रक्षा उद्योग का हब बनेगा छत्तीसगढ़
01-Sep-2015 07:04 AM 1234898

नक्सल समस्या से जुझ रहे छत्तीसगढ़ को डिफेंस का नया हब बनाने के लिए सरकार ने कवायद तेज कर दी है। महीने भर पहले केंद्रीय रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर से मिले संकेत के आधार पर छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के प्रमुख शहरों में डिफेंस इंडस्ट्री (रक्षा संबंधी उद्योग) लगाने के लिए जगह की पहचान कर ली। रक्षामंत्री तथा मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के बीच हाल में सैद्धांतिक सहमति बनी है कि केंद्र सरकार के साथ रक्षा उद्योग के जो भी एमओयू होंगे, उसके क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ का ख्याल रखा जाएगा। इस आधार पर प्रशासनिक अमले ने नया रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ और राजनांदगांव में रक्षा उद्योग लगाने लायक जमीन चिन्हित कर ली है। राज्य शासन और डिफेंस इंडस्ट्री से जुड़ी एक कंपनी के साथ छत्तीसगढ़ में डिफेंस पार्क डेवलप करने के लिए एमओयू भी किया गया है। छत्तीसगढ़ में डिफेंस इंडस्ट्री लाने की कोशिश में शासन काफी आगे निकल गया है। ये तय हुआ है कि ऐसी डिफेंस इंडस्ट्री जिनके लिए ज्यादा जगह की जरूरत होगी, उन्हें नया रायपुर के अलावा बाकी शहरों में शिफ्ट किया जाएगा। जिन्हें ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं होगी, उन्हें नया रायपुर में भी जमीन दी जा सकती है। सरकारी अमले ने इसे ध्यान में रखकर बिलासपुर, रायगढ़ और राजनांदगांव में 200 से 400 एकड़ तक के प्लाट चिन्हित किए हैं। चूंकि मामला रक्षा से संबंधित है, इसलिए काफी गोपनीयता बरती जा रही है।

राज्य के उद्योग सचिव सुबोध सिंह ने बताया कि शासन और डिफेंस इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनी ईरेन सिस्टम्स के बीच एमओयू हुआ है। यह भी सैद्धांतिक तौर पर ही है। कंपनी ने छत्तीसगढ़ में स्टेट ऑफ द आर्ट अधोसंरचना के साथ एक डिफेंस टेक्नालॉजी पार्क डेवलप करने का ऑफर दिया है। लेकिन यह पार्क चारों शहरों में से जमीन की उपलब्धता के आधार पर विकसित किया जाना है। कंपनी इस पार्क में डिफेंस मेन्यूफेक्चरिंग क्लस्टर के अलावा डिफेंस रिसर्च लेब और टेस्टिंग फेसिलिटी भी डेवलप करेगी। खनिजों की मौजूदगी के मामले में बेहद समृद्घ राज्य छत्तीसगढ़ ने अब रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में कदम रख दिया है। माना जा रहा है कि मानव रहित हवाई वाहन ,जिन्हें आमतौर पर ड्रोन के नाम से जाना जाता है, के विनिर्माण के लिए राज्य में पहला संयंत्र लग सकता है। राज्य सरकार ने नई दिल्ली की कंपनी एसीएसजी की सहायक इकाई भारत ड्रोन्स के साथ करार किया है, जो सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में सेवाएं देती है। कंपनी ने यूएवी ड्रोन के नए कारोबार में प्रवेश किया है। यूएवी ड्रोन के लिए भारत एक उभरता बाजार है। यूएवी ड्रोन की जरूरत रक्षा बलों और सुरक्षा एजेंसियों के लिए होगी। उद्योग विभाग के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, कंपनी इस परियोजना पर 30 करोड़ रुपये निवेश करेगी। इस परियोजना के संबंध में अन्य जानकारियों का अभी इंतजार किया जा रहा है। राज्य सरकार ने यहां संयंत्र की स्थापना के लिए रक्षा निर्माण कंपनियों को आमंत्रित करने में दिलचस्पी दिखाई है। पिछले महीने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने रक्षा उत्पादन से संबंधित उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य में संभावनाओं के बारे में एक प्रजेंटेशन दिया था। रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वह इस मामले पर गंभीरता से विचार करेंगे। बैठक में शामिल हुए राज्य सरकार के वरिष्ठï अधिकारियों ने रक्षा मंत्री को बताया कि रक्षा उत्पादन से संबंधित उद्योगों के लिए राजनांदगांव जिले में लगभग 600 एकड़ जमीन चिह्निïत की गई है।

सरकार जहां एक तरफ प्रदेश में रक्षा उद्योग लगाने की तैयारी कर रही है वहीं इन दिनों छत्तीसगढ़ में मिनी स्टील प्लांट सरकार से जीवनदान की याचना कर रहे हैं। राज्य सरकार से विशेष राहत पैकेज की मांग कर रहे मिनी स्टील प्लांट दोहरे संकट से जूझ रहे हैं। छत्तीसगढ़ के लोहा उद्योग से केंद्र सरकार को सालाना छह हजार करोड़ का राजस्व मिलता है। मिनी स्टील प्लांट चला रहे उद्योगपतियों का आरोप है कि राज्य में स्टील प्लांटों के लिए तीन तरह की विद्युत दर प्रचलित है। मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सुराना कहते हैं, रायगढ़ में 2000 हेक्टेयर इलाके में फैले जिंदल पार्क में स्थापित मिनी स्टील प्लांटों को केवल 3.18 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। (जिंदल पार्क में स्थित मिनी स्टील प्लांटों को जिंदल स्टील एंड पॉवर बिजली सप्लाई करता है)। सिलतरा और बोरई के इंटीग्रेटेड स्टील प्लाटों को तीन रुपए से भी कम दर पर बिजली दी जा रही है। लेकिन उरला और सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र के 80 मिनी स्टील प्लांट बिजली के लिए छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल पर निर्भर हैं। विद्युत मंडल इन प्लांटों को 4.97 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली सप्लाई कर रहा है। इस दर में 360 रुपए प्रति केवीए पर लगने वाला डिमांड चार्ज और मिनी स्टील प्लाटों पर लगने वाला 6 प्रतिशत विद्युत शुल्क भी शामिल है।Ó अब स्टील प्लांट एसोसिएसन राज्य सरकार से मांग कर रही है कि डिमांड चार्ज को घटाकर 360 रुपए प्रति केवीए से 180 रुपए किया जाए।

-रायपुर से संजय शुक्ला

के साथ टीपी सिंह

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