02-Oct-2015 07:45 AM
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धान के कटोरे के रूप में विख्यात छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ सालों से किसान मौसम की मार झेल कर बेहाल हो रहे हैं कि ऐसे में बीमा के नाम पर उनके 336 करोड़ रूपए हड़पने का मामला सामने

आया है। आरटीआई के तहत हुए खुलासे के बाद अब प्रदेश सरकार ने इस मामले को संज्ञान मेंं लिया है। मामला बीते साल किए गए 336 करोड़ की बीमा का है। जहां किसानों को बीमा के नाम पर ठगने का काम किया गया। सूचना के अधिकार से मिले दस्तावेज जिसने केंद्र और राज्य सरकार की वर्षा अधारित फसल बीमा में सवालियां निशान लगा दिया है।
दस्तावेजों से पता चलता है किस तरह से बीमा कंपनियों के साथ मिलकर सहकारी समितियां या कहे की सरकारी महकमे ने एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया है। इससे यह भी पता चलता है कि कैसे किसानों को ठगने का काम बीमा कंपनियों ने किया, मामले का खुलासा करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता रमाशंकर गुप्ता का आरोप है कि ये बड़ा आर्थिक अपराध है। दरअसल बीते वर्ष सरकार ने पूरे प्रदेश भर में 7 बीमा कंपनियों के माध्यम से 336 करोड़ का वर्षा आधारित फसल बीमा किसानों का कराया था।
इन बीमा कंपनियों ने किया था बीमा
1. आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी
बीमा क्षेत्र - रायपुर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, महासमुंद, कबीरधाम, सरगुजा
2. कृषि बीमा कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड
बीमा क्षेत्र- दुर्ग, बालोद, मुंगेली, जांजगीर, कांकेर
3. बजाज एलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड.
बीमा क्षेत्र- धमतरी, बेमेतरा, राजनांदगांव, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, कोरिया
4. चोलामंडलम् एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
बीमा क्षेत्र- सूरजपुर, जशपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा
5. यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
बीमा क्षेत्र- बलरामपुर, जगदलपुर, नारायणपुर
6. फ्यूचर जनरल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
बीमा क्षेत्र- कोण्डागांव
7. एचडीएफसी ईरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
अरबों लुटने के बाद आया नया चिटफंड कानून
छत्तीसगढ़ में चिटफंड का जाल फैलाकर निवेशकों को ठगने और लूटने वालों की अब खैर नहीं। राज्य सरकार ने दस साल पहले चिटफंड पर रोक लगाने की जो कोशिश की थी, उसे अब सफलता मिल गई है। चिटफंड व गैर-बैंकिंग कंपनियों की गैर-कानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के इरादे से विधानसभा में पारित छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005 को राज्यपाल व राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही प्रदेश में चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कड़ा कानून लागू हो गया है। इसके तहत अब धोखाधड़ी करने वालों को तीन से लेकर दस साल तक की कैद और दस लाख रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है। वित्त विभाग ने 18 सितंबर को इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए नियम भी जारी कर दिए हैं। वित्त विभाग के सचिव अमित अग्रवाल कहते हैं चिटफंड कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम के उपबंधों के क्रियान्वयन के लिए नियम जारी कर दिए गए हैं। धोखाधड़ी करने वाली गैर-वित्तीय कंपनियों की संपत्ति की अंतरिम कुर्की करने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों को सक्षम प्राधिकारी घोषित किया गया है। इन मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय के गठन का प्रस्ताव उच्च न्यायालय को भेजा गया है। ऐसे मामलों में पुलिस भी आईपीसी के तहत कार्रवाई कर सकेगी।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए वर्ष 2005 में छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित इस विधेयक को राज्यपाल द्वारा पुनर्विचार के लिए लौटाए जाने पर इसे जुलाई 2012 में दोबारा विधानसभा में मूलरूप में पारित किया गया था। इस विधेयक के लागू होने से अब प्रदेश में आम लोगों के साथ पैसों की धोखाधड़ी व ठगी करने वाली चिटफंड व गैर-बैंकिंग कंपनियों पर कार्रवाई की जा सकेगी। इस अधिनियम के तहत प्रदेश में कार्यरत वित्तीय कंपनियों को अपनी गतिविधियों, दस्तावेजों और जमाकर्ताओं से जमा कराई गई राशि की पूरी जानकारी संबंधित जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को दो महीने के भीतर उपलब्ध करानी होगी। इस कानून के तहत कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को लोगों से पैसे जमा कराकर भागने या धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों और उसके संचालकों के बैंक खाते तथा संपत्ति सीज करने का अधिकार रहेगा। इस कानून से धोखाधड़ी के मामलों में पीडि़तों को उनकी जमा राशि वापस दिलाने में पुलिस व प्रशासन को काफी मदद मिलेगी।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला