कब तक होती रहेंगी संवेदनाएं तार-तार
02-Oct-2015 08:30 AM 1235029

भारत भले ही पुरूष प्रधान देश है, फिर भी यहां महिलाओं की घर, आंगन और देहरी पर पूजा होती है। लेकिन जब वही महिला देहरी लांघकर बाहर निकलती है तो उनकी संवेदनाएं तार-तार कर दी जाती है।  आलम यह है कि महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार जितने कदम उठा रही है उनके खिलाफ अपराध उतने ही बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ  अपराध के मामले दोगुने से भी अधिक हुए हैं। पिछले दशक के आंकड़ों पर आधारित इंडियास्पेंड के विश्लेषण के मुताबिक पिछले दशक में महिलाओं के खिलाफ  अपराध के कम से कम 2.24 मिलियन मामले दर्ज करे गए हैं। हर घंटे महिलाओं के खिलाफ  अपराध के 26 मामले या हर दो मिनट में एक शिकायत दर्ज होती है।
आधुनिकता के घोड़े पर सरकार समाज की संवेदनाएं इतनी गिर गईं हैं कि वह यह नहीं देख रहा है कि उसकी काम पिपासा की भेंट चढऩे वाली कन्या, युवती, महिला से उसका क्या संबंध है। अब तो आलम यह है कि महिला न तो घर पर सुरक्षित है और न ही बाहर। इस साल मार्च में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के गंगनापुर में एक 72 साल की नन के साथ गैंगरेप किया गया। नन के साथ इस वहशियत को स्कूल में लूटपाट करने आए गैंग के सदस्यों ने अंजाम दिया। इस घटना को लेकर पूरे देश में प्रदर्शन हुआ। लेकिन जून मध्य में रायपुर के एक मिशनरी अस्पताल में मूल रूप से केरल की रहने वाली नर्स के रूप में कार्यरत एक 45 साल की नन के साथ दो अज्ञात लोगों ने हाथ-पैर बांधकर गैंगरेप किया है। ये कुछ उदाहरण है जो यह दर्शा रहे हैं कि सेवाकर्म में लगी महिलाओं के प्रति भी हमारे समाज की नियत कितनी घृणित है।
पिछले कुछ सालों में जिस तेजी से महिलाओं के खिलाफ  अपराध में बढ़ोतरी हुई है इससे मध्य प्रदेश राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश में महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। महिलाओं में पहले से मौजूद असुरक्षा की भावना तो बढ़ी ही है, अपराधियों में भी पुलिस का भय खत्म सा हो गया है। महिलाओं के साथ लूट-डकैती, झपटमारी, हत्या, बलात्कार, एसिड हमला, छेडख़ानी जैसे अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। राजधानी में महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता में है। वहीं माता-पिता कॉलेज और स्कूल जाने वाली अपनी लड़कियां को समय से आने-जाने के प्रति ज्यादा जोर देने लगे हैं।

पुलिस का रवैया ठीक नहीं
तेजी से बढ़ते अपराध का प्रमुख कारण शुरुआती दौर में पुलिस का टालमटोल का रवैया अपनाना। पुलिस कार्रवाई तब करती है जब घटना गंभीर रूप ले लेती है। बातचीत में महिलाओं ने बताया कि पुलिस को अपनी कार्यशैली में बदलाव लाना होगा। इसके अलावा सरकार को बयानबाजी के बजाए महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुख्ता कदम उठाने चाहिए। बयानबाजी से सुरक्षा नहीं होती। देश में जिस तरह से अपराध बढ़ रहे हैं समाज भी इसे स्वीकार करता जा रहा है। समाज की प्रतिक्रिया इनके प्रति कम होती जा रही है। दिल्ली का निर्भया कांड को लेकर समाज जिस तरह से उठ खड़ा हुआ था उसके बाद उससे भी जघन्य अपराध हुए। लेकिन समाज की प्रतिक्रिया इनके प्रति उतनी विरोधी नहीं थी जितनी होनी चाहिए। बढ़ते अपराधों ने महिलाओं के मन में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। महिलाएं अक्सर ये बात भी सोचती है कि अगर हमारे साथ कोई हादसा हो गया तो कोई हमारी मदद के लिए आगे आएगा या नहीं। इसी सोच के चलते महिलाएं कोई भी कदम नहीं उठाती हैं।
देश में सुरक्षा की दृष्टि से सबसे सुरक्षित माने जाने वाले भोपाल में एक महिला के साथ चलती बस में दुष्कर्म किया किया जाता है। महिला किसी तरह बस से फरार होने में कामयाब हुई और सूचना पुलिस को दी। हालांकि अपराधी पकड़ा गए हैं। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर कब तक महिलाओं को इस तरह की जिल्लत का सामना करना पड़ेगा। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2014 के जो आंकड़े सामने आए हैं उससे पता चलता है कि देश भर में 36,735 बलात्कार के प्रकरण दर्ज किए गए, जिनमें सर्वाधिक मध्यप्रदेश के 5 हजार 76 प्रकरण हैं। इसके बाद राजस्थान दूसरे स्थान पर जहां 3759 और तीसरे स्थान पर उत्तरप्रदेश है जहां 3467 बलात्कार के प्रकरण दर्ज हुए। बलात्कार के साथ-साथ मध्यप्रदेश महिला उत्पीडऩ व अपराध के मामले में भी अव्वल रहा, जहां 15170 प्रकरण दर्ज हुए। इसके बाद दूसरा स्थान महाराष्ट्र का, जहां 15029 और तीसरे स्थान पर उत्तरप्रदेश है। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहलाने वाला अपना इंदौर महिला अपराध और बलात्कार के मामले में अन्य शहरों की तुलना में अव्वल रहा है। लिहाजा आइने को सामने से हटाने की बजाय चेहरा सुधारने की कवायद होना चाहिए।
-कमलेश दवे

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^