खाता न बही राजपूत कहे वही सही
04-Sep-2015 06:24 AM 1234774

खाता न बही राजपूत कहे वही सही

अपने विवादित बयानों और रुखे व्यवहार के लिए चर्चित रहने वाली कुसुम मेहदेले से उनके विभाग के अफसर त्रस्त हैं। क्योंकि वे हमेशा विवाद ढूंढ़ती रहती हैं।

भाजपा प्रदेश मुख्यालय में 20 अगस्त को पिछड़ा वर्ग के अधिवेशन में जब प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे पदाधिकारियों को सजगता, शुचिता, अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे थे और अपने भाषण में जुटकर काम करने की बात कर रहे थे तो, मंच पर बैठीं प्रदेश के पांच विभागों की मंत्री कुसुम मेहदेले मंच पर ही झपकी ले रही थीं। इशारों-इशारों में सहस्त्रबुद्धे ने कई बार सजग और सचेत रहने को कहा, लेकिन मेहदेले पर उसका कोई असर नहीं पड़ा। इस पर बैठक में ही खुसर-फुसर शुरू हो गई। एक नेता ने चुटकी लेते हुए कहा आराम की उम्र में जिसके कंधों पर बड़े-बड़े विभागों का भार हो आखिर वह क्या करेगा?

भाजपा नेता का यह कथन मप्र सरकार के मंत्रियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। जहां तक कुसुम मेहदेले का सवाल है तो उनके पास भले ही विधि-विधायी, पशुपालन, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण, मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास, कुटीर एवं ग्रामोद्योग जैसे पांच महकमे हैं लेकिन उनको विभागों की गतिविधियों की तनिक भी जानकारी नहीं हैं। विधानसभा में कई बार विधायकों के प्रश्नों के जवाब के लिए उन्हें दूसरे मंत्रियों के सहारे की आवश्यकता पड़ जाती है। सदन के भीतर और बाहर उनका परफारमेंस ठीक नहीं रहा है। वे कार्यकर्ताओं और प्रशासनिक सामंजस्य बैठाने में असफल रही है। विभागों की पूरी डोर उनके पीए कोमल राजपूत के हाथ है। इन विभागों में तो इन दिनों कहावत प्रचलित है कि खाता न बही राजपूत कहे वही सही।

मेहदेले और राजपूत का साथ ढाई दशक पुराना है। वे मेहदेले के पहले कार्यकाल 1990 में भी साथ रहे। तब से अब तक उनका साथ बना हुआ है। पिछले एक दशक से तो ये उतने पावरफुल हो गए हैं कि इनके बिना विभाग में पत्ता भी नहीं हिलता। सरकार ही नहीं संगठन में भी लोग अब तो इस बात को लेकर चर्चा करते मिल जाएंगे कि आखिर मेहदेल की ऐसी कौन-सी कमजोरी राजपूत के हाथ लगी है जिसके कारण वे उन पर हावी हैंं।  राजपूत के निरंकुश व्यवहार के कारण मेहदेले के विभागों के प्रमुख सचिव, प्रबंध संचालक और अन्य अधिकारी भी परेशान हैं। आलम यह है कि अफसर अब तो मेहदेले से कन्नी काटने लगे हैं। यहां तक की मंत्री को बिना बताए ही प्रमुख सचिव योजनाएं लांच कर देते हैं और इनकी फाइल तक मंत्री के पास नहीं भेजी जाती है। पीएचई में नए ईएनसी को लेकर मंत्री कुसुम मेहदेले और पीएस अश्विनी राय के बीच खींचतान और विवाद इतना बढ़ गया था कि बात मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंच गई। इसको लेकर आज भी मंत्री और पीएस में अबोला की स्थिति है।

विवाद और मेहदेले एक-दूसरे का पर्याय

अपने विवादित बयानों और रुखे व्यवहार के लिए चर्चित रहने वाली कुसुम मेहदेले का विवादों से गहरा नाता है। या यूं भी कह सकते हैं कि वे हमेशा विवाद ढूढती रहती हैं। कभी शेर पालने की इच्छा जाहिर कर तो कभी आंगनबाडिय़ों में बच्चों को नॉनवेज परोसने की वकालत कर विवादों में रहने वाली कुसुम मेहदेले ने तो अपने रसूख के लिए केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को भी नहीं छोड़ा है।अभी हाल ही में इंदौर में पीएचडी चेंबर द्वारा आयोजित फूड प्रोसेसिंग सेमिनार में मेहदेले ने सार्वजनिक तौर पर निरंजन ज्योति की गुजारिश को दरकिनार कर दिया। हुआ यूं कि प्रारंभिक वक्ताओं के बाद मेहदेले और उनके बाद निरंजन ज्योति का भाषण होना था, लेकिन समारोह तय समय से देर से प्रारंभ हुआ। इस कारण साध्वी को दिल्ली वापसी फ्लाइट के लिए देरी होने लगी। यह देख उन्होंने मेहदेले से आग्रह किया कि उनकी फ्लाइट छूट रही है कृपया उन्हें पहले संबोधित करने दें, लेकिन मेहदेले ने उनके नम्रतापूर्ण आग्रह को भी नहीं माना और खुद भाषण देने पहुंच गई। बाद में साध्वी ने अपनी पीड़ा सार्वजनिक कर कहा कि मेहदेले के व्यवहार से उन्हें दु:ख पहुंचा है।  यही नहीं मेहदेले अपने प्रभार वाले जिले शिवपुरी में भी किसी मंत्री का दखल बर्दास्त नहीं करती हैं। अभी एक माह पूर्व ही मुख्यमंत्री ने शिवपुरी के मेडिकल कॉलेजों का काम तत्काल शुरू करने के आदेश दिए थे। लेकिन दतिया और खंडवा के मेडिकल के कॉलेजों के लिए पैसा आवंटित कर दिया गया और शिवपुरी के मेडिकल कॉलेज को फिर लटका दिया गया। बाद में पता चला की प्रभारी मंत्री ने यह प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज यह कहकर खारिज कर दिया था कि कागज के एक टुकड़े पर कॉलेज नहीं बनता है। इसके पीछे मुख्य वजह यह बताई जा रही है कि यशोधरा राजे ने यह प्रस्ताव मेहदेले को बिना बताए मुख्यमंत्री के पास भेजा था। मई माह में शिवपुरी दौरे पर गईं मंत्री ने रात 2 बजे अचानक उनके कमरे की एसी बंद होने पर दो इंजीनियरों और पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने विद्युत वितरण कंपनी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब करने का फरमान भी जारी कर दिया है। संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि जिस मंत्री के कारण सरकार की छवि खराब हो रही है उन्हें क्यों ढोया जा रहा है? मंत्री महोदय प्रभारी जिले में अपनी मर्जी के बगैर पत्ता भी नहीं हिलने देती। उन्होंने शिवपुरी एसपी मोहम्मद यूसुफ कुरेशी द्वारा किए गए निरीक्षकों और उपनिरीक्षकों के ट्रांसफर में अड़ंगा  डाल दिया था, क्योंकि सूची को जारी करने से पहले उनसे कोई अनुमोदन नहीं कराया।

-बृजेश साहू

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