शायद इसीलिए आज तक सफेद रंग ओढ़े हैं गुलज़ार
02-Sep-2015 05:51 AM 1234870

शायद इसीलिए आज तक सफेद रंग ओढ़े हैं गुलज़ार

संपूरण सिंह कालरा को हालांकि गुलज़ार होने में उम्र के कई बरस सर्फ हुए। पिता मक्खन सिंह ने कऱीब ही दीना के ख़ास बाज़ार में मकान खऱीद लिया। वहीं कपड़े की दुकान भी खोली और परिवार के साथ रहने लगे। गुलज़ार का अब तक का बेशतर वक्त दीना के इसी घर में गुजऱा। हालांकि बाद में गुलज़ार का घर पुराना डाकखाना चौक हुआ फिर यहाँ पाकिस्तानी चौक की तख़्ती टांग दी गई। गुलज़ार की शुरुआती तालीम मियाँ मुहल्ले में मौजूद गवर्नमेंट मिडिल स्कूल में हुई। मगर अब मुड़कर देखें, तो जहाँ गुलज़ार की क्लास लगती थी, वो हिस्सा तो नदारद है, लेकिन गुलज़ार को एहतिराम देने की गऱज़ से वहाँ बने एक नए ब्लॉक का नाम ज़रूर गुलज़ार कालरा ब्लॉक कर दिया गया है।

बहरहाल, 11 बरस की उम्र पाते-पाते मुल्क के हालात बिगड़े और फिर एक दर्दनाक वाकि़आ पेश आया। हुआ ये कि मुल्क के सीने पर लहू से सरहद खींच दी गई। इसके साथ ही मुल्क दो हिस्सों में तक़्सीम हो गया। एक हिस्सा हिंदुस्तान और दूसरा पाकिस्तान बना दिया गया। इस हादिसे में गुलजार का बचपन पाकिस्तान में ही छूट गया। लेकिन बचपन तबीयत से ही जि़द्दी होता है, इतनी आसानी से अपनी चीज़ें कहाँ छोड़ता है। लिहाजा, जरा-सी उम्र में मिला हिज्रत का ये दर्द, किसी जायदाद की तरह अब भी उनके साथ है। एक बार कहीं उन्होंने कहा भी था कि विभाजन मेरी लेखनी का बहुत अहम हिस्सा है, क्योंकि बहुत शुरुआती जि़ंदगी में वो दौर देखा और उसका असर आज तक है। आज भी कहीं सांप्रदायिक दंगे देखता हूँ, तो मुझे विभाजन की ही याद आती है और उससे तकलीफ़ होती है।

विभाजन के बाद गुलज़ार के परिवार ने अमृतसर में पनाह ली। मगर गुलज़ार का जिय़ादातर बचपन दिल्ली में ही गुजऱा। विभाजन से पीडि़त परिवार के पास उनकी पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे इसलिए उन्हें पेट्रोल पंप पर नौकरी करना पड़ी। इसी दौरान उनका हाथ, उनके दिलो दिमाग़ के इशारे से कागज़़ पर शायरी/कविताएं उतारने लगा। और फिर अपना मुस्तकि़्बल शायरी में तलाशने वाले गुलज़ार ने मुंबई का रुख़ किया। इस मायावी शहर ने भी तबीयत से गुलज़ार के इम्तिहान लिए। न जाने कितनी रातें अंधेरा खाकर और उम्मीदें पीकर गुज़ारी होंगी उन्होंने। फिर वर्ली के एक गैराज पर बतौर मैकेनिक काम मिला।

इसी वक्त गुलज़ार प्रोग्रेसिव राइटर एसोसिएशन से भी जुड़ गए थे। यहीं काम करते हुए उनकी मुलाक़ात कई शायरों, नाटककारों और साहित्यकारों से हुई। इनमें से ही किसी ने गुलज़ार के पसंदीदा गीतकार शैलेन्द्र तक उन्हें पहुँचा दिया। इसी तरह उनकी मुलाक़ात संगीतकार एसडी बर्मन से भी हुई। शैलेन्द्र ने शायद गुलज़ार में छुपे एक प्रतिभाशाली गीतकार, शायर और कवि को देख लिया था। संभवत: इसी हुनर से मुतअस्सिर होकर उन्होंने एसडी बर्मन से गुलज़ार की सिफ़ारिश की होगी। लिहाज़ा गुलज़ार, बर्मन दा की चौखट पर पहुँचे। इस वक़्त बर्मन दा बंदिनी के गीतों को लेकर मस्रूफ़ थे। फिर भी गीतकार शैलेन्द्र की सिफ़ारिश थी, इसलिए उन्होंने गुलज़ार को एक गीत लिखने का मौका दिया। 5 दिन बाद गुलज़ार गीत लेकर बर्मन दा के पास पहुँचे। बर्मन दा को गीत भा गया। फिर यही गीत उन्होंने बंदिनी के निर्देशक बिमल रॉय को गाकर सुनाया। बिमल दा की रज़ामंदी से भरी मुस्कान ने इस गीत को बंदिनी के दीगर गीतों की फेहरिस्त में जोड़ दिया। गीत के बोल थे- मोरा गोरा अंग लई ले, मोहे श्याम रंग दई दे/ छुप जाऊंगी रात ही में, मोहे पी का संग दई दे। साल था 1963 का। ख़ास बात यह थी कि गुलज़ार के सबसे पहले गीत को ही स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की आवाज़ मिली।

गुलज़ार की कलम सीधे दिल पर दस्तख़त करती है। उस पर संजीव कुमार से मिलकर, जैसे गुलज़ार की लेखनी को और सिफ़त हासिल हो गई। फिर दोनों लेखक और अदाकार से दोस्त हो गए। इस जोड़ी ने 1975 में आंधी और मौसम के अलावा 1981 और 1982 में क्रमश: अंगूर और नमकीन बनाई। 1987 में आई इजाज़त भी उनके निर्देशन में बनी दिल छू लेने वाली फि़ल्म थी। उनकी बनाई फिल्मों की फ़ेहरिस्त लम्बी है। बात उन दिनों से कऱीब 11 बरस पहले की है, जब हिंदुस्तान को चीरकर दो हिस्सों में तक्सीम नहीं किया गया था। तब चिनाब, झेलम, सिंधु और रावी का पानी बिना किसी बँटवारे के गुनगुनाता आज़ाद बहता था। तब न कोई हिन्दू था, न कोई मुसलमान। तब लोग सिर्फ हिंदुस्तानी हुआ करते थे। तब माचिस की तीलियाँ या तो चराग़ जलाने के लिए सुलगती थीं, या फिर चूल्हे। पहाड़ों और आसमान पर भी तब दूरबीनों के पहरे नहीं थे। बर्फीले पहाड़ों से उतरती बर्फ में भी, तब रिश्ते आज की तरह ठंडे नहीं पड़े थे। तेज़ आँधियों के ज़ोर के बावजूद रिश्तों में हरारत रहती थी। तब अज़ान और आरतियों की आवाज़ें भी हर किसी के दिलोदिमाग़ को सुकून की खुश्बू से मुअत्तर कर देती थीं। लोग चाहे किसी भी मज़हब के हों, कानों में आवाज़ पड़ते ही उनके सिर अदब से ख़ुद-ब-ख़ुद झुक जाते थे। उस वक्त हर मौसम की किताब सिर्फ एक ही रिश्ते का परिचय देती थी, जिसके तहत हर किसी को, हर कोई अपना-सा लगता था। यही आबोहवा थी, जब संपूरण सिंह कालरा यानी गुलज़ार का जन्म हुआ। जगह थी हिंदुस्तान का पंजाब सूबा और इस सूबे के झेलम जिले के छोटे-से कस्बे दीना से 3 किमी के फ़ासले पर मौजूद गाँव, कुर्ला।

ऊटपटांग फिल्मों के ऑफरों से अब घबराई प्रीति जिंटा

प्रीति जिंटा की एक मुस्कान ने कभी सारे बॉलीवुड को दीवाना बना लिया था। लेकिन डिंपल गर्ल के नाम से मशहूर प्रीति आजकल फिल्मों से दूर हैं। पिछले काफी समय से प्रीति पर्दे पर नहीं दिखी हैं। प्रीति की कुछ फिल्में अगर पिछले कुछ सालों में आई भी हैं, तो वो कब आई, कब गईं। पता ही नहीं चला।

प्रीति ने खुद ही इस बात से पर्दा हटा दिया है कि आखिर क्यों वो पर्दे पर नहीं दिख रही हैं। प्रीति का कहना हैं कि पिछले कुछ समय से उन्हे जो फिल्में ऑफर हुई हैं उनकी स्क्रिप्ट सुनते ही वो चकरा गईं। प्रीति के अनुसार, अच्छी स्क्रिप्ट मिलने पर ही वो फिल्म करना चाहती हैं।

1998 में शाहरुख के साथ दिल से से अपना करियर शुरू करने वाली प्रीति जिंटा लंबे समय तक बॉलीवुड की फेवरेट रही हैं। लेकिन पिछले कई सालों से उनके करियर में जबर्दस्त गिरावट आई है। प्रीति भी अपना ध्यान फिल्मों की जगह आईपीएल में अपनी टीम पर ही लगा रही हैं। प्रीति जिंटा पिछले दिनों यूएस में एक दुर्घटना का शिकार हो गईं थी, गिरने की वजह से उनकी पीठ पर काफी चोट आई थी। प्रीति ने बताया कि लंबे समय तक वो बिस्तर से उठ भी नहीं सकीं और सिर्फ दवाईयों के सहारे ही रही। लेकिन अब वो ठीक हैं और काफी अच्छा महसूस कर रही हैं। प्रीति ने 2013 में खुद के प्रोड्क्शन में ही इश्क इन पेरिस बनाई थी। लेकिन ये फिल्म बुरी तरह फ्लॉप रही। इसके बाद प्रीति लगातार एक हिट की तलाश कर रही हैं। लेकिन उनके हाथ में कोई बड़ी फिल्म नहीं है। प्रीति जिंटा की निजी जिंदगी भी पिछले दिनों काफी उथल-पुथल भरी रही है। नेस वाडिया से उनके संबध भी काफी खराब हो गए। यहां तक कि उन्होने नेस के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई। प्रीति जिंटा का कहना है कि वो कई स्क्रिप्ट सुन रही हैं और जल्दी ही पर्दे पर वापिसी करेंगी।

प्रोड्यूसरों के घर के चक्कर काट रही हैं कंगना

बीते कुछ समय में कंगना रनौत बॉलीवुड की सबसे सफल हीरोइन के रूप में उभर कर सामने आई हैं। सफलता के साथ उनकी महत्वाकांक्षाएं भी सबको मालूम चल गई हैं। कंगना ऐक्टिंग के साथ फिल्मी राइटिंग और निर्देशन भी करना चाहती हैं। कंगना ने इनके कोर्स विदेश जाकर किए हैं। इन दिनों बॉलीवुड में यह चर्चा जोरों पर है कि कंगना ऐक्टिंग की सफलता को लगे हाथ राइटिंग और डायरेक्शन में भी भुना लेना चाहती हैं। बताया जा रहा है कि कंगना ने एक स्क्रिप्ट तैयार की है और उसके लिए प्रोड्यूसर की तलाश में हैं।

अब निर्माताओं को उनकी ऐक्टिंग पर तो भरोसा है। लेकिन लेखन और निर्देशन संदिग्ध हैं। क्योंकि कंगना का यह काम कभी सामने नहीं आया। कंगना ने अपनी महत्वकांक्षाओं को कभी छुपाया नहीं। अमेरिका जाकर उन्हें स्क्रिप्ट राइटिंग और फिल्म डायरेक्शन के कोर्स किए। सूत्रों का कहना है कि क्वीन की सफलता से पहले कंगना अमेरिका जाकर अपने एक दोस्त के साथ एक फिल्म डायरेक्ट करने तैयारियां कर चुकी थीं। तभी अचानक मिली सफलता से वह बॉलीवुड में ऐक्टिंग करने के लिए रुक गईं। कंगना के करीबियों के हवाले से बताया जा रहा है कि उनकी लिखी फिल्म हीरोइन प्रधान है, परंतु उन्हें कोई प्रोड्यूसर नहीं मिल रहा है।वैसे कंगना ने इन बातों का खंडन किया है कि उनकी कोई स्क्रिप्ट तैयार है, जिसके लिए वह निर्माता ढूंढ रही हैं।कंगना के दावे के अनुसार यह सब अफवाहें हैं और 2017 तक उनके पास ऐक्टिंग से ही फुर्सत नहीं है। ऐसे में वह निर्देशन कैसे कर सकती हैं? खैर, सच जो भी है आज नहीं तो कल सामने आ ही जाएगा।

सिद्धार्थ की आंखो में आंसू देख रोई आलिया

आलिया और सिद्धार्थ के प्यार का एक और किस्सा सामने आया है। काफी समय से एक-दूसरे को डेट कर रहे सिद्धार्थ और आलिया ब्रदर्स देखने पहुंचे। जहां स्क्रीन पर रोते हुए सिद्धार्थ को देखकर आलिया भी रोने लगीं। अब कोई कुछ भी कहे आखिर दोनों में प्यार है और प्यार छुपता तो है नहीं। इस बात के खुद सिद्धार्थ ने ही मडिया को बताया कि आलिया कैसे फिल्म देखते हुए रोने लगी। खबरों पर यकीन किया जाए तो फिल्म में सिद्धार्थ का पिटना आलिया आलिया को बेहद नागवार गुजरा। हालांकि आलिया को फिल्म बहुत पसंद आई।

सिद्धार्थ ने बताया कि आलिया ने शुरू से फिल्म को देखा। उन्होंने क्लाइमेक्स की बहुत सराहना की और मुझे स्क्रीन पर रोता देख रोने लगी। उन्होंने आगे कहा, आलिया बहुत रोई है इस फिल्म को देखने के बाद। सिद्धार्थ और आलिया भट्ट ने करन जौहर की स्टूडेंट ऑफ द ईयर से साथ में करियर की शुरूआत की थी। दोनों इस समय एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं। हाल ही में दोनों के साथ में रहने की भी खबर आई थी। हालांकि आलिया के परिवार ने इस बात से इंकार किया है। इस समय दोनों कपूर एंड संस की शूटिंग कर रहे हैं।

-डॉ. विजय शुक्ला

 

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