17-Oct-2015 06:13 AM
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दिग्गज नेता कमलनाथ के हाथों में मध्यप्रदेश की कमान देने की चर्चाओं ने प्रदेश में सियासत गर्म कर दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के विरोधी गुट में इससे खुशी है। नई कार्यकारिणी से

नाराज नेता भी इस रास्ते में अपने लिए राहत खोज रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए नवंबर-दिसंबर में चुनाव होना है। संगठन चुनाव के जरिए ही इस बार अध्यक्ष तय होना है, लेकिन पार्टी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की हरी झंडी के हिसाब से ही मध्यप्रदेश अध्यक्ष तय होता है। इसलिए आलाकमान से नाथ के नाम पर विचार की चर्चाओं ने नई बहस छेड़ दी है। अभी तक नाथ महज अपने क्षेत्र में ही सक्रिय रहे थे।
मध्य प्रदेश में आज भी कांग्रेस कमजोर नहीं है। भाजपा में जहां एक मात्र शिवराज सिंह चौहान लोकप्रिय नेता हैं, वहीं कांग्रेस में दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी, अरूण यादव, श्रीनिवास तिवारी और सत्यव्रत चतुर्वेदी जैसे बड़े नेता हैं। लेकिन आपसी गुटबाजी के कारण यह पार्टी इतने भागों में बंट गई है कि कोई भी नेता पिछले 12 साल से सबको एक धागे में पीरो नहीं सका है। इसी का परिणाम है कि 2003 के बाद से प्रदेश में कांग्रेस को चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अगर कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी जाती है तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी क्षत्रपों को साधना, जो सर्वथा मुश्किल रहा है।
वैसे देखा जाए तो कमलनाथ मप्र में उतने सक्रिय नहीं रहे हैं जितने दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया। लोकसभा चुनाव के बाद से तो नाथ ने मप्र से मुंह ही मोड़ लिया था। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के समय भी नाथ ने प्रदेश के बाकी हिस्सों में कोई शिरकत नहीं की। हाल ही में जबलपुर में जरूर नाथ ने युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा बरार के साथ व्यापमं घोटाले को लेकर हुए एक आंदोलन में सक्रिय हिस्सेदारी की थी। यह पिछले दो दशक में नाथ का पहला मैदानी आंदोलन था। इसके बाद ही नाथ को लेकर आलाकमान ने नए सिरे से सोचना शुरू किया।
जबलपुर में नाथ की भव्य हिस्सेदारी और सक्रियता के कारण आलाकमान तक पॉजीटिव रिपोर्ट गई थी। अब यदि नाथ को प्रदेश की कमान मिलती है तो प्रदेश कांग्रेस की पूरी राजनीति नई करवट ले लेगी। मिशन 2018 की तैयारी के लिए पार्टी अभी से ही उन्हें प्रदेश में सक्रिय करना चाहती है। राजनीतिक हालातों में कोई परिवर्तन नहीं आया तो इसकी घोषणा दशहरे के बाद हो सकती है। इस फैसले के पीछे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की भी रुचि है, जो प्रदेश में पार्टी में फिर से खड़ा करना चाहते हैं। यही वजह है कि वह अनुभव के साथ पार्टी के बड़े चेहरों में से एक कमलनाथ को आगे करने की तैयारी की है। कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्टी ने प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया। जिसके आधार पर कमलनाथ को मैदान में उतारने की तैयारी पर पार्टी विचार कर रही है। मप्र में कमलनाथ को आगे करने के साथ दूसरे बड़े दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय करेगी। वैसे भी लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान सिंधिया ने जिस तरीके से सक्रियता दिखाई थी, उसके बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे हैं, कि आगे वाले दिनों में सिंधिया को पार्टी के भीतर और बड़ी जिम्मेदारी मिल
सकती है।
-भोपाल से बृजेश साहू