16-Aug-2015 08:13 AM
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पानी के संकट से जूझ रहे बुंदेलखण्ड की प्यास बुझाने को पांच वर्ष पूर्व केंद्र ने 7266 करोड़ रुपये की राशि एक विशेष पैकेज के तहत मप्र तथा यूपी के 13 जिलों को दिए लेकिन हजारों करोड़ रुपये
भी बुंदेलखण्ड की प्यास नहीं बुझा सके! पिछले साल वहां ठीक-ठाक बारिश हुई थी, पूरे पांच साल बाद। एक बार फिर बुंदेलखंड सूखे से बेहाल है। लोगों के पेट से उफन रही भूख-प्यास की आग पर सियासत की हांडी खदबदाने लगी है। मसला सियासती दांव-पेंच में उलझा है और दो राज्यों के बीच फंसे बुंदलेखंड से प्यासे, लाचार लोगों का पलायन जारी है।
वर्ष 2009 में भू-गर्भ एवं रिमोट सेंसिंग वैज्ञानिकों ने केन्द्र सरकार को एक सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत कर बताया था कि बुंदेलखण्ड क्षेत्र में कम वर्षा एवं जल दोहन के चलते भू-गर्भ जल स्तर में बेहद गिरावट आयी है यदि जल्द ही कोई उपाय न किये गए तो आने वाले दस वर्षों में बुंदेलखण्ड के जिलों में पानी की स्थिति भयावह हो जाएगी और लोग पानी के लिए तरसेंगे! रिपोर्ट के बाद केन्द्र सरकार ने भयावह होती स्थिति के मद्देनजऱ बुंदेलखण्ड क्षेत्र के मप्र के छह जिलों को 3760 करोड़ रुपये और यूपी के 6 जिलों की प्यास बुझाने को 3506 करोड़ रुपये बुन्देलखंड विशेष पैकेज के तहत देने का फैसला किया जिसकी जिम्मेदारी योजना आयोग ने रेनफिड अथोरटी चीफ डॉ. जे.एस सांवरा को सौंपी! जो वर्षा आधारित खेती के रकवे को कम करने का काम देख रहे थे! इस विशेष पैकेज में मप्र के दमोह, सागर, दतिया, पन्ना, छतरपुर तथा टीकमगढ़ जिलों तथा यूपी के जालौन, झांसी, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर, चित्रकूट तथा बांदा की तस्वीर बदली जाने की योजना को मूर्तरूप दिया जाना था! जिस समय बुंदेलखंड विशेष पैकेज की घोषणा की गयी उस समय केन्द्र में कांग्रेस, मप्र में भाजपा तथा यूपी में बसपा का शासन था! केन्द्र तथा राज्य में चुनाव के बाद केन्द्र में भाजपा तथा मप्र राज्य में भाजपा तथा यूपी में सपा शासन सत्ता में आयी! केन्द्र की दोनों सरकारों ने घोषणा के तहत धनराशि दोनों राज्यों को दे दी! लेकिन दोनों ही राज्य बुंदेलखंड की प्यास बुझाने में सक्षम साबित नहीं हुए! इस योजना के तहत यूपी तथा मप्र के जिलों में 20 हजार कुओं का निर्माण, पुराने कुओं तथा तालाबों का गहरीकरण, 4 लाख हेक्टेयर भूमि को कृषि योग्य सिंचाई का पानी उपलब्ध करवाना, जल संरक्षण नहरों का गहरीकरण बांध परियोजनाओं, उद्यानीकरण में फलों की खेती का क्षेत्रफल बढऩे, फूलों की खेती, जैविक खेती को बढ़ावा देना, पशुपालन में वृद्धी, दूध तथा मीट प्रसंस्करण की यूनिट लगाने आदि पर खर्च किया जाना था! दोनों ही प्रदेशों ने इन पांच वर्षों में क्या काम किया ये धरातल पार काम करने वाले लोगों से छिपा नहीं है! दोनों ही सरकारें दिये गए धन का उपयोग का प्रमाण पत्र न दे सकी!
वर्ष 2009 से 2012 तक केन्द्र सरकार ने 1212.54 करोड़ रुपए यूपी सरकार को दिये लेकिन यूपी सरकार केवल 744.29 करोड़ ही खर्च कर सकी! पीने के पानी तथा सिंचाई के पानी पर 400.25 करोड़ के सापेक्ष 248.31 करोड़ ही सरकार खर्च कर सकी! रूरल क्षेत्रों में पीने के पानी की सप्लाई को 70 के सापेक्ष 20 करोड़, कुओं-तालाबों के रिचार्ज को 85.66 करोड़ के सापेक्ष केवल 15.45 करोड़ ही खर्च किये गए, 103 करोड़ रुपए 140 कम्युनिटी टयूबवेल के लिए दिये गए लेकिन दु:ख की बात ये है कि एक भी कम्युनिटी टयूबवेल नहीं लगवाये गए! 30,864 तालाबों को तैयार किया जाना था लेकिन लक्ष्य के सापेक्ष 5,442 तालाबों को ही तैयार करवाया गया!
मध्य प्रदेश के छह जिले भी बुंदेलखंड में आते हैं। उन छह जिलों की हालत भी खराब है। राज्य सरकार इनकार के चाहे जितने तरीके ढूंढ़ ले, यह हकीकत है कि मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के किसान भी हाशिये पर धकेल दिए गए हैं और उनमें से कई भुखमरी का शिकार हो चुके हैं। कर्ज के बढ़ते बोझ के कारण अपमान झेलने से बचने के लिए बुंदेलखंड के सैकड़ों किसान पलायन का सुरक्षित रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। सूदखोर महाजन वसूली करने के लिए किसानों को प्रताडि़त कर रहे हैं। जिले के ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक भी ऋण उगाही के लिए उनकी बांह मरोड़ रहे हैं। ऐसे में हैरानी नहीं है कि ज्यादातर किसानों के पास अपनी जान देने के अलावा और कोई चारा नहीं है। विपत्ति में फंसे बुंदेलखंड के किसान रोजी-रोटी की तलाश में पंजाब, दिल्ली, मुंबई और हरियाणा की ओर भाग रहे हैं। ट्रकों में जानवरों की तरह भर कर इलाके से बाहर ले जाए जा रहे किसानों के दृश्य यहां आम हैं। बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष राजा बुंदेला कहते हैं कि बुंदेलखंड की हालत इतनी खराब है कि वह मृत्युशैया पर पड़ा नजर आ रहा है। हालांकि यह क्षेत्र हमेशा से ही ऐसा नहीं रहा है। कुदरत कभी उसके साथ इतनी बेरहम नहीं रही है। इस क्षेत्र के नेताओं ने बुंदेलखंड को बदहाल करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। वहीं इस क्षेत्र में आने वाले सागर के रहली से विधायक और प्रदेश के पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव कहते हैं कि आज बुंदेलखंड की तस्वीर बदल गई है। यहां तेजी से विकास हो रहा है। प्रदेश सरकार यहां पर कई योजनाएं चला रही है। जबकि पन्ना जिले की पवई विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक मुकेश नायक का कहना है कि यूपीए सरकार ने बुंदेलखंड के लिए जो पैकेज दिया उससे प्रदेश सरकार के मंत्री मालामाल हो गए हैं। वहीं टीकमगढ़ के जतारा से कांग्रेस के विधायक दिनेश कुमार अहिरवार कहते हैं कि प्रदेश की भाजपा सरकार इस क्षेत्र के लोगों से हमेशा भेदभाव किया है। प्रदेश सरकार में इस क्षेत्र के कई मंत्री है, लेकिन कोई भी यहां के लोगों की समस्या दूर करने में रुचि नहीं ले रहा है।
-धर्मेन्द्र सिंह