क्या खत्म हो जाएगी केजरीवाल की पार्टी..!
17-Oct-2015 06:48 AM 1234861

दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी की पार्टी के ग्रह नक्षत्र वक्र हो गए हैं। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का हर दांव उलटा पड़ रहा है, वहीं उनके सहयोगियों की करतूतों से पार्टी पर संकट मंडराने लगा है। पत्नी के साथ मारपीट जैसे शर्मनाक हरकत के आरोपी सोमनाथ भारती के बारे में जागने में केजरीवाल ने बड़ी देर कर दी। ठीक उसी तरह जैसे फर्जी डिग्रीधारी जीतेंद्र सिंह तोमर के मामले में। अरविंद के इन दोनों करीबी नेताओं ने आम आदमी के मन में आम आदमी पार्टी की बची-खुची छवि को पूरी तरह नष्ट कर दिया। यही नहीं आम आदमी पार्टी के अंदरूनी कलह खुलकर सामने आने लगी है। आप पार्टी कार्यकारिणी के सदस्य मयंक गांधी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि वो गटर की राजनीति कर पार्टी को बर्बाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, आप का जन्म गटर की राजनीति को साफ करने के लिए हुआ था नाकि गटर की राजनीति करने के लिए। इससे पहले मयंक गांधी ने मार्च के महीने में आप पार्टी से निकाले गए दिग्गज नेता प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव का पक्ष लेते हुए विरोध जताया था। उन्होंने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर हमला बोलते हुआ कहा कि पार्टी में सिर्फ एक ही शख्स की बात सुनी जाती है। जो कोई भी उनके खिलाफ बोलना चाहता है उसको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय अरविंद ने अपने  नेताओं से कहा था, कुछ भी हो, किसी भी कीमत पर अपने ऊपर अंहकार को हावी मत होने देना, क्योंकि अहंकार ने बीजेपी और कांग्रेस का बेड़ा गर्क किया। लेकिन सबसे ज्यादा अहंकार उनके अंदर ही भर गया। गाली वाला स्टिंग इसका सबसे बड़ा सबूत है। कहने का मतलब आप भी अब वह सबकुछ करने लगी है, जो बीजेपी और कांग्रेस जैसी पार्टियां आजादी के बाद से करती आ रही हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपने ही एक मंत्री को हटाना पड़ा। खाद्य व पर्यावरण मंत्री आसिम अहमद खान पर एक बिल्डर से छह लाख रुपए मांगने का आरोप लगा। इसका वीडियो केजरीवाल को भेजा गया। केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस में मंत्री को बर्खास्त करने का एलान किया। लगे हाथ सीबीआई जांच की सिफारिश भी कर दी। इस तरह उन्होंने अपने लिए उत्पन्नएक बेहद असहज स्थिति को सियासी फायदे के मौके में बदलने की कोशिश की। चिरपरिचित अंदाज में केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी-बड़ी बातें कहीं। बोले, मेरी सरकार भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेगी। चाहे कोई भी हो, भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
भ्रष्टाचार विरोधी अण्णा आंदोलन के गर्भ से निकली आम आदमी पार्टी  की सरकार के मुखिया ने कहा कि मेरा बेटा भी भ्रष्टाचार करेगा तो उसे नहीं बख्शा जाएगा। मगर उनकी ये बातें आज उतनी विश्वसनीय नहीं लगतीं, जितनी दो-तीन साल पहले महसूस होती थीं। इस राजनीतिक कौशल का श्रेय केजरीवाल को जरूर मिलेगा कि विपक्ष या मीडिया को भनक लगने के पहले उन्होंने दागी मंत्री को हटा दिया। लेकिन वे इसे नहीं झुठला सकते कि पहले विधायक की उम्मीदवारी और फिर मंत्री के लिए खान का चयन उन्होंने ही किया था। फिर खान उनके पहले मंत्री नहीं हैं, जिन पर गंभीर इल्जाम लगे। उनकी सरकार के ही मंत्री जितेंद्र तोमर को कानून की फर्जी डिग्री रखने के मामले में जेल जाना पड़ा था। उनकी 49 दिन की पहली सरकार (2013-14) में मंत्री रहे सोमनाथ भारती को अब पत्नी से ज्यादती के मामले में हवालात की हवा खानी पड़ी है। मंत्री रहते हुए दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन इलाके में उन्होंने विदेशी महिलाओं के निवास पर जैसा हंगामा खड़ा किया, उसके आपराधिक पहलू अब भी जांच-पड़ताल के दायरे में हैं। आप का एक विधायक जायदाद कब्जाने के मामले में गिरफ्तार हो चुका है। ये मिसालें बताती हैं कि केजरीवाल व उनके साथियों ने अण्णा आंदोलन को अपने राजनीतिक करियर को लॉन्च करने का जरिया बनाया। सियासत में आने के बाद दूसरी पार्टियों की तरह सफलता को ही एकमात्र मानदंड उन्होंने बना लिया। सफलता के सफर में जो सहयोगी हो सकें, उन्हें साथ लिया- चाहे वे आसिम अहमद, जितेंद्र तोमर, सोमनाथ भारती या उन जैसे दूसरे लोग ही क्यों ना हों। इस तरह उन्होंने स्वच्छ राजनीति की जन-भावनाओं से छल किया। अपने जन्म के साल भर के भीतर ही दिल्ली में शानदार जीत हासिल करके सरकार बनानी वाली आप ने देश को कांग्रेस-बीजेपी से इतर वैकल्पिक राजनीति देने की जो प्रबल संभावनाएं पैदा की थी, वे सभी छह महीने के भीतर टांय-टांय फिस्स हो गई।
कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ देश भर में उपजे आक्रोश के कारण जन्मी इस पार्टी के बारे में अगर कहें कि राष्ट्रीय पार्टी बनने की इस दल की तमाम उम्मीदें पार्टी सुप्रीमों केजरीवाल की, महत्वकांक्षा, उच्चकांक्षा और अपरिपक्वता की भेंट चढ़ गईं, तो कोई गलत नहीं होगा। दरअसल, देश को अलग तरह की राजनीति परोसने का दावा करने वाले अरविंद ने  ऐसे लोगों को प्रमोट किया जिसके चलते साल भर पहले अपने को राष्ट्रीय पार्टी कहने वाला यह दल दिल्ली की क्षेत्रीय दल बनकर रह गया है।   
-धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया

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