02-Oct-2015 08:22 AM
1234804
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया की मौत के बाद उनके उत्तराधिकारी की तलाश हो रही है। उनका उत्तराधिकारी चुनना इतना आसान भी नहीं है। आज वल्र्ड

क्रिकेट में भारत की तूती बोलती है, इसके पीछे बीसीसीआइ की आर्थिक ताकत है और इसको इतनी बड़ी आर्थिक ताकत बनाने में सबसे बड़ी भूमिका रही है डालमिया की। भविष्य में भी भारत (खास कर बीसीसीआइ) का यह रुतबा बरकरार रहे, इसके लिए सही व्यक्ति के चुनाव की चुनौती है।
आज वल्र्ड क्रिकेट में भारत को दरकिनार कर कोई प्रतियोगिता नहीं हो सकती, कोई बड़ा संशोधन नहीं हो सकता। ऐसा इसलिए, क्योंकि आजकल क्रिकेट को आर्थिक ताकत नियंत्रित करती है और यह ताकत है बीसीसीआइ की। यह ताकत रातों-रात नहीं बनी है। इसके लिए अनेक लोगों का इसमें योगदान रहा है। इन्हीं लोगों में प्रमुख रहे हैं जगमोहन डालमिया। डालमिया भले ही स्वयं एक बड़े क्रिकेट खिलाड़ी नहीं रहे हों (वे क्लब क्रिकेट खेला करते थे), लेकिन एक प्रशासक के तौर पर उन्होंने बीसीसीआइ को दुनिया का सबसे अमीर खेल संगठन बनाया। डालमिया के आने के पहले बीसीसीआइ कोई बहुत बड़ा ताकतवर (आर्थिक तौर पर) संगठन नहीं था। इसमें अगर सुधार आया तो डालमिया एक बड़े कारण थे। पैसा आया तो ब्रॉडकॉस्टिंग राइट से। इसके लिए डालमिया को लंबी कानूनी लड़ाई लडऩी पड़ी, लेकिन जब जीत हुई, तो बीसीसीआइ के पास पैसे बरसने लगे। एक अनुमान के अनुसार, आज बीसीसीआइ की संपत्ति 1500 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की है। डालमिया आइसीसी के भी अध्यक्ष रहे। इस पद पर जानेवाले वे पहले भारतीय थे। अनेक बड़े फैसले लिये। दक्षिण अफ्रीका की टीम पर लंबे समय से प्रतिबंध लगा हुआ था। आइसीसी के अनेक अध्यक्ष बने, लेकिन किसी ने प्रतिबंध हटाने की हिम्मत नहीं की। अंतत: डालमिया ने दक्षिण अफ्रीका की टीम की वल्र्ड क्रिकेट में वापसी का रास्ता निकाला। बांग्लादेश की टीम को टेस्ट टीम का दर्जा दिलाया।
-आशीष नेमा