05-Aug-2015 08:16 AM
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मध्य प्रदेश के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग मंत्री विजय शाह हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। रंगीन मिजाज शाह का शौक और उनकी बदजुबानी हमेशा संगठन और सरकार के

लिए परेशानी खड़ी करते रहते हैं। कभी संस्कृति के नाम पर बेड़नियों के नाच, कभी संत की समाधि पर अधनंगी विदेशी बालाओं के डांस, कभी मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह को लेकर कथित अभद्र द्विअर्थी टिप्पणी तो कभी सांप डसने के कारण चर्चा में बने रहते हैं। इस कारण उन्हें एक बार अपनी कुर्सी भी गंवानी पड़ी। हालांकि जातीय और क्षेत्रीय समीकरण बिठाने के चक्कर में उन्हें फिर से मंत्री बना दिया गया है, लेकिन रस्सी जल गई उसकी ऐंठन नहीं गई वाली कहानी का चरितार्थ करते हुए वे आज भी उसी तरह काम कर रहे हैं। शाह जिस भी विभाग में मंत्री रहे हैं उस विभाग के ईमानदार अफसरों से उनकी नहीं पटी अक्सर अफसरों से उनके विवाद की खबर आती रहती है।
वर्तमान में शाह एक बार फिर से अपनी बदजुबानी के कारण चर्चा में हैं। दरअसल, 14 जुलाई को कैबिनेट की बैठक में व्यापमं घोटाले में सरकार का पक्ष जनता के बीच रखे जाने को लेकर मंत्रियों के बीच मंत्रणा हो रही थी। तकनीकी शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने सरकार की छवि खराब होने की बात रखते हुए सुझाव दिया कि हमें जनता के बीच जाकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने 4 पेज में 12 बिंदुओं का एक नोट भी बांटा। इससे पहले मंत्री गुप्ता ने पूरी कैबिनेट को व्यापमं के नए सेटअप को लेकर प्रजेंटेशन दिया, जिस पर कई मंत्रियों ने अपने सुझाव दिए। कैबिनेट में तब स्थिति बड़ी असहज हो गई, जब खाद्य मंत्री विजय शाह ने मंत्री गुप्ता से कहा कि मंत्री जी व्यापमं मामले में छाए हुए हो। शाह के इतना बोलते ही मंत्री गुप्ता के चेहरे के भाव बदल गए, वहीं कैबिनेट में मौजूद अन्य मंत्री एक-दूसरे की ओर देखने लगे। इसी बीच महिला एवं बाल विकास मंत्री माया सिंह ने शाह से कहा कि आप वरिष्ठ मंत्री हैं, आपको इस तरह की बात नहीं करना चाहिए। आपको पता है कि कैबिनेट की हर बात बाहर मीडिया तक जाती है। बताया जाता है कि इसके बाद मुख्यमंत्री और बाद में प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने भी शाह को समझाइस दी।
विवाद से चोली-दामन का साथ
किसी जमाने में आदिवासी अचंल में गुलाम भारत में मकड़ई नामक रियासत हुआ करती थी। बीते 90 के दशक में जब दिग्विजय सिंह की सरकार थी, तब पुलिस के डंडों से बेरहमी से पिटने के बाद जगह-जगह से टूटे-पिटे इसी रियासत के राजकुंवर विजय शाह अचानक मध्यप्रदेश की राजनीति में धुमकेतू के रूप में सुर्खियों आए। विद्यार्थी परिषद से राजनीति में आए शाह में भारतीय जनता पार्टी को संभावनाएं नजर आईं। पहले विधायक बने और बाद में पार्टी ने उन्हें मंत्री पद से नवाजा, लेकिन विजय शाह और उसका पूरा परिवार किसी न किसी रूप में किसी न किसी विवाद में पड़ता रहा है। खासकर जब से शाह मंत्री बने हैं, तभी से कई बार उन्होंने पार्टी को भी संकट में डाला।
रंगीन मिजाजी के लिए हमेशा चर्चा में
महिलाओं के संग विजय शाह के सबंध भी अकसर सुर्खियों में रहे है। शाह की रंगीन मिजाजियों के किस्सों की फेहरिस्त इतनी लंबी हैं कि उसकी चर्चा कि जाए तो पूरा ग्रन्थ बन जायेगा। बैतूल में अजाक विभाग में दो-दो विभागों की प्रमुख बनी रही एक आदिवासी महिला अधिकारी के खिलाफ जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने के बाद भी सिर्फ विजय शाह के दबाव के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। सूत्रों का कहना है कि अधिकारी से पूर्व अजाक मंत्री जी की दिलचस्पी एवं करीबी किसी से छुपी नहीं रही है। इस कथित प्रेम प्रसंग के चलते विजय शाह अकसर बैतूल जा धमकते रहे हंै। कभी वे कुलदेवी की पूजा के बहाने तो कभी पूजा बेदी जैसी महिला अधिकारी के चलते। यही नहीं शाह की रंगीनियों के किस्से कई बार सार्वजनिक भी हुए हैं। वर्षों पहले मंत्री के एक कर्मचारी की पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसके पति ने उसको मंत्री के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए प्रताडि़त किया। यही नहीं, महिला ने थाने जा कर अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज के लिए प्रताडि़त करने का आरोप भी लगाया था। महिला ने बताया था कि वह अपने पति की दूसरी पत्नी है और जब से उसकी शादी हुई है पति विन्सू भालेराव, जो मंत्री की गैस एजेंसी में काम करता है, दहेज के लिए परेशान कर रहा था। जब उसकी मांग पूरी नहीं हुई, तो उसने महिला को मंत्री के साथ अनैतिक कृत्य करने के लिए दवाब बनाया। जब महिला ने इसका विरोध किया, तो जान से मारने की धमकी देने लगा। आखिर में महिला ने थाने पहुंच कर रिपोर्टे दर्ज कराई थी। हालांकि, महिला ने यह भी स्वीकार किया था कि वह मंत्री से आज तक नहीं मिली है। इस मामले में विजय शाह का कहना था कि पूरा मामला पारिवारिक है। मुझे बेवजह इसमें बदनाम किया जा रहा है।
मंत्री पद का दुरुपयोग
शाह ने किस तरह से पिछले कार्यकाल में मंत्री पद का दुरुपयोग किया, इससे जुड़ी शिकायतों की फेहरिस्त भी काफी लंबी है। शाह के विरुद्ध आदिमजाति कल्याण विभाग में कंप्यूटर और इनवर्टर खरीदी में घोटाले तथा वन विभाग में बंदूकों की खरीद घोटाले की भी ईओडब्ल्यू में शिकायत हो चुकी है। बताते हैं कि मुख्यमंत्री भी शाह से खार खाए बैठे हैं, लेकिन वे बेचारे क्या करें उन्होंने दिल्ली के दबाव में इस मनचले व्यक्तित्व वाले शख्स को मंत्री बना दिया हैं, सो इसका खामियाजा भविष्य में पूरी भाजपा को भोगना पड़ेगा, क्योंकि खण्डवा में संत की समाधि पर अधनंगी रूसी बालाओं को नचाकर उन्होंने भाजपा की शुचिता को तार-तार कर डाला था।
आदिवासी वोट पाने के लिए विजय शाह ने दातार साहब की समाधि पर मालगांव उत्सव का आयोजन सरकारी पैसे से शुरू करवाया, पहले वहां संस्कृति के नाम पर बेड़नियों का डांस करवाया गया था, तब उस मामले को दबा दिया गया। लेकिन जब विजय शाह ने विदेशी लड़कियों को संत की समाधि पर नचवाया तो बखेड़ा शुरू हो गया। संत की समाधि पर नंगा नाच हुआ यह सच है और इस पर विवाद भी स्वाभाविक हैं। सवाल है कि क्या एक संत की समाधि पर अधनंगी लड़कियों का नाच जरूरी था क्या? क्या विजय शाह की इस करतूत से भाजपा की रीति नीतियां मेल खाती हैं?
विजय शाह जहां अपनी करतूतों के कारण हमेशा विवादों में फंसे रहते हैं वहीं उनके सुपुत्र भी उनसे कम नहीं है। इंदौर में एक उद्योगपति की बेटी के बेहोशी की हालत में एक फ्लैट के बाहर पड़े मिलने के बाद उनके बेटे पर आरोप लगे थे। आरोप था कि शराब के नशे में उनके बेटे ने इस छात्रा को कमरे से बाहर फेंक दिया था। तब यह बात भी सामने आई थी कि मंत्री पुत्र और छात्रा समेत उनके सभी साथी नशे में धूत्त थे और शराब ज्यादा हो जाने के कारण वे अपनी साथी को छोड़ भाग गये थे। हालांकि दोनों पक्षों ने पुलिस में इस बारे में कोई शिकायत नहीं की। इसी घटना के कुछ दिन बाद ही विजय शाह के पुत्र इंदौर के एक व्यस्त चौराहे पर तेज गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट करने के मामले में झड़प के शिकार हुए। बताया जाता है कि मंत्री पुत्र के साथ गुस्साए लोगों ने हाथापाई भी की। इस मामले में भी राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस ने मंत्री पुत्र के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
मुंह पर लगाम नहीं : अपने विवादित टिप्पणी के कारण भी विजयशाह सुर्खियों में छाए रहे। ब्राह्मणों के खिलाफ की गई टिप्पणी के विरोध में कुछ युवकों का हुजूम उनके आवास पर मुंह काला करने पहुंच गया था। हाथ में काला रंग लिए युवक मंत्री तक पहुंचते इससे पहले ही पुलिस ने तीन युवकों को दबोच लिया था। यही नहीं जब शाह आदिम जाति कल्याण मंत्री थे तो एक सरकारी योजना में घपले की शिकायत की जांच करने शिवपुरी पहुंचे शाह के दल पर हितग्राहियों ने हमला कर दिया। विजय शाह जांच दल में शामिल अफसरों के साथ गांधी कॉलोनी स्थित अजाक्स के पूर्व जिलाध्यक्ष कमल किशोर कोड़े के परिवार के सदस्यों के घरों पर पहुंचे तो मामला गरमा गया। मौके की नजाकत को भांपते हुए शाह हितग्राहियों के घरों में स्टील एवं अन्य प्लांट को देखने खुद नहीं गए और समीप ही भाजपा कार्यकर्ता के घर जाकर बैठ गए। जांच के लिए विभाग के अफसर पर शिवदास कोड़े के घर में हितग्राहियों और उनके परिवार के सदस्यों ने जांच दल पर हमला कर दिया। भाजपा कार्यकर्ता एवं मप्र सफाई कामगार संगठन के सदस्य महेशचंद्र डागौर को पटक-पटक कर पीटा गया। जांच दल में शामिल अफसर भागकर मंत्री शाह के पास पहुंचे और मामले की जानकारी दी। इसके बाद शाह भी बिना जांच किए गाड़ी में बैठकर निकल गए। वर्तमान में भी शाह ने जब कई जगह रात को जाकर छापामार कार्रवाई की है तो स्थिति बिगड़ गई। हालांकि पुलिस बल साथ होने के कारण स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया। दरअसल, आरोप लगाया जाता है कि शाह उन्हीं के खिलाफ छापामार कार्रवाई कर रहे हैं, जो उनकी नहीं सुन रहे हैं।
शाह को लगा इंस्पेक्टरगिरी का चस्का
हमेशा विवादों में रहने के आदि हो चुके शाह को इनदिनों इंस्पेक्टरगिरी का चस्का लगा है। वह कभी सुबह तो कभी देर रात किसी दूकान, पेट्रोल पंप या अन्य संस्थानों पर पहुंच कर जांच में जुट जाते हैं। मंत्री की इस कार्यप्रणाली से विभागीय अफसर खफा हैं। उनका कहना है कि इससे विभाग की कार्य प्रणाली संदेह के घेरे में आती है। यही कारण है कि कई बार मंत्री को घोर उपेक्षा का भ्ी सामना करना पड़ जाता है। अभी हाल ही में जब शाह जबलपुर गए थे तो उनके विभागीय अफसरों ने ही किनारा कर लिया। यहां तक कि प्रोटोकाल में तैनात अफसर भी उनके आने-जाने की टाइमिंग से अनजान रहे। कलेक्टर शिवनारायण रूपला ने इस बात को गंभीर मानते हुए अफसरों को जमकर फटकार लगाई है। रूपला ने जब अफसरों से लापरवाही पर पूछताछ करना शुरू किया तो सभी एक-दूसरे पर बात डालते रहे। वहीं मंत्री ने अभी तक खरगापुर, सनावद, खरगौन, बढ़वाह आदि जितने भी क्षेत्रों में छापामार कार्रवाई की है उससे वहां के स्थानीय व्यवसाई खफा हैं। अभी हालही में मंत्री जी भोपाल-होशंगाबाद मार्ग पर स्थित ढ़ाबों और दुकानों पर बिना खाद्य विभाग के अमले के पहुंच गए। वहां उन्होंने कुछ चीजों को चखा और उन्हें खराब बताते हुए विभाग के अफसरों को तलब किया तथा सैंपल जब्त करने को कहा। बताया जाता है कि जब अधिकारियों ने जांच की तो उनमें कोई गड़बड़ी नहीं पाई गर्ई। उधर, व्यवसाईयों का कहना है कि इससे हमारी विश्वसनीयता पर सवाल उठता है।
टीआई के निलंबन के लिए पार की हदें
मई माह में शाह ने तब हद कर दी थी जब वह खंडवा जिले के धनगांव के टीआई के निलंबन की मांग को अड़ गए थे। उन्होंने मंत्री पद की गरिमा का ध्यान न रखते हुए सार्वजनिक तौर पर घोषणा की थी कि अगर टीआर्ई को सस्पेंड नहीं किया गया तो मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा। दरअसल, मंत्री की पत्नी भावना शाह की पार्टनरशिप वाली चावला बस सर्विस की एक बस बाइक सवार को टक्कर मार कर भाग रही थी। बस ड्राईवर ने बैरियर तोड़ दिया और भाग निकला, जिसको ओवरटेक करके रोका गया। ड्राइवर को पुलिस पूछताछ के लिए थाने लेकर गई। इस पर मंत्री जी भड़क गए और धनगांव के टीआई के खिलाफ पुलिस के उच्चाधिकारियों को शिकायत की गई। शुरूआत में टीआई की गलती नहीं होने से कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन बाद में शाह ने टीआई को सस्पेंड नहीं किए जाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तक से बात करने की सार्वजनिक घोषणा की थी। इसके बाद ही दबाव में आए पुलिस के आला अधिकारियों ने पहले तो टीआई को लाइन अटैच किया और फिर सस्पेंड कर दिया।
-इंदौर से विकास दुबे