16-Sep-2015 01:52 PM
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नक्सलियों के आतंक से हमेशा दहशत में रहने वाले छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के चकरभाठा में एशिया का सबसे बड़ा और देश की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण कमांडो प्रशिक्षण संस्थान की

स्थापना की जाएगी। ट्रेनिंग सेंटर में देश के अलावा एशिया के प्रमुख देशों से चुनिंदा सैनिकों को कमांडो की ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रशिक्षण संस्थान रक्षा मंत्रालय के आला अफसरों की देखरेख में संचालित होगा। चकरभाठा में प्रस्तावित बेसकेंट के लिए राज्य शासन ने 926.99 एकड़ जमीन रक्षा मंत्रालय के हवाले कर दी है। रक्षा मंत्रालय ने बीते दिनों जमीन को अपने कब्जे में ले लिया है। जल्द ही मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के तकनीकी विशेषज्ञों की देखरेख में निर्माण शुरू होगा। सीमांकन के दौरान सेना के प्रमुख अधिकारियों के संपर्क में रहे जिला प्रशासन के आला अफसरों की मानें तो बेसकेंट में तीन महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना का निर्णय सेना ने लिया है। थल
सेना की दो महत्वपूर्ण विंग की स्थापना भी की जा रही है।
कमांडो प्रशिक्षण संस्थान के लिए उड्डयन विंग का संचालन भी यहीं से किया जाएगा। ये दोनों संस्थान देश और एशिया के नक्शे पर बने अब तक के संस्थानों में सबसे बड़ा और खास महत्व लिए होगा। कमांडो प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण लेने वाले सैनिकों की संख्या सीमित रहेगी। चकरभाठा बेसकेंट में शिमला और लखनऊ की दो महत्वपूर्ण विंग को भी स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया है। जानकारी के अनुसार शिमला और लखनऊ में सैन्य गतिविधियों के स्थापित संस्थानों में जगह की कमी बनी हुई है। लिहाजा इन जगहों की विंग को यहां स्थानांतरित किया जाएगा।
बेसकेंट के संचालन के साथ ही यहां 10 हजार सैनिकों की हर समय मौजूदगी रहेगी। देश के किसी हिस्से में कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होने पर यहां से सैनिक भेजे जाएंगे। आपातकालीन परिस्थितियों में इन सैनिकों को देश के किसी भी हिस्से में भेजा जा सकेगा। सैनिकों के साथ ही उड्डयन का पूरा विंग इमजरजेंसी लैंडिंग के लिए हर वक्त तैयार रहेगा। एसडीएम, बिल्हा अर्जुन सिंह सिसोदिया ने बताया कि जबलपुर स्टेट अफसरों की टीम ने रक्षा मंत्रालय को जमीन व दस्तावेज सौंप दिया है। अब निर्माण कार्य जल्द प्रारंभ होगा। रक्षा मंत्रालय द्वारा यहां तीन महत्वपूर्ण संस्थान निर्माण की योजना बनाई गई है। एशिया का सबसे बड़ा कमांडो ट्रेनिंग सेंटर के अलावा थल सेना का उड्डयन विंग की स्थापना की भी तैयारी है। देश के नक्शे पर चकरभाठा का महत्वपूर्ण स्थान हो जाएगा। चकरभाठा के मिलिट्री बेसकेंट में सेना के लिहाज से एशिया के दो सबसे बड़े संस्थानों की स्थापना होगी। इनमें कमांडो ट्रेनिंग सेंटर के अलावा थल सेना का महत्वपूर्ण विंग उड्डयन शामिल हैं। कानून व्यवस्था और आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने व सीधा मुकाबला करने और स्थितियों को नियंत्रित करने में थल सेना की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। विपरीत परिस्थितियों में हो या फिर आंतकवादी घटनाओं और आतंकियों को काबू में रखने के लिए जब भी जरूरत पड़ी है, थल सेना के जांबाज सैनिक ही आगे आए हैं और मिशन को सफलतापूर्वक पूरा भी करते रहे हैं। सेना का यही महत्वपूर्ण उड्डयन विंग अब चकरभाठा के मिलिट्री बेसकेंट में नजर आएगी। सिसोदिया कहते हैं कि हवाई पट्टी के लिए राज्य शासन ने अपनी स्वामित्व वाली 339 एकड़ जमीन सेना के हवाले कर दी है। वर्तमान में चकरभाठा की हवाई पट्टी डेढ़ किलोमीटर की है। सेना द्वारा पहले चरण में रनवे को दो किलोमीटर किया जाएगा। इसके बाद इसे तीन किलोमीटर तक विस्तारित किया जाएगा। तीन किलोमीटर लंबा रनवे होने की स्थिति में यहां थल सेना के अलावा वायु सेना का विंग भी पूरे समय तैनात रहेगा। कमांडो ट्रेनिंग सेंटर होने के कारण हर वक्त चकरभाठा के आसमान में सेना के हेलिकाप्टर के अलावा एयरोप्लेन भी उड़ते नजर आएंगे। मिलिट्री बेसकेंट के लिए कार्ययोजना बनाने जल्द ही मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमईएस) के आला अफसरों की टीम चकरभाठा आने वाली है। इनकी देखरेख में वर्क प्लान बनाने के साथ ही ड्राइंग डिजाइन भी बनाई जाएगी। इसके साथ ही कामकाज प्रारंभ होगा।
छत्तीसगढ़ के नक्सल मोर्चे पर अब पहाड़ों के लड़ाके मुकाबला करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रदेश में आईटीबीपी की पांच बटालियन की स्वीकृति दी थी, जिसमें से पहली बटालियन एक-दो दिन में प्रदेश में पहुंचने वाली है। यह जवान विशेष ट्रेन से राजधानी पहुंचेंगे, जहां से उनको कांकेर के जंगलवार फेयर कॉलेज भेजा जाएगा। माउंटेन वारफेयर में ट्रेंड आईटीबीपी के जवानों को वहां ट्रेनिंग दी जाएगी और 1000 जवानों का इंडक्शन कोर्स होगा। इसके बाद नारायणपुर और राजनांदगांव में तैनात किया जाएगा। एंटी नक्सल ऑपरेशन के आला अधिकारियों ने बताया कि आईटीबीपी के जवान राजनांदगांव में पहले से ही तैनात हैं।
-रायपुर से संजय शुक्ला के साथ टीपी सिंह