12-Sep-2015 04:56 AM
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हर रोज अधिकारी छोड़ रहा सेना
सेना से अफसरों और जवानों के रिटायरमेंट (वीआरएस) लेने के मामले बढऩे से रक्षा मंत्रालय भी चिंतित है। आखिर वे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से युवाओं को सेना में नौकरी करना रास नहीं आ रहा है? पिछले साल 10 हजार से भी अधिक जवानों ने सेना से समय से पूर्व रिटायर होने का विकल्प चुना। एक तरफ जहां देश में बेरोजगारी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं सेना में शामिल ये युवा ऐसा कदम क्यों उठा रहे हैं? ये ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब भारतीय सेना सहित विशेषज्ञ करियर काउंसलर भी तलाश कर रहे हैं। जवानों के भारी संख्या में सेना की नौकरी छोडऩे की एक वजह अपने अधिकारियों से बढ़ती खटास को माना जा रहा है। कुछ साल पहले लद्दाख और सांबा में अधिकारियों और जवानों के बीच खूनी संघर्ष हुए थे। इसके पीछे जवानों के साथ अमानवीय व्यवहार को माना जाता है। कई युवा अपने परिवार की परंपरा को निभाने या पारिवारिक दबाव के कारण के लिए सेना में भर्ती हो जाते हैं, लेकिन वास्तव में उनकी रुचि किसी और क्षेत्र में होती है।
जानकारी के अनुसार 2013 में 10 हजार 201 जवानों ने फौज से नाता तोड़ लिया जबकि 2012 में 9 हजार 951, 2011 में 10 हजार 315 जवानों ने फौज से नाता तोड़ लिया, 2010 और 2009 में यह संख्या 7499 और 7249 थी। इस पर चिंता जताते हुए रक्षामंत्री का तर्क है कि फौज में पहले से ज्यादा पढ़े-लिखे जवान भर्ती हो रहे हैं, लेकिन 35 की उम्र तक आते-आते वे बेहतर करियर के लिए फौज छोडऩे का फैसला कर रहे हैं। हालांकि इस समस्या से सेना अपने स्तर पर निपट भी रही है, लेकिन देश के युवाओं को सेना में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना बेहद जरूरी है।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उत्तराखंड के हरिद्वार से भाजपा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को एक लिखित जवाब में बताया है कि सेना में 11 हजार अफसरों की कमी है। पर्रिकर ने बताया कि 2012 में 564, 2013 में 448, 2014 में 319 और 2015 में अब तक 97 अफसरों ने वीआरएस लिया है। सबसे ज्यादा 664 वीआरएस के मामले 2012 से 2015 के बीच सामने आए हैं। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल केके खन्ना ने इस मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, अक्सर प्रमोशन न मिलने की वजह से अफसर असंतुष्ट हो जाते हैं। ऊंची रैंक्स में कम मौके मिल पाते हैं और चुनिंदा अफसरों को ही प्रमोशन दिया जा पाता है। इस वजह से भी कभी-कभी अफसर दूसरा विकल्प तलाश करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। बहरहाल, रक्षा मंत्री के लिखित जवाब के मुताबिक आर्मी में अफसरों के 9,642 और अन्य रैंक्स के 23,909 पद खाली हैं। इसके अलावा, नेवी में अफसरों के 1,179 और सेलर्स के 11,653 पद खाली हैं। इसी तरह, एयर फोर्स में भी 6,664 एयरमैन के पद .से हैं जिन पर नियुक्तियां की जानी हैं। पर्रिकर के जवाब में यह बात भी सामने आई कि आर्मी में 68,331, नेवी में 2,247 और एयर फोर्स में 6,152 युवा ट्रेनिंग ले रहे हैं और जल्द ही सेना के मोर्चे से जुड़ जाएंगे। चीन की सैन्य संख्या 23 लाख पहुंच गई है, जबकि भारतीय सेना 12 लाख पर अटकी है। इसमें भी हजारों पद खाली हैं। एक तरफ चीन की चुनौती के चलते सैन्य बल बढ़ाने की जरूरत है, तो दूसरी तरफ खाली पदों को भरने की चुनौती। इससे निपटने के लिए आने वाले दिनों में सैन्य बल योग्य अफसरों की तलाश के लिए टैलेंट हंट शुरू कर सकते हैं। दरअसल, संसदीय समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय का ध्यान इस बारे में आकृष्ट कराया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सैन्य बलों में अफसरों की भारी कमी देश के लिए घातक हो सकती है, इसलिए अफसरों की कमी दूर करने के लिए भर्ती की पुरानी प्रक्रिया को बदलकर प्रतिभाशाली नौजवानों की खोज के लिए नई व्यवस्था शुरू की जाए। इस पर सरकार भी सहमत है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है, क्योंकि पूर्व में अफसरों की संख्या बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास हुए, लेकिन तीनों बलों में करीब 12 हजार अफसरों की कमी बनी हुई है। उधर, वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर आमरण अनशन कर रहे 8 सैनिकों की हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है। यहां चल रहे आंदोलन में रोजाना सैकड़ों पूर्व सैनिक देश के कोने-कोने से पहुंच रहे हैं। आंदोलन का रूख बढ़ता देख सरकार भी लगातार दबाव में पड़ती नजर आ रही है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस मामले को देख रहे हैं और इसका हल जल्द ही होने की संभावना है।
एक तरफ देश 1965 में पाकिस्तान के साथ हुई जंग की 50वीं सालगिरह मना रहा है वहीं दूसरी तरफ युवाओं का सेना से मोह भंग होता जा रहा है और वे इस क्षेत्र में करियर के लिए उतने उत्सुक नहीं हैं, जितने पहले हुआ करते थे। युवा सेना की नौकरी से तय समय से पहले ही रिटायर होने का विकल्प चुन रहे हैं। पिछले तीन साल के दौरान हर दिन औसतन एक सैन्य अधिकारी ने भाारतीय सेना की नौकरी छोड़ी है। वहीं वन रैंक वन पेंशन को लेकर पूर्व सैनिक भी आंदोलन पर उतर गए हैं। जंतर-मंतर पर पूर्व सैनिकों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। ऐसे में सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
-श्याम सिंह सिकरवार