03-Sep-2015 05:07 AM
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क्यों रोक दी अपनी प्यारी सी मुस्कान?
क्यों रोक दी अपनी प्य़ारी सी
मुस्कान, इसे चलने दो।
एक मुस्कान से समां बदलता है,
तो उसे बदलने दो
ये मुस्कान ईश्वर का एक रुप होता हैं,
कभी छांव, कभी रोशनी तो कभी धूप होता है।
यही मुस्कान माँ के चेहरें पर ममता का स्वरुप होता हैं,
यही प्यारी मुस्कान एक मासूम बच्चे के ऊपर कितना क्यूट होता है।
अगर ये मुस्कान अस्सी के रफ्तार
में चलती है, तो चलने दो,
एक मुस्कान से समां बदलता है,
तो उसे बदलने दो।
जब देश की तरक्की की खबरें मिलती है,
तो हम मुस्कुराते हैं,
जब जीवन में पहली बार तनख़्वाह मिलती
है तो हम मुस्कुराते हैं।
फि़ल्म में विलेन की पिटाई देख हम मुस्कुराते हैं,
किसी गिफ्ट में
मिली मिठाई देख
मुस्कुराते हैं,
घर में किसी की हो रही सगाई देख मुस्कुराते है,
तो कभी कपिल की कॅमेडी
नाईंट्स देख मुस्कुराते हैं।
अगर आपकी मुस्कान से कोई
जलता है, तो जलने दो,
एक मुस्कान से समां बदलता है,
तो उसे बदलने दो।
मुस्कान में होती है ऐसी ज़ान,
जो देती है हम सबको नयी पहचान,
जि़न्दगी में कितने भी आये ग़म के तूफान,
लेकिन लडख़ड़ाती नहीं है हमारी जुबान,
मुस्कान है खुशियों की खूबसूरत दुकान,
जहॉ से खरीदा जा सकता है, सारा जहान।
मुस्कान खुद़ा की दी हुई अऩमोल अमानत है इसे फलने-फूलने दो,
क्यों रोक दी अपनी प्यारी मुस्कान
इसे चलने दो।
एक मुस्कान से समां बदलता है
तो उसे बदलने दो।।
-राजन वर्मा