05-Sep-2015 05:22 AM
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नेपाल में हिंदु बनाम सेक्युलर राष्ट्र पर छिड़ी बहस
अब एक बार फिर संविधान निर्माताओं के सामने हिंदू राष्ट्र की मांग तेजी पकड़ रही है- इन चंद सालों में आखिर एसा क्या हुआ कि ये मांग उभर रही है। राजनीतिक टीकाकार कहते हैं कि 2006 में ये मांग थी ही नहीं की नेपाल को धर्म निरपेक्ष होना चाहिए। ये पश्चिमी देशों खासकर नोर्वे फिनलेंड जैसे दानकर्ता देशों और ईसाई धर्मावलंबियों की चाहत थी। वे न केवल धर्मनिर्पेक्षता चाह रहे थे बल्कि वे चाहते थे कि धर्मपरिवर्तन का अधिकार भी संविधान का हिस्सा होना चाहिए।
नेपाल में 80 प्रतिशत हिंदू है, 9 प्रतिशत बौध धर्म के अनुपालक और चार प्रतिशत मुसलमान है। 2011 के जनगणना के आंकडे कहते है कि देश में ईसाईयों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि आई है। नेपाल के पहाड़ी पिछड़े इलाकों में ये धर्म परिवर्तन तेज़ी से हुआ है। यहा तक की हाल के भूकंप के बाद एसे आरोप भी लगे की राहत सामग्री के साथ बाइबल भी बांटी गई।
नेपाली कांग्रेस के नेता और हिंदु राष्ट्र की स्थापना के लिए पार्टी की समिति के सदस्य और कानून के जानकार कुमार रेगमी हिंदू राष्ट्र स्थापित करने के पुरज़ोर समर्थक है और वे धर्मनिर्पेक्ष नेपाल स्थापित करने की कोशिश को पश्चिमी देशों की साजिश मानते है। उनका कहना है कि ये ईसाई धर्म को फैलाने के लिए की जा रही कोशिश है और शायद चूकि नेपाल सामरिक रुप से चीन और भारत के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है इसलिए ये कोशिश तेज़ी से चल रही है। वे इस बात से हैरान है कि जब नेपाल में धर्मनिर्पेक्षता का मांग ही नहीं उठी तो ये आई कैसे।
कुछ उंगली भारत में भाजपा सरकार के स्थापित होने और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संध की बढ़ती सक्रियता पर भी लगाया जा रहा है। जानकार कहते है कि मोदी की नेपाल यात्रा में वहां सक्रिय आरएसएस को साफ संकेत पहुंचा कि वो नेपाल में हिंदू राष्ट्र स्थापित करने के लिए लोगों में अलख जलाएं। नेपाल में आऱएसएस हिंदु स्वयं सेवक संध के नाम से काम करती है। पर विश्लेषकों का मानना है कि अगर आरएसएस इस आंदोलन के पीछे है तो वो विरोध प्रदर्शन 2006 में करती और सेकुलर शब्द को नेपाल के संविधान में धुसने ही नहीं देती। भारत आपको याद होगा माओवादियों और राजनीतिक दलों के बीच समझौता करवाने में सक्रिय था और साथ ही राजशाही को खत्म कर लोकतंत्र स्थापित करने में सक्रिय था। हिंदू विद्यापीठ के डा. चिंतामणि योगी कहते है कि हिंदू धर्म सबको साथ लेकर चलता है तो इससे किसी धर्म के अनुपालकों को कोई खतरा नहीं है तो फिर हिंदू राष्ट्र से डर क्यों। वहीं नेपाली कांग्रेस के कुमार रेगमी कहते है कि नेपाल के मुसलमान यहां हिंदू राष्ट्र की स्थापना की मांग कर रहे है क्योकि जब नेपाल हिंदू राष्ट्र था वे सुरक्षित थे और सरकार उनके हज पर जाने का खर्च उठाती थी।
विश्लेक्षक मानते है कि नेपाल हिंदू या धर्मनिरक्ष हो इसका फैसला जनता की राय से होना चाहिए न कि उसे उन पर थोपा जाना चाहिए। वही हिंदू राष्ट्र के समर्थक कहते है कि अगर जनमत सर्वेक्षण करवाया जाए तो 90 प्रतिशत लोग हिंदू राष्ट्र का समर्थन करेंगे। वहीं नेपाल की युवा पीढ़ी का कहना है कि शायद इस बहस से ज़्यादा जरुरी इस समय नेपाल के भूकंप के बाद फिर पैरो पर खड़े होने का है। नेपाल के संविधान निर्माताओं को कोई भी राय बनाने से पहले जनमत को टटोलना तो ज़रुर चाहिए।
नेपाल में संविधान गठन के लिए तेज़ी से चल रहे काम के बीच नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग ज़ोर पकड़ रही है और लोग नेपाल के धर्मनिरपेक्ष रहने पर सवाल उठा रहे हैं। पर एसा क्यों। सन 2006 के पहले नेपाल दुनिया का इकलौता हिंदू राष्ट्र था। फिर माओवादियों और सात राजनीतिक दलों के बीच बारह सूत्री समझौते के तहत नेपाल को धर्मनिर्पेक्ष देश बनाया गया।
-रेणु आगाल