फिर फर्राटाÓ भरेंगी दुती चंद
16-Sep-2015 02:20 PM 1234775

भारतीय युवा स्प्रिंटर दुती चंद एक बार फिर ट्रैक पर फर्राटा भरती नजर आएंगी। स्पोर्ट्स के क्षेत्र में सबसे बड़ी अदालत कोर्ट ऑफ आर्बिटेशन फॉर स्पोर्ट्स (कैस) ने इस युवा धाविका को राहत देते हुए फिर से करियर शुरू करने की इजाजत दे दी है। कैस ने भारतीय एथलेटिक्स महासंघ और अंतरराष्ट्रीय महासंघों के एथलेटिक्स संघ (आईएएएफ) द्वारा इस एथलीट पर लगाए प्रतिबंध को दो साल के लिए टाल दिया है। इस फैसले के बाद अब यह दुती राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले सकती हैं। आईएएएफ ने दो साल पहले दुती के शरीर में हाइपरैंड्रोजेनिज्म की अधिक मात्रा में पाए जाने के चलते प्रतिबंध लगा दिया था। यह हार्मोन पुरुषों वाले गुण विकसित करता है। जिसके कारण दुती पर पुरु ष होने का आरोप लगाया गया था। प्रतिबंध के खिलाफ भारतीय धाविका ने कैश में अपील दायर की थी। जिसके बाद कैस ने आईएएफ के नियमों के खिलाफ दुती की अपील को आंशिक तौर पर सही पाया। कैस ने हाइपरैंड्रोजेनिज्म नियम को निलंबित किए जाने के बाद दुती को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की छूट दे दी। साथ ही कहा कि यदि आईएएएफ कैस द्वारा दिए गए दो साल के समय के अंदर कोई वैज्ञानिक सबूत पेश नहीं करता तो हाइपरैंड्रोजेनिज्म नियम को खत्म माना जाएगा। हालांकि यह ऐसा पहला मामला नहीं है। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका की एथलीट सेमेन्या पर भी ऐसे ही आरोप लग चुके हैं। बरी होने के बाद सेमेन्या ने 2012 लंदन ओलंपिक में 800 मीटर स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीतकर शानदार वापसी की।
मेडिकल भाषा हाइपरैंड्रोजेनिज्म में वह स्थिति है जब शरीर में एंड्रोजेनिज्म हार्मोस की मात्रा बढ़ जाती है। यह हार्मोन ही इंसान में पुरुषों वाले गुण विकसित करता है। सबसे कॉमन एंड्रोजेनिज्म हार्मोन टेस्टोस्टेरोन है। दुती के शरीर में इस हार्मोन की मात्रा ज्यादा पाई गई थी। जिसके बाद आईएएएफ ने इस धाविका पर प्रतिबंध लगा दिया था। हाइपरैंड्रोजेनिज्म में शरीर से टेस्टोस्टेरोन अत्यधिक मात्रा में निकलते हैं जिससे महिलाओं में पुरुष जैसे लक्षण बढ़ जाते हैं। ऐसा हार्मोन की वजह से होता है और महिला में सामान्य से अधिक टेस्टोस्टेरोन बनता है। दुती चंद के टेस्ट में भी ऐसा ही पाया गया था। जिसके चलते पिछले साल कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स से ठीक पहले इस धाविका पर प्रतिबंध लगाया दिया गया। इसके बाद दुती ने आईएएएफ के लिंग परीक्षण से जुड़े नियम के खिलाफ कैस में अपील की थी।
दुती ने आईएएएफ के फैसले को कैस में चुनौती दी और फैसला भी इस एथलीट के पक्ष में आया। कैस ने कहा कि हार्मोन की वजह से किसी महिला में सामान्य से अधिक मात्रा में टेस्टोस्टेरान बनता है तो ऐसे में उसे पुरुष करार देना गलत है। अदालत ने कहा कि इसके कोई स्पष्ट सबूत नहीं है कि दुती ने अन्य की तुलना में टेस्टोस्टेरोन स्तर में बढ़ोतरी का फायदा उठाया। कैस ने कहा कि आईएएएफ को महिलाओं के लिए टेस्टोस्टेरोन का लेवल भी तय करना चाहिए। यदि आईएएएफ दो साल के समय के अंदर कोई वैज्ञानिक सबूत पेश नहीं करता तो हाइपरैंड्रोजेनिज्म नियम को खत्म माना जाएगा। ऐसे में आईएएएफ को अपना फैसला वापस लेना होगा। इस पर दलील देते हुए आईएएएफ ने कहा कि यह नियम अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी से बातचीत के बाद ही बनाए गए हैं। 
दुनिया के सबसे तेज धावक जमैका के उसैन बोल्ट को अपना आदर्श मानने वाली दुती चंद का जन्म 3 फरवरी 1996 को ओडिशा के चक्र गोपालपुर गांव के एक गरीब जुलाहे के यहां हुआ। 19 वर्षीय दुती पहली बार तब सुर्खियों में आयी जब 2012 में इस धाविका ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप के अंडर-18 वर्ग में महज 11.8 सेकेंड में 100 मीटर की दूरी तय कर ली। इसके बाद दुती ने पुणो में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में 200 मीटर का फासला 23.811 सेकेंड में तय कर ब्रांज मेडल जीता। इसी साल दुती ग्लोबल एथलेटिक्स की फर्राटा रेस के फाइनल्स में स्थान बनाने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनीं। 2013 में वह भारतीय एथलीट वल्र्ड यूथ चैंपियनशिप के 100 मीटर रेस के फाइनल्स में पहुंचने में सफल रही। इसी साल दुती ने रांची में आयोजित सीनियर राष्ट्रीय एथलेयिक्स चैंपियनशिप में 11.73 सेकेंड में 100 मीटर और 23.73 सेकेंड में 200 मीटर रेस जीतकर गोल्ड मेडल जीता था। 
कैस से राहत मिलने के बाद इस प्रतिभावान एथलीट ने अपना अगला लक्ष्य रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने का बनाया है। दुती कहती हैं कि, यह मेरे जीवन का सबसे खुशी का पल है। कोर्ट के निर्णय आने तक मैं नहीं जानती थी कि भविष्य में क्या होने वाला है। जैसे ही मुझे कैस के निर्णय के बारे में पता चला मैंने बहुत राहत महसूस की। मुझे लगा कि अब मैं फिर अपनी पुरानी जिंदगी में लौट सकती हूं। प्रतिबंध के बाद ट्रैक से दूर रहना मेरे लिए बेहद मुश्किल दौर था। मेरा भविष्य अनिश्चित सा हो गया था लेकिन अब मुझे राहत है।Ó ओडिशा की इस बाला ने कहा कि मैं जल्द ही अपनी ट्रेङ्क्षनग शुरू कर दूंगी और मेरा अगला लक्ष्य 2016 में होने वाले रियो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करना है।

-आशीष नेमा

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^