सरकार की रडार पर अमीर बाबा
02-Sep-2015 05:31 AM 1234871

सरकार की रडार पर अमीर बाबा

समूचे भारत में कुकुरमुत्ते की तरह फैल रहे बाबाओं के प्रभुत्व पर अब एसआईटी नजर गड़ाए हुए है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई एसआईटी का काम देश-विदेश में छुपे कालेधन का पता लगाना है। एसआईटी बाबाओं की संपत्ति और संपत्ति बनाने के जरिये पर निगरानी रखने की योजना तैयार कर रही है। बीते कुछ दिनों से अमीर बाबाओं के दोहरे जीवन की कहानियां मीडिया की सुर्खियों में छाई हुई हैं। उड़ीसा में सारथी बाबा हों या फिर हरियाणा में बाबा रामपाल और पंजाब में राधे मां, ऐसे बाबाओं की फेहरिस्त लंबी है जो अपारंपरिक प्रथाओं को अपनाकर एक आम आदमी से धर्मगुरू बन गए। कम समय में इन बाबाओं ने अपने फैन की लंबी फौज भी खड़ी कर ली। एसआईटी ने इस हफ्ते राज्य की जांच एजेंसियों की मदद से इन बाबाओं की संपत्ति का सोर्स पता लगाने का फैसला किया है। इस काम के लिए एसआईटी ने राज्य सरकारों की आर्थिक अपराध शाखा की मदद लेने का फैसला किया है।

सारथी बाबा से शुरू होगी एसआईटी की जांच

एसआईटी की यह जांच हाल ही में गिरफ्तार हुए उड़ीसा के सारथी बाबा से शुरू होगी। दो सप्ताह पहले उड़ीसा पुलिस ने सारथी बाबा को यौन शोषण के आरोपों में गिरफ्तार किया था। उन पर धोखाधड़ी और जालसाजी के केस भी दर्ज हैं। सारथी बाबा ऐसे पहले बाबा होंगे जो कि एसआईटी जांच के घेरे में आएंगे। आसाराम प्रकरण के बाद ऐसा लगने लगा था कि देश में बाबाओं के मायाजाल से आम आदमी दूर हो जाएगा किन्तु हाल ही में उजागर मामलों से पता चलता है कि यौन शोषण, वेश्यावृत्ति, हत्या, डकैती से लेकर भक्तों से फिरौती बटोरने वाले बाबाओं-माताओं की टीआरपीÓ लगातार बढ़ रही है। ओडिशा में खुद को भगवान विष्णु का अवतार बताने वाले सारथी बाबा हों या देवी दुर्गा का अवतार कहलाने वाली सुखविंदर कौर उर्फ  बब्बू उर्फ राधे मां; धर्म का ऐसा मखौल इस देश में बन गया है मानो ईश्वर इन कथित धर्मगुरुओं के बगैर मिल ही नहीं सकता। क्या भारत में इससे पूर्व संतों को इस कदर धूर्त होते देखा गया है? क्या देश का सनातन धर्म, मान्यताएं, परम्पराएं तथा संस्कार इस बात की इजाजत देते हैं कि संत अपनी संतई को सार्वजनिक रूप से उपहास का पात्र बनाए? सारथी बाबा पर आरोप हैं कि उनके कई महिलाओं से शारीरिक संबंध हैं और वे सेक्स रैकेट में भी लिप्त हैं। वहीं राधे मां पर अश्लीलता फैलाने, दहेज उत्पीडऩ एवं आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। आखिर सारथी बाबा और राधे मां का सच क्या है यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा किन्तु इनकी करतूतों को पूरे देश ने जिस तरह देखा है, उसके बाद कहा जा सकता है कि धर्म को सबसे बड़ा खतरा इन ढोंगियों से ही है। दोनों के चेहरे पर गलत कर्मों का कोई पछतावा नहीं है। दरअसल ऐसे मामलों में हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था और आम आदमी के भीतर घर कर बैठा अंधविश्वास ही है जिसने इन संतों को घमंडी बना दिया। अपने प्रभाव व समर्थकों की फौज के सहारे किसी ने इन पर शिकंजा नहीं कसा। धर्मभीरु जनता ने भी इन्हें सर आंखों पर बिठाया जिसने उनके अभिमान में बढ़ोतरी ही की। पर शायद ये कथित धर्मगुरु यह भूल बैठे थे कि जहां अभिमान तथा घमंड आता है, बर्बादी भी उसके पीछे-पीछे आती है; फिर भले ही उसका रूप कैसा भी हो? और देखिए, सारथि बाबा और राधे मां पर बर्बादी आई तो ऐसी कि उनकी संतई पर ही सवालिया निशान लगा दिए? उनके लाखों समर्थक लाख दुहाई दें कि उनका ईश्वर निर्दोष है, वह ऐसा पतित कर्म कर ही नहीं सकता किन्तु संत पर आरोपों का लगना ही उसके लिए मृत्यु समान है। संत की संतई किसी सफाई या सबूत की मोहताज नहीं होती किन्तु इनके विरुद्ध तो हवा भी ऐसी चल रही है कि अब इनकी सफाई भी उड़ती हुई दिखाई दे रही है। हालांकि यह भी सच है कि जब तक कानून किसी आरोपी पर लगे आरोप की साक्ष्यों द्वारा पुष्टि न कर दे उसे सार्वजनिक रूप से आरोपी नहीं कहा जा सकता किन्तु यह नैतिकता आम आदमी के लिए ही ठीक है, कथित संतों के लिए नहीं। फिर कई बार आरोपों की गंभीरता इतनी बड़ी होती है कि फिर उसके साबित होने या न होने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। धूर्त के साथ व्यवहार भी वैसा ही होना चाहिए। आखिर देश की जनता सब देख रही है। माना कि दोनों के करोड़ों समर्थक हैं किन्तु 125 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाला हमारा देश क्या इनके कथित समर्थकों से ही पटा है? उनके समर्थकों के इतर जो हैं क्या उनके प्रति  कानून जवाबदेह नहीं है? राधे मां कभी बताएंगी कि यदि वे देवी दुर्गा का अवतार हैं तो 1000 करोड़ का साम्राज्य उनके किस काम का? सारथी बाबा यदि विष्णु जी के अवतार हैं तो उन्हें सेक्स रैकेट चलाने की क्या आवश्यकता है? यह भारत में ही संभव है कि धर्म का आवरण ओढ़कर कोई भी स्वयंभू संत बन बैठे और जनता भी उसके पीछे पागलों की तरह दौड़ लगा दे। इन कथित संतों ने हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़ करने के साथ ही धर्म को धोखा दिया है। इन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होना चाहिए।

-राजेश बोरकर

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