17-Aug-2015 08:07 AM
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व्यावसायिक परीक्षा मण्डल के गड़े मुर्दे ज्यों ज्यों उखड़ रहे हैं, कुछ नई सच्चाई भी सामने आ री है। इस बार कटघरे में हैं व्यापमं के पूर्व अध्यक्ष जिनके कार्यकाल में विभिन्न परीक्षाओं में जमकर

धांधली हुई है। सीबीआई जिन परीक्षाओं में धांधली को लेकर एफआईआर दर्ज की है। उनकी गहराई में उतरने की तैयारी कर ली गई है। सूत्र बताते हैं कि व्यापमं के प्रथम अध्यक्ष से लेकर वर्तमान अध्यक्ष तक सभी की जाँच सीबीआई द्वारा की जा सकती है। विशेष कर उन अध्यक्षों के कार्यकाल पर ज्यादा गौर फरमाया जायेगा जिनके रहते इन परीक्षाओं में भयानक धांधली देखने को आयी थी। अर्टानी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहा है कि व्यापमं घोटाले से संबंधित मौजूदा 185 मामलों की संख्या बढ़ सकती है इससे यह साफ हो रहा है कि अब तक हुई सभी परीक्षाओं का परीक्षण सीबीआई द्वारा किया जा सकता है। हालांकि व्यापमं 2003 के बाद से ही ज्यादा सक्रिय हुआ और 2006 में अपने पूरे शबाब पर आया। इसलिए ज्यादातर गड़बडिय़ां 2006 के शुरू हुई। फिलहाल नापतौल भर्ती परीक्षा, एसआई भर्ती परीक्षा, आरक्षक भर्ती परीक्षा, दुग्ध संघ भर्ती परीक्षा, संविदा शिक्षक वर्ग-3 और 2 भर्ती परीक्षा, वन रक्षक भर्ती परीक्षा के अलावा पीएमटी में हुई धांधली को सीबीआई द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन परीक्षाएं केवल इतनी ही नहीं हैं। इस दौरान व्यापमं ने 2011 से लेकर 2015 तक ही 120 परीक्षाएं संचालित की हैं। जिनमें से 23 वर्ष 2011, 36 वर्ष 2012, 27 वर्ष 2013, 15 वर्ष 2014 और 19 वर्ष 2015 में अब तक संचालित हो चुकी हैं। ये केवल पिछले पांच वर्ष का ब्यौरा है। परीक्षाएं इससे पहले भी होती रही हैं। व्यापमं में 1982 से लेकर अब तक कुल 50 अध्यक्ष पदस्थ रहे 1982 में व्यापमं के गठन के समय केके चक्रवर्ती को पहला अध्यक्ष बनाया गया था। वे अप्रैल 1982 से जनवरी 1983 तक अध्यक्ष रहे। वर्ष 2003 में जब व्यापमं को कुछ ज्यादा जिम्मेदारियां सौंपी गई और उसे व्यावसायिक रूप से विकसित करने की बात उठी उस समय अरुण गुप्ता, जो कि अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी थे व्यापमं की कमान संभाल रहे थे, लेकिन व्यापमं चर्चा में आया वर्ष 2009 में उस वक्त पहली बार किसी समाचार पत्र में व्यापमं में गड़बड़ी का खुलासा एक छोटे से समाचार के द्वारा किया गया था। उस वक्त एम के राय व्यापमं के अध्यक्ष हुआ करते थे। 2010 से लेकर 2012 तक लगभग 20 माह रंजना चौधरी के हाथ में व्यापमं की कमान रही। इस दौरान पीएमटी के अलावा लगभग 39 परीक्षाएं व्यापमं द्वारा आयोजित की गई। इनमें से बहुत सी परीक्षाएं अब संदेह के घेरे में हैं। मुख्य रूप से प्रीपीजी परीक्षा 2012, पीएमटी परीक्षा 2010,11,12 जिसके सात मामले तो केवल ग्वालियर में ही दर्ज हैं के अलावा जेल प्रहरी परीक्षा 2010 एसआई परीक्षा 2011 डाटा एंट्री परीक्षा 2012 संविदा शिक्षक वर्ग 1,2,3 परीक्षाएं 11 और 12 शामिल हैं। ये सारी परीक्षाएं रंजना चौधरी और स्वदीप सिंह के कार्यकाल में संपन्न हुई। अगस्त 2012 को सम्पन्न पुलिस आरक्षक परीक्षा के नतीजे वर्ष 2013 की जनवरी तक आ चुके थे। इन परीक्षाओं के समय स्वदीप सिंह व्यापमं के अध्यक्ष हुआ करते थे। बाद में वर्ष 2013 में सम्पन्न दुग्धसंघ भर्ती परीक्षा में भी भारी अनियमितता देखने को मिली। उस समय डी के सामन्तरे व्यापमं के अध्यक्ष थे। अपुष्ट सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2014 तक आयोजित सारी परीक्षाएं सीबीआई के स्केनर से गुजर सकती है क्योंकि सीबीआई ने इस तथ्य को गंभीरता से लिया है कि सरकार ने वर्ष 2009 में सागर, ग्वालियर, जबलपुर में मुन्नाभाईयों के पकड़ाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया। धांधलियां फिर भी होती रहीं। जुलाई 2013 से फरवरी 2014 तक देवराज बिरदी के कार्यकाल में बहुत सी परीक्षाओं में धांधली की शिकायत एसटीएफ के पास आई थी बिरदी जुलाई 2014 से अगस्त 2014 तक संक्षिप्त कार्यकाल में भी व्यापमं के अध्यक्ष बने। इस बीच फरवरी 2014 से लेकर जुलाई 2014 तक एपी श्रीवास्तव को व्यापमं का अध्यक्ष बनाया गया। वे दोबारा अगस्त 2014 में कुछ समय के लिए अध्यक्ष बने। वर्तमान में एम.एम. उपाध्याय व्यापमं की कमान संभाल रहे हैं। रंजना चौधरी, देवराज बिरदी और डीके सामन्तरे के कार्यकाल की विशेष जांच की जा सकती है। एसटीएफ के पास जिन परीक्षाओं की सूचना है। उनके अतिरिक्त भी लगभग एक दर्जन परीक्षाओं को संदेश की दृष्टि से देखा जा रहा है। जिस तरह रंजना चौधरी को बचाने की कोशिश हुई उसके चलते उनका कार्यकाल ज्यादा संदिग्ध हो गया। रंजना चौधरी को सरकारी गवाह भी बनाया गया। उनके ऊपर इतनी मेहरबानी क्यों की गई यह बड़ा सवाल है। जबकि रंजना चौधरी के ऊपर 32 लाख रुपए रिश्वत लेने का आरोप पंकज त्रिवेदी ने लगाया था।
उधर, रोहतगी द्वारा यह कहे जाने के बाद कि व्यापमं में आरोपियों की संख्या बढ़ सकती है, मध्यप्रदेश में बेचैनी है। जो सलाखों के पीछे हैं उन्होंने राष्ट्रपति से जमानत देने अथवा दया मृृत्यु की दरकार की है। लेकिन उनके सब्र का बांध भी टूट रहा है। जमानत की जल्दी सभी को है जो बाहर हैं उन्हें भी क्योंकि जो भीतर हैं उनके भीतर खदबदाता ज्वालामुखी यदि फट पड़ा तो बहुतों को नुकसान उठाना पड़ेगा। व्यापमं में हेंडपंप का पंप दिखा है। सीबीआई के सूत्र बताते हैं कि पाईप की तलाश की जा रही है।
-आर के बिन्नानी