02-Oct-2015 08:36 AM
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मप्र में पिछले दो साल से डेंगू और स्वाइन फ्लू का कहर इस कदर फैला हुआ है कि सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम हो रही हैं। पिछले साल इन दोनों बीमारियों से प्रदेश में सैकड़ों मौत होने के बाद भी

विभाग अभी चेता नहीं है। आलम यह है कि स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा मंत्री से अधिक सरकार के प्रवक्ता के तौर पर अधिक सक्रिय दिखते हैं और विभाग की जिम्मेदारी एक स्टेनोग्राफर वीरेन्द्र पाण्डे को सौंप रखी है। इसका असर यह देखने को मिल रहा है कि विभाग के चिकित्सकों, अफसरों और कर्मचारियों में जितना पांडेय का भय है उतना नरोत्तम मिश्रा का नहीं। पांडे पर नरोत्तम मिश्रा की उदारता का कोई ओर छोर नहीं है। पांडे स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा के विश्वसनीय हैं, पिछले 10 वर्षों से मंत्री दफ्तर संभाल रहे हैं और सरकार ने उनके आदेश भी नहीं किए। परंतु वे ही सर्वेसर्वा हैं। उनके घर पर सुबह से ही डॉक्टरों की लंबी कतार लग जाती है। इन्हें मंत्री से ज्यादा वजनदार माना जाता है। पीए के साथ ही राजनीतिक सलाहकार का भी काम करते हैं। ऐसे में प्रदेश में डेंगू और स्वाइन फ्लू की तरफ ध्यान देने की बजाय पूरा स्वास्थ्य अमला पांडे की जी हजूरी में लगा रहता है।
मंत्री अपने विभाग और प्रदेश की आवाम के प्रति कितने संवेदनशील हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब पूरा प्रदेश डेंगू और स्वाइन फ्लू की दहशत से खौफजादा है। अस्पतालों में अव्यवस्थाओं की शिकायतें आ रहीं हैं। मरीजों को प्राइवेट अस्पतालें में रेफर किया जा रहा है। ऐसे में सरकारी आंकड़ों के अनुसार जब मौत का आंकड़ा 16 के पार पहुंचा तो मंत्री ने राजधानी के अस्पतालों के निरीक्षण की औपचारिकता की। औपचारिकता इसलिए कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्री ने महज 5 मिनट में अस्पताल का निरीक्षण कर लिया। यह तो महज एक उदाहरण है, मंत्री जी इसी तरह अस्पतालों का दौरा करते हैं। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि मंत्री जी को खुद से अधिक पांडेय पर भरोसा है और रोज शाम को पांडे जी पूरे विभाग की राम कहानी मंत्री को बता देते हैं और मंत्री खुश हो जाते हैं। उल्लेखनीय है कि मप्र का स्वास्थ्य विभाग सबसे अधिक संवेदनशील और सबसे बड़े बजट वाला विभाग है। इस विभाग में कदम-कदम पर भ्रष्टाचार होता है। इस विभाग में भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डूबकी लगाने के लिए अफसर तत्पर रहते हैं। ऐसे में जब विभाग की कमान एक स्टेनोग्राफर के पास है तो सहज ही समझा जा सकता है कि विभाग को किस तरह निचोड़ा जा रहा है। अब तो जनता को लगने लगा है कि मंत्री जनता एवं विभाग की जिम्मेदारी के प्रति वफादार नहीं है।
जनता धीरे-धीरे यह जरूर विश्वास करने लगी है कि वे भ्रष्ट अधिकारियों के परमभक्त है। वैसे तो वीरेन्द्र पांडे को मंत्री के निजी स्टाफ में आने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े थे पर मंत्री जी के एक दोस्त प्रमोटी आईएएस अफसर के परम कृपा के कारण मंत्री जी ने भी हार नहीं मानी और पांडे जी को अपनी टीम में शामिल कर ही लिया। इन्हीं पांडे और दूसरों के कारण मंत्री जी को आयकर विभाग से भी सामना करना पड़ा था। हालांकि मामला अभी सुलझा नहीं है। परंतु लंगूर कितना बूढ़ा हो जाए गुलाटी खाना नहीं भूलता। इसी तर्ज पर मंत्री जी ने अपनी सारी चाबियां पांडे जी को दे रखी है।
टीम से नहीं बना पा रहे तालमेल
जनवरी-फरवरी में जब प्रदेश में स्वाइन फ्लू अपना कहर बरपा रहे थे उस समय नरोत्तम मिश्रा ने कई बार आरोप लगाए कि तत्कालीन प्रमुख सचिव प्रवीण कृष्ण उनके साथ तालमेल बैठाकर काम नहीं कर रहे हैं। इसके बाद स्वाइन फ्लू के संक्रमण को रोक पाने में स्वास्थ्य विभाग के नाकाम रहने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं मैदान में उतरे और जेपी तथा हमीदिया अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा और तत्कालीन प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण को कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि, वे बयानबाजी से बाज आएं और हकीकत से उन्हें अवगत कराएं। उसके बाद प्रवीर कृष्ण तो सक्रिय दिखे लेकिन मंत्री गायब रहे। उस समय माना जाता था कि प्रवीर कृष्ण की कार्य करने की शैली ऐसी है जिसमें हर कोई फिट नहीं बैठ सकता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के वर्तमान अफसरों की टीम इतनी बेहतर है कि प्रमुख सचिव गौरी सिंह के नेतृत्व में पूरी तत्परता से योजनाओं और निर्देशों के क्रियान्वयन में जुटा हुआ है। लेकिन फिर भी नरोत्तम अपने अफसरों के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं। यानी यूं भी कह सकते हैं कि बिठाना नहीं चाहते। विभाग की प्रमुख सचिव रोजाना प्रदेशभर में डेंगू और स्वाइन फ्लू के मामलों की मॉनीटरिंग कर रही हैं। उन्होंने विभाग के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को निर्देशित कर दिया है कि एक-एक मामले की रिपोर्ट मुख्यालय पहुंचाई जाए। विभाग की सक्रियता का ही परिणाम है कि जहां पिछले साल इस समय तक डेंगू और स्वाइन फ्लू पूरे प्रदेश में कहर बरपा रहा था। वहीं इस बार वह फिलहाल कंट्रोल में है।
-भोपाल से अजयधीर