शिष्या टिंटू लूका भी पदक के उम्मीदवारों में से एक थीं। लूका 800 मी दौड़ स्पर्धा की हीट में सातवें स्थान पर रहीं और सेमी-फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकीं। लूका ने सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकालते हुए दौड़ 2.00.95 मिनट में पूरी की और रियो ओलंपिक का अपना टिकट पक्का किया। ललिता शिवाजी बाबर ने 3000 मी स्टिपलचेज स्पर्धा की हीट स्पर्धा 9 मिनट 27.86 सेकेंड का समय निकालकर चौथा स्थान हासिल किया और नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया। इसके बाद फाइनल मुकाबले में उन्होंने भरसक प्रयास किया और 9 मिनट 29.64 सेकेंड का समय निकालकर आठवें स्थान पर रहीं। ललिता बाबर पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने विश्व चैंपियनशिप में 3000 मी. स्टीपलचेज के फाइनल में जगह के लिए क्वालीफाई किया, फाइनल में उनका प्रदर्शन सराहनीय रहा लेकिन वह पदक जीतने के लिए नाकाफी था। ऐसे में भारत ओलंपिक में कितने मेडल जीत पाएंगा यह सोचनीय विषय बना है।
-आशीष नेमा

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