17-Sep-2015 06:49 AM
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इलाहाबाद और नासिक कुंभ की तैयारियां छह महीने पहले पूरी हो गई थीं। मेला प्रशासन ने बड़े निर्माण पूरे कर मेला क्षेत्र में भी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया था। इसका फायदा यह

मिला कि साधु संतों के आते ही उन्हें सुविधाएं मिलनी शुरू हो गई जिससे उनके बीच बेहतर सामंजस्य नजर आया। सिंहस्थ 22 अप्रैल 2016 से शुरू हो जाएगा। मात्र सात महीने का समय शेष बचा है और तैयारियां अधूरी हैं। हालांकि सिंहस्थ मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष दिवाकर नातू ने अक्स से चर्चा में दावा किया कि जनवरी तक हम सारी तैयारियां पूरी कर लेंगे।
उज्जैन में सिंहस्थ की तैयारियों की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं और अफसर कागजी घोड़े दौड़ा कर निर्माण कार्यों के पिछडऩे की हकीकत छुपा रहे हैं। आलम यह है कि अभी तक बड़े निर्माण कार्य भी पूरे नहीं हो पाए हैं। इन्हें पूरा करने के साथ प्रशासन को मेला क्षेत्र में अस्थायी काम भी करने हैं। यानी अधिकारियों पर दोहरी जिम्मेदारी आने वाली है। इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए वे लामबंद नजर नहीं आ रहे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार सिंहस्थ के लिए 2088.85 करोड़ रूपए की राशि मंजूर की गई है। इसमें से अब तक 659.91 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं जिसमें से 536.27 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं। ये आंकड़े ही इस बात के सबूत हैं कि काम किस गति से चल रहा है। सिंहस्थ के लिए 425 निर्माण कार्य स्वीकृत किए गए हैं जिसमें से अभी तक केवल 80 कार्य ही पूरे हो सके हैं, जबकि 195 कार्य अभी चल रहे हैं। संभागायुक्त डॉ. रवींद्र पस्तोर ने अब फैसला किया कि मौके पर जाकर ही अधिकारियों के साथ कामों की समीक्षा की जाएगी ताकि कागजी घोड़े दौड़ा रहे अधिकारियों के सामने हकीकत पर वन टू वन बात की जा सके। अभी हाल ही में संभागायुक्त ने मेला कार्यालय स्थित सभागार में खाद्य विभाग, वन विभाग, पर्यटन विभाग और जनसम्पर्क विभाग के कार्यों की समीक्षा की और तैयारियों को लेकर हो रही देरी पर अधिकारियों की जमकर क्लास ली है। उन्होंने अधिकारियों से कहा है 2004 के सिंहस्थ में आपने क्या किया था, क्या नहीं किया था, यह कहानी न सुनाएं। सिंहस्थ-2016 के लिए आपकी क्या तैयारियां हैं, ये बताएं।
बताया जाता है कि समीक्षा के दौरान यह भी तथ्य सामने आया कि कई निर्माण कार्य पिछड़े हुए हैं। सिंहस्थ के दौरान महाकालेश्वर मंदिर पर दर्शनार्थियों का सबसे ज्यादा दबाव रहेगा। मंदिर के आसपास विक्रम टीला, महाकाल वन प्रोजेक्ट और मंदिर विकास के काम चल रहे हैं। नया निर्गम द्वार भी बन रहा है। रुद्रसागर गहरीकरण और विकास की गति धीमी है। महाकाल वन में इन्टरप्रिटेशन सेंटर, पाथ-वे, कॉरिडोर, फेसिलिटी सेंटर का निर्माण भी चल रहा है। मंदिर के आसपास व भीतर चल रहे कामों को अब तेजी से पूरा करना जरूरी है ताकि दर्शनार्थियों को सुविधा मिले। नातू कहते हैं कि सिंहस्थ की तैयारियां समय सीमा में पूरी करने के लिए लगातार समीक्षा की जा रही है। बड़े निर्माण और मेला क्षेत्र के अस्थायी कामों की समय सीमा तय है। अभी ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है कि कोई काम निर्धारित समय पर पूरा नहीं होगा। जबकि जानकारों का कहना है कि यहां पीडब्ल्यूडी द्वारा तीन फोरलेन व पांच टू लेन सहित करीब 80 सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से इंजीिनयरिंग कॉलेज फोरलेन को छोड़कर बाकी सड़कों के काम पूरे नहीं हुए है। सिंहस्थ के लिए पीडब्ल्यूडी 9 पुलों का निर्माण कर रहा है। इनमें से केवल मंगलनाथ के पीछे बना पुल पूरा हो पाया है। बाकी के पुलों का काम धीमी गति से चल रहा है। जीरो पाइंट ओवरब्रिज की स्वीकृति 2012 में हो चुकी थी लेकिन ये अब तक अधूरा है। मेला क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण चिंतामन रोड वाला ओवरब्रिज व नृसिंहघाट पुल भी अधूरा है। इन्हें देख कर अफसरों की चिंता बढ़ रही है। वहीं मेला क्षेत्र को साफ सुथरा रखने के लिए मेला क्षेत्र में सीवर लाइन डाली जाना है। 2004 में सीवर लाइन नहीं डालने के कारण पड़ाव स्थलों में गंदा पानी फैलने से कीचड़ मचा था और प्रशासन को साधु संतों की नाराजगी का शिकार होना पड़ा था। सीवर लाइन डालने की मंजूरी हो जाने के बावजूद अब तक काम शुरू नहीं हुआ है। पीएचई सिंहस्थ डिविजन को यह काम नवंबर-दिसंबर तक पूरा करना है।
शिप्रा नदी में मिलने वाली इंदौर की प्रदूषित खान नदी के गंदे पानी को पाइप लाइन के माध्यम से 19 किलोमीटर दूर ले जाने की 90 करोड़ रु की योजना सिंहस्थ के पहले पूरी होती नहीं दिख रही। अधिकारियों ने इसे दिसंबर 15 तक पूरा करने का दावा किया हैं। योजना पूरी नहीं होती है तो खान का गंदा पानी शिप्रा को प्रदूषित करेगा। सिंहस्थ को देखते रेलवे के स्थायी काम चल रहे हैं। रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म पर नए फुट ओवरब्रिज व अन्य सुधार कार्य के अलावा नीलगंगा क्षेत्र में नया ब्रिज व निर्गम द्वार बनाया जाना है। इसकी रफ्तार धीमी है। उज्जैन-फतेहाबाद मीटर गेज का फैसला नहीं हो पाया है। संभागायुक्त डॉ. रवींद्र पस्तोर ने बताया कि 2004 की अपेक्षा इस बार का सिंहस्थ बड़े स्तर पर आयोजित किया जा रहा है। सिंहस्थ में विश्व के लगभग 100 देश से करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना। इस बार स्विस टैंटों में आगन्तुकों के लिए 5 सितारा व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि 23 हजार पुलिस बल तथा प्रशासनिक व्यवस्थाओं में 80 हजार की तैनाती होगी। इसमें 60 हजार वॉलेंटियर्स शामिल हैं। निर्माण कार्यो की लगातार समीक्षा हो रही है।
-उज्जैन से श्याम सिंह सिकरवार