05-Sep-2015 05:40 AM
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...फिर अधर में आईएएस अवार्ड
2006 से अटक रहा मामला, अब हाईकोर्ट की दहलीज पर
मप्र में लगातार नौवें साल भी गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का आईएएस अवार्ड अधर में लटक गया है। दरअसल इस बार भी नामों को लेकर शिकवा-शिकायत शुरू हो गई है। करीब दर्जन भर अधिकारियों ने इस संदर्भ में जीएडी कार्मिक विभाग को शिकायत कर आरोप लगाया है कि पूरी चयन प्रक्रिया अवैध है। आरोप है कि पिछले दरवाजे से गैर राज्य प्रशासनिक सेवाओं के अफसरों को आईएएस की रेवड़ी बांटने के लिए सूची में कई अपात्र और अयोग्य अधिकारियों को शामिल किया गया है। वहीं इस मामले को सीईओ जिला पंचायत भोपाल पीसी शर्मा का कहना है कि इस मामले को लेकर मैं हाईकोर्ट भी जाऊंगा।
उल्लेखनीय है कि गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का आईएएस चयन का मामला सबसे पहले पाक्षिक अक्स ने ही उठाया था। कार्मिक विभाग की गलती यह है कि इस बार राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की डीपीसी की फाइल जरा जल्दी ही चल दी है। हर वर्ष यह फाइल अक्टूबर-नवंबर के महीने में चलने के कारण इस पर निर्णय नहीं हो पाता था। पर अब यह लगने लगा है कि कहीं आईएएस के फस्र्ट कजन अफसरों का अधिकार कहीं पिछले दरवाजे से गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर न छीन भागें। इसीलिए अब गैर राज्य प्रशासनिक सेवाओं के अफसरों पर उन्हीं के सेवा के अफसरों के साथ-साथ राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर भी पिछले दरवाजे से दबे पांव भड़का रहे हैं जिससे उनके 4 पदों के लिए जो 20 नाम लिए गए हैं उन पर शिकवा-शिकायतें भोपाल से लेकर दिल्ली तक पहुंचा दी गई है। इसकी कमान गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों ने भोपाल के जिला पंचायत अधिकारी पीसी शर्मा को दी है। वहीं राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों ने अपने एक निष्ठावान अफसर दीपक सक्सेना को उनका साथ देने के लिए मैदान में कुदा दिया है। अगर कहा जाए तो गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर अपने ही अफसरों के कारण आईएएस नहीं बन पा रहे हैं वे सोची-समझी चाल में फंस गए हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर नियमों को चैलेंज करने के लिए कोई अदालत में तो दस्तक नहीं देते हैं बल्कि किसी न किसी कारण से उनको आपस में भिड़वाकर उनके भी पद अपनी सूची में जुड़वा लेते हैं। ऐसा ही इस वर्ष भी हो रहा है। आठ से 4 पद होना इसी का परिणाम है। 2006 में गैर राप्रसे से आईएएस में एनएस भटनागर का चयन हुआ था। उसके बाद से हर बार गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की खींचतान के चलते मामला अटक रहा है। 2014 में जब गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों में आपसी खींचतान नहीं हुई तो राज्य प्रशासनिक सेवा संघ ने सरकार की प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह लगाकर हाईकोर्ट में आवेदन लगाया था। इधर मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति और उसके निर्णय पर उंगली उठने से सरकार भी सकते में है। पूरे मामले को हाईकोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रहे सीईओ शर्मा का कहना है कि मेरी दस साल की सभी सीआर उत्कृष्ट है, इतना ही नहीं बेहतर काम-काज के लिए कई बार सरकार ने भी पुरस्कृत किया है। इसके बावजूद मेरा नाम आईएएस अवार्ड के लिए तैयार की गई चयन सूची में शामिल नहीं किया गया। सूत्रों का कहना है कि समिति द्वारा आईएएस चयन के लिए बनाए गए क्राइटेरिया में शर्मा का नाम आ गया था, लेकिन समिति के वरिष्ठ अफसरों ने अपने चहेते अधिकारियों के नाम शामिल करने के फेर में उनका नाम सूची से हटा दिया। समिति के एक वरिष्ठ अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 20 अधिकारियों का चयन होने के बाद खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के दो अधिकारी एनएस परमार और सीके चंदेल का नाम बाद में शामिल किया गया।
गैर राप्रसेे अफसरों को अवार्ड
लंबे समय के बाद गैर राप्रसे के अफसरों को आईएएस अवार्ड मिलेगा। मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने 14 विभागों के 60 नामों में से 20 का चयन किया है। उनमें से 4 गैर राप्रसे अफसरों को आईएएस अवार्ड दिया जाएगा। लेकिन सबसे अधिक आपत्ति महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा भेजे गए पांच नामों को लेकर है। शिकायत में कहां गया है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि एक ही विभाग के पांच अफसरों का नाम भेजा गया है। इस विभाग से अक्षय श्रीवास्तव, विशाल नाडकर्णी, अमिताभ अवस्थी, प्रज्ञा अवस्थी, संध्या व्यास का नाम भेजा गया है। आरोप है कि अमिताभ अवस्थी फरलों पर भेजे गए थे इसलिए ये इसके लिए अपात्र हैं। वहीं प्रज्ञा अवस्थी पर आर्थिक अनियमितता के लिए विभागीय जांच लंबित है। इसी विभाग के अक्षय श्रीवास्तव पर अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायत है। विशाल नाडकर्णी को मंत्री के दबाव में नियम विरुद्ध पदोन्नति दी गई है। इसलिए ये भी अपात्र हैं। इनके अलावा आबकारी विभाग से राघवेन्द्र उपाध्याय का नाम भेजा गया है जिनके खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में प्रकरण दर्ज है। खाद्य विभाग के एचएस परमार के खिलाफ भ्रष्टाचार व अनियमितता की शिकायत है। तकनीकी शिक्षा से शमीम उद्दीन का नाम है जिन पर व्यापमं के छींटे पड़े हैं और उन पर अवैध रूप से भूमि खरीदने की शिकायत राज्य आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो में की गई है। इसी तरह अन्य कई अफसर हैं जिनके खिलाफ कई तरह की शिकायतें की गई हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा के 16 अफसरों को इस वर्ष आईएएस अवार्ड मिल जाएगा। 36 नामों में से 7 अफसरों का लिफाफा इस बार भी बंद रहेगा। इनमें प्रमुख हैं मूलचंद वर्मा जिनकी 4 विभागीय जांचें लंबित हैं, रवि डाफरिया सीआर प्रस्तुति में गोलमाल, समरजीत यादव स्कूल शिक्षा विभाग में रहते हुए मान्यता में गड़बड़, नागेन्द्र मिश्रा बेटे के नाम संपत्ति खरीदी का मामला, ललित दाहिमा इंदौर में मंडी बोर्ड में रहते हुए अनियमितताए, धर्मेंद्र सिंह इंदौर विकास प्राधिकरण में रहते हुए जमीन आवंटन में घपला, अशोक सिंह चौहान हाल ही में पैसों का लेन-देन करते समय ट्रेप हो गए इनमें से साफ-सुथरेÓ अफसरों को इस वर्ष आईएएस पद पर नवाज दिया जाएगा।
अफसरों का राशिफल
आने वाले इस माह और अगले माह में 4 प्रमुख अफसर सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी जगह पर किसे बिठाया जाए इस पर विचार-मंथन चालू हो चुका है। अरुणा शर्मा के काम-काज को लेकर मुख्यमंत्री की नाराजगी दिख रही है। इन्हें टीआरआई या योजना आयोग में बिठाने की कवायद चालू हो चुकी है। वहीं मुख्यमंत्री के पूर्व प्रमुख सचिव दीपक खांडेकर को वित्त के प्रभार से नवाजा जा सकता है। एपीसी के पद पर प्रेमचंद मीणा या प्रभांशु कमल को बिठाया जा सकता है वहीं केके सिंह अपने विभागों से तंग आ चुके हैं उन्हें कहीं के सुरेश की जगह पर न बिठा दिया जाए। आगामी माह में एक दर्जन से ज्यादा आईएएस अफसरों की पदस्थापना बदल सकती है। वैसे तो 4 अफसर सेवानिवृत्त होंगे।
ये हैं आईएएस की कतार में...
गैर राप्रसे
महिला एवं बाल विकास विभाग से अक्षय श्रीवास्तव, विशाल नाडकर्णी, अमिताभ अवस्थी, प्रज्ञा अवस्थी, संध्या व्यास, वित्त विभाग से मनोज श्रीवास्तव, और मंजू शर्मा, खाद्य विभाग से एनएस परमार, बीके चंदेल, पीएचई विभाग से एनपी मालवीय और बीबीएस चौधरी, जेल विभाग से संजय गुप्ता, जनसंपर्क विभाग से सुरेश गुप्ता, नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग से मयंक वर्मा, राजीव निगम, तकनीकी शिक्षा विभाग से जेएन व्यास और शमीम उद्दीन, सहकारिता से ब्रजेश शुक्ला, आबकारी विभाग से रूपेश उपाध्याय और पंजीयन और मुद्रांक से श्रीकांत पांडे का नाम गया है।
राप्रसे
मूलचंद वर्मा, पतिराम कतरौलिया, नागेन्द्र प्रसाद मिश्रा, धर्मेंन्द्र कुमार सिंह, जफीर उद्दीन, आशीष सक्सेना, अजय कुमार शर्मा, रामप्रसाद भारती, भगत सिंह कुलेश, सभाजीत यादव, आश्कृत तिवारी, बाबूसिंह जामौद, ललित कुमार दाहिमा, अनिल सुचारी, माल सिंह भयडिय़ा, राजेश कुमार, रमेश भंडारी, ओम प्रकाश श्रीवास्तव, बेला देवर्षि, अभय कुमार वर्मा, दीपक सिंह, भावना वालिंबे, मनोज खत्री, गोपाल चंद डॉड, दिलीप कुमार, उर्मिला सिंह रावत, आलोक कुमार और उमेश कुमार के नाम शामिल हैं। इनमें सात राप्रसे अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच लंबित होने के कारण उनके लिफाफे बंद रखे गए हैं।
अयोग्य का हुआ चयन
शर्मा का कहना है कि आईएएस अवार्ड के लिए कई अयोग्य लोगों का चयन हुआ है। वे दावे से कहते कहते हैं कि औसत प्रदर्शन वाले अधिकारियों को इसके लिए चुना गया है, जबकि मेरी बेहतर सीआर और अच्छे काम-काज के बावजूद उनका (शर्मा) नाम शामिल नहीं किया गया। शर्मा चयन प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने आईएएस अवार्ड के लिए राज्य प्रशासनिक सेवा के 20 पदों के लिए 29 और गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के 4 पदों के लिए 20 नाम दिल्ली भेजे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि महिला एवं बाल विकास विभाग एक अकेला ऐसा विभाग है जहां से 5 नाम भेजे गए हैं। शेष 15 नाम अन्य विभागों से भेजे गए हैं।
केंद्र सरकार जता चुकी है नाराजगी
उल्लेखनीय है कि गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों का आईएएस में चयन करने के मामले में राज्य सरकार की लापरवाही से केंद्र सरकार नाराजगी जता चुकी है। केन्द्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने जनवरी में मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा को पत्र लिख कहा था कि 15 दिन में गैर राप्रसे अधिकारियों के पदों की गणना कर भेंजें, जिससे तय हो सके कि इस वर्ष में कितने अधिकारियों को आईएएस में चयन होना है। डीओपीटी का कहना था कि आठ सालों से गैर राप्रसे के अफसरों को आईएएस में चयन करने की जैसी कार्रवाई हो रही है, उससे लगता है कि गैर राप्रसे कैडर के प्रस्ताव दबाए जा रहे हैं। इन अफसरों के पदों की गणना समय पर नहीं हो रही है और न ही आईएएस में चयन के लिए प्रस्ताव समय पर भेजे जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर प्रवीण कुमार एवं अन्य की याचिका में फैसला आने के बाद डीओपीटी ने सभी राज्यों को गैर राप्रसे अधिकारियों को आईएएस में चयन करने के प्रस्ताव समय पर भेजने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री ने तीसरी बार सरकार में आने के बाद जिन 7 फाइलों पर साइन किए थे। उसमें दूसरे नंबर पर गैर राप्रसे से आईएएस में चयन की फाइल भी शामिल थी। मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद जीएडी कार्मिक ने उक्त फाइल को डीओपीटी भेज दिया था, लेकिन प्रस्ताव अंतिम समय में पहुंचने के कारण रद्द हो गया।
-कुमार राजेंद्र