घातक न बन जाए दोस्ती की सुरंग
02-Oct-2015 08:50 AM 1234841

विश्व में भारत की बढ़ती साख से पड़ोसी देश खार खाए बैठे हैं। जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे विश्व में भारत का झंडा गाड़ रहे हैं उससे सबसे अधिक चीन और पाकिस्तान परेशान है, जबकि मोदी की मंशा अपनी सामरिक शक्ति का प्रदर्शन नहीं बल्कि विश्व में दोस्ती का माहौल निर्मित करना हैै। लेकिन भारत की दिन प्रति दिन बढ़ती साख से घबराए चीन और पाकिस्तान ने आपसी दोस्ती कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। इसी कड़ में आगे बढ़ते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने  गिलगिट-बाल्टिस्तान से होते हुए चीन जाने वाले रणनीतिक सड़क मार्ग को बहाल करने के लिए करीब 27.5 करोड़ डॉलर की लागत से बनी पांच पाकिस्तान-चीन मित्रता सुरंगोंÓ का उद्घाटन कर दिया है। ये सुरंग 24 किलोमीटर लंबी पुनर्निर्माण परियोजना का हिस्सा है जो तीन वर्ष में चीन के सहयोग से पूरी हुई हैं। पाकिस्तान और चीन के बीच दोस्ती अब और गहरी हो गई है। इस दोस्ती को और दूर तक ले जाने के मकसद से पाक पीएम नवाज शरीफ ने 14 सितंबर को चीन के साथ लगने वाली पांच सुरंगों का उद्घाटन किया है। फौरी तौर पर तो इस प्रोजेक्ट से दोनों देशों के बीच व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा। खास बात है कि इन सुरंगों के बाद अब टूरिस्ट्स सीधे चीन से इस्लामाबाद पहुंच सकेंगे। सूत्रों की मानें तो चीन के लिए यह परियोजना तो खास है ही साथ ही साथ पाक के लिए भी इसकी अहमियत कम नहीं हुई है। यह नई परियोजना दोनों देशों के बीच रिश्तों को एक नया रंग देगी। लेकिन विश्व समुदाय को आशंका है कि ये सुरंगे चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।
जानकारों का कहना है कि दक्षिण एशिया में अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए चीन इन सुरंगों का इस्तेमाल कर सकता है। सबसे पहले तो चीन इन सुरंगों के माध्यम से पाकिस्तान के व्यापार पर अपना कब्जा जमाएगा, ताकि पाकिस्तानी अर्थ व्यवस्था पूरी तरह उसके हाथ में आ जाए। अभी तक जो पाकिस्तान अमेरिका के भरोसे चल रहा है, अब वह चीन पर आश्रित हो जाए। उसके बाद वह धीरे-धीरे पूरे पाकिस्तान पर कब्जा जमाने की कोशिश करेगा। अगर इस दौरान पाकिस्तान की तरफ से हस्तक्षेप की कोशिश होती है तो निश्चित रूप से युद्ध के हालात निर्मित होंगे। यानी यह सुरंग आगे चल कर दक्षिण एशिया में अस्थिरता का कारण बन सकती है। उधर, इस सुरंग के माध्यम से पाकिस्तान के खुंखार माफिया और आतंकी चीन में अपना नेटवर्क फैलाने की कोशिश करेंगे। वैसे तो उनकी मंशा चीन से होते हुए भारत के उतरी-पूर्वी  राज्यों में दस्तक देने की रहेगी, लेकिन इस दौरान वे चीन को भी तबाह करने की कोशिश जरूर करेंगे। कुल मिलाकर देखा जाए तो पाकिस्तान-चीन मित्रता सुरंगे दक्षिण एशिया में दोस्ती नहीं बल्कि दुश्मनी का कारक बनेंगी।
चीन और पाकिस्तान भारत के अच्छे पड़ोसी होने के बजाए भारत को मिटाने पर तुले हुए हैं। जहां पाकिस्तान बार-बार सीज फायर का उल्लंघन करता आ रहा है वहीं चीन भी एलएसी को लांघकर भारत  को युद्ध के लिए उकसा रहा है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि दोनों के इरादे अच्छे नहीं है। चीन-पाकिस्तान के बढ़ती दोस्ती कहीं भारत से कश्मीर न छीन ले। इस खतरे को भांपते हुए भारत को रूस और जापान, ईरान, अफगानिस्तान और मंगोलिया से मदद की गुहार लगा लेनी चाहिए क्योंकि चीन को जापान ही समुद्री सीमा पर दबा सकता है। चीन ने भारत पर हावी  होने की पूरी तैयारी कर ली है इसी सिलसिले में चीन ने हिमालयी क्षेत्र में हवाई अड्डा बनाने की योजना बनाई है। यह हवाई अड्डा विश्व का सबसे ऊंचा स्थान है। इस असैन्य हवाई अड्डे का निर्माण तिब्बत के नजदीक किया जा रहा है। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक 4,411 मीटर की ऊंचाई पर गार्जी तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में निर्माणाधीन दाओचेंग यादिंग एयरपोर्ट सिचुआन प्रांत के तहत आता है। चीन तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में अभी तक पांच हवाईअड्डों का निर्माण कर चुका है जो गोंगर, ल्हासा, बांगदा, क्षिगेज और नगारी में स्थित हैं।  तिब्बत में हवाई अड्डों के साथ ही रेल व सड़कों का तेजी से विकास किए जाने से भारत में चिंता पैदा हुई है क्योंकि चीन को इन ढांचागत सुविधाओं के माध्यम से अपनी सेना को भारत के नजदीक तैनात करने में मदद मिलेगी।  चीन से जंग हुए आज पचास साल हो गए हैं। 1962 में भारत हथियारों से लेकर तैयारियों के मोर्चे पर मात खा गया था। भारत ढांचागत विकास के मोर्चे पर भी चीन से बहुत पीछे है। चीन ने भारत की सीमा से लगे अपने इलाकों में बेहतरीन सड़कें बना दी हैं जबकि सरहद पर भारत की तैयारियों पर जानकारों से लेकर रक्षा मामलों की संसदीय समिति भी सवाल उठा चुकी है। हालांकि जानकार ये भी मानते हैं कि अब हालात 1962 से काफी अलग हैं, लेकिन फिर भी चीन भारत से काफी आगे है।
इन सबके बीच पाकिस्तान में बैठे आतंकी भी भारत में जेहाद की जोरदार तैयारी कर रहे हैं। हाफिज सईद की हर जुमे पर होने वाली सभा जुम्मा बाजार की ही तरह लाहौर के लिए एक नियमित घटना बन चुकी है, जिसमें मु_ियां लहराई जाती हैं और भारत के खिलाफ  नफरत भरी बातें कही जाती हैं। इस सभा के बाद हालांकि जो होता है, वह कहीं ज्यादा दिलचस्प है। सईद के युवा श्रोता सभागार से निकलने के बाद एक लाइब्रेरी के पास जाते हैं जहां जेहादी साहित्य, सईद के व्याख्यानों वाली सस्ती सीडी, इस्लामिक किताबों और टी-शर्टों की बिक्री होती है। टी-शर्ट पर लिखा होता है, इंडिया का जो यार है, गद्दार है, गद्दार है और जेहाद इज माइ लाइफ। छोटी-छोटी मेजों के पीछे बैठे जेयूडी के तीन कार्यकर्ताओं के पास वे जाते हैं। ये युवा अपना नाम, पता, फोन नंबर और शैक्षणिक योग्यता मोटे-मोटे रजिस्टरों में कतार लगाकर दर्ज करते हैं। यह जगह जेयूडी का रोजगार केंद्र कही जा सकती है।
-कुमार शैलेष

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