दुनिया में निवेश का मॉडल डेस्टिनेशन बना मप्र
17-Oct-2015 07:18 AM 1234874

जापान हो या दक्षिण कोरिया, वहां भारत के प्रति आकर्षण काफी है। इससे प्रधानमंत्री की मेक इन इंडिया कैम्पेन सफल होते दिखाई दे रही है। इस यात्रा में दिखा कि जापान और दक्षिण कोरिया की कई कंपनियां भारत में उत्सुक हैं। जापान इंटरनेशनल को ऑपरेशन एजेंसी भोपाल और इंदौर की मेट्रो परियोजनाओं के लिए 12000 करोड़ लोन देने को तैयार है जो जीरो दशमलव तीन प्रतिशत ब्याज पर 50 साल की अवधि का होगा। यही कंपनी मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के लिए भी 2200 करोड़ रुपए देने को तैयार है तो गांव में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने संबंधी योजनाओं के लिए 2000 करोड़ रुपए का ऋण भी जाइका कंपनी देने को सहमत है।

मध्यप्रदेश में उद्योगों के लिए जरूरी पानी, ऊर्जा, कनेक्टिविटी, भूमि, प्रतिभा और विश्वास है। इसी के बल पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश को देश की अर्थ-व्यवस्था का ड्राइविंग फोर्स बनाना चाहते है। वे अपनी इसी सोच के साथ प्रदेश में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए पिछले 9 साल से निरंतर प्रयास कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि आज प्रदेश में देश-विदेशी निवेशक निवेश करने के लिए आकर्षित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए जापान और दक्षिण कोरिया की दस दिनी यात्रा कर वहां के उद्योगपतियों को रिझाने का भरपुर प्रयास किया। इन दोनों देशों की यात्रा के दौरान मप्र में निवेश के तो बड़े-बड़े प्रस्ताव मिले हैं और आने वाले समय में वहां के प्रतिनिधि मंडल संभावनाएं तलाशने भी आएंगे, लेकिन क्या मप्र इसके लिए तैयार है इस बात पर भी गौर करना जरूरी है।
मुख्यमंत्री और भारतीय प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात के दौरान जापानी और दक्षिण कोरियाई निवेशकों ने भी माना की मप्र दुनिया में निवेश का मॉडल डेस्टिनेशन बन कर उभरा है। इस लिए भोपाल से इंदौर के बीच चलने वाली मैट्रो रेल परियोजना के लिए जापान ने मध्यप्रदेश को 12 हजार करोड़ का ऋण मुहैया कराने का करार किया है। इसके अलावा पावर ट्रांसमीशन के क्षेत्र में भी वह प्रदेश को 2200 करोड़ की मदद करेगा। जापान ने प्रदेश में औद्योगिक बस्ती बसाने के लिए एमओयू साइन किया है। इसके अलावा अक्षय ऊर्जा, इलैक्ट्रानिक विकास और निर्माण उद्योग के क्षेत्र में भी निवेश के लिए महत्वपूर्ण करार किए गए है।  उल्लेखनीय है कि जापान-कोरिया यात्रा के पहले दिन ही प्रदेश के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 15,000 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव मिले। मुख्यमंत्री का कहना है कि जापान की साफ्ट बैंक कंपनी ने सोलर पावर में दस हजार करोड़ का निवेश करने की रुचि दिखाई है। कोरिया में भी निवेश को लेकर दो एमओयू साइन किए गए हैं। जापान का मिजूहो बैंक प्रदेश में अपनी शाखा खोलेगा। जापान के छोटे और मध्यम उद्यम बड़ी संख्या में प्रदेश में निवेश करने में उत्साहित है।
जापान-दक्षिण कोरिया की दस दिनी यात्रा से लौटने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वहां मिले प्रस्तावों को लेकर जिस तरह की उत्सुकता दिखाई है, क्या उसके अनुपालन में उद्योग विभाग के अफसर उतनी तत्परता दिखाएंगे। अगर उद्योग विभाग के अफसरों की अभी तक की कार्यप्रणाली देखी जाए तो हम कह सकते हैं कि उनकी नाफमानी मुख्यमंत्री के उत्साह पर भारी पड़ सकती है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर में इंदौर में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के में  देश और विदेश के उद्योगपतियों ने प्रदेश में 6.89 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव दिए लेकिन विभागीय अधिकारियों के नाकारपन के कारण कोई बड़ा औद्योगिक घराना मप्र में निवेश नहीं कर पाया। वहीं दूसरी तरफ छोटे उद्योगपति प्रदेश में निवेश के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें तव्वजो नहीं दी जा रही। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसी सरकारी कोशिशों से कैसे हो सकेगा उद्योगों का विस्तार!
प्रदेश में निवेश की उम्मीदों को परवान चढ़ाने वाली ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का एक साल पूरा हो गया। समिट में निवेश के वादों के साथ एक लाख से ज्यादा को रोजगार का सपना दिखाया गया था, लेकिन वादे अभी अधूरे हैं। समिट में मंच से निवेश के लिए देश के बड़े औद्योगिक घरानों ने ऐलान किया था। औद्योगिक हस्तियां भी पलटकर दोबारा नहीं आई। इंदौर में समिट में 3 हजार से ज्यादा समूह ने 5.89 लाख करोड़ का वादा किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मंच से बड़े औद्योगिक घरानों ने निवेश का भरोसा दिलाया था, लेकिन कोई भी समूह 365 दिन में नहीं आया है। अनिल अंबानी-रिलायंस एडीजी ग्रुप ने सीमेंट, कोल, पॉवर और टेलीकॉम प्रोजेक्ट में 60 हजार करोड़ के निवेश की घोषणा की थी। पहले समूह ने धीरूबाई यूनिवर्सिटी के लिए अचारपुरा में जमीन ली थी। इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिए। वहीं मुकेश अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज ने उर्जा और आईटी के क्षेत्र में 20 हजार करोड़ के निवेश का कहा था। होशंगाबाद में जमीन देखी गई थी। बाद में पहल नहीं की गई। अब आईटी में कंपनी ने इंदौर में आने का मन बनाया है। इसी तरह अडानी समूह, एस्सार ग्रुप, फ्यूचर ग्रुप, पेप्सी और कोका कोला कंपनी तथा अमेरिका की भी कंपनियों ने निवेश का वादा किया था, लेकिन उन्होंने अभी तक चुप्पी साध रखी है। उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान के अनुसार निवेश की प्रकिया लंबी चलती है। ज्यादातर बड़े समूहों से संवाद चल रहा है। कई कंपनियां आने को तैयार है। कुछ बड़े समूह जल्द ही प्रदेश में आमद देंगे।
-नवीन रघुवंशी

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