16-Aug-2015 10:35 AM
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मप्र में अवैध टूर एंड ट्रेवल्स का गोरखधंधा तेजी से फलफूल रहा है। कोई भी अपनी मर्जी से कहीं पर भी ट्रेवल एजेंसी का बोर्ड लगाकर गाडिय़ां किराए पर देना शुरू कर देता है। आरटीओ का ऐसे
लोगों
पर कोई नियंत्रण ही नहीं। इसका नतीजा है कि परिवहन विभाग के पास अब तक प्रदेशभर में चल रही कई ट्रेवल एजेंसियों का कोई रिकॉर्ड नहीं हैं। राजधानी में भी कई स्थानों पर ट्रेवल्स के बोर्ड लगे हुए हैं लेकिन प्रशासनिक अमले से लेकर ट्रैफिक पुलिस और परिवहन महकमे के कर्मचारियों का ध्यान उन पर नहीं जाता है। दरअसल,परिवहन विभाग पूरी तरह दलालों के चंगुल में फंसा हुआ है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि एक ही नंबर की दो टैक्सी एक साथ घूमती हैं और न उसे यातायात और न ही पुलिस विभाग के जवान देख पाते हैं। यहीं नहीं आरटीओ में टैक्सियों के रजिस्ट्रेशन में भी बड़ा खेल हो रहा है।
अभी हाल ही में भोपाल जिला अदालत के सामने एक ही नंबर की दो गाडिय़ां (एमपी 04 टीए 4989)पकड़ाईं थी, जो विजयलक्ष्मी टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी की थीं।
सूचना के आधार पर परिवहन विभाग की टीम ने जवाहर चौक स्थित कंपनी के रजिस्टर्ड पते पर जाकर जांच की तो पता लगा कि वहां कोई ट्रैवल एजेंसी ही नहीं है। आरटीओ ने बताए पते पर ऑफिस ना होने, पता परिवर्तन की सूचना ना देने, एक नंबर पर दो वाहन चलाने और शासकीय कार्य में सहयोग ना करने के चलते कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया और संचालक धर्मेंद्र शर्मा को जेल भेज दिया गया। शर्मा दो दिन जेल में रहे। यह तो मात्र एक मामला उजागर हुआ है, न जाने और ऐसे कितनी टैक्सियां चल रही हैं। जानकारी के मुताबिक भोपाल आरटीओ ने मात्र 28 एजेंसियों को ही ट्रेवल्स के कारोबार के लिए लाइसेंस दिए हैं। हकीकत में इस वक्त राजधानी में ही एक सैकड़ा से ज्यादा ट्रेवल एजेंसियां चल रही हैं।
लाइसेंस रिन्यूवल में खेल
आरटीओ में टूर एंड ट्रैवल्स कंपनियों के लाइसेंस के नवीनीकरण में भी जमकर खेल चल रहा है। जिस कंपनी का आरटीओ के दलालों से सांठगांठ रहती है उनका लाइसेंस बिना जांच के ही रिनुअल कर दिया जाता है। यही नहीं कई बार तो ऐसा भी देखने को मिला है कि महिनों लाइसेेस एक्सपायर होने के बाद भी बिना जुर्माने के उनका लाइसेंस रिन्यू कर दिया जाता है। जबकि बिना सांठ गांठ के टैक्सी चलाने वाले का लाइसेंस रिन्यू कराने में एक-दो दिन की भी देरी होती है तो पेनाल्टी वसूली जाती है। अभी हाल ही में जहां एक टैक्सी संचालक से 4 दिन की देरी होने पर 4,000 रूपए वसूले गए, वहीं सुपर ट्रेवल्स का लाइसेंस जब ढाई साल बाद रिन्यू हुआ हो उससे कोई पेनाल्टी नहीं ली गई। यही नहीं कई कंपनियों की गाडिय़ां तो बिना लाइफ टाइम रोड टैक्स के ही चल रही है। पड़ताल में सामने आया है कि सूपर ट्रेवल्स की छह गाडिय़ां बिना लाइफ टाइम रोड टैक्स के दौड़ रही हैं। इनके कागजात अक्स के पास मौजुद है। अवैध टैक्सी संचालकों और आरटीओ के दलालों का काकस इस तरह काम कर रहा है कि इससे विभाग के बड़े अफसर भी प्रभावित होते हैं। अभी हाल ही में आरटीओ के अफसरों की निष्क्रियता का ऐसा मामला देखने को मिला जिससे परिवहन विभाग के आला अफसर को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। हुआ यह कि टैक्सी संचालकों की मेहरबानी में मदमस्त अफसरों ने साहब के बेड़े में एक बिना रोड टैक्स जमा की हुई गाड़ी शामिल कर दिया। जब साहब को इसकी खबर लगी तो उन्होंने अफसरों को फटकार लगाकर गाड़ी वापस कराई।
टैक्स बचाने चल रहा गठजोड़
बताया जाता है कि ट्रेवल एजेंसी को रजिस्टर्ड करवाने की फीस मात्र 10 हजार रुपए है, वहीं लाइसेंस रिन्यू कराने की फीस 5,000 रूपए है। लेकिन ट्रेवल एजेंसी के संचालक रजिस्ट्रेशन नहीं करवाते। इसका मुख्य कारण एजेंसी रजिस्टर्ड करवाने के बाद ट्रेवल्स पर लगाई जाने वाली हर गाड़ी का टैक्स आरटीओ में जमा करना होगा। ऐसा करने पर काफी पैसा टैक्स में चला जाएगा, इसलिए एजेंसी के संचालक बचत करते हुए उसका रजिस्ट्रेशन नहीं करवाते। इसके अलावा ट्रेवल्स के मार्फत जाने वाली हर गाड़ी का सर्विस टैक्स भी सरकार को देना पड़ेगा। इसलिए भी उनके संचालक अपनी एजेंसी का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाते। इतना ही नहीं हर दिन का रिकॉर्ड तक मेंटेन करना होगा, जो उनके संचालक नहीं करना चाहते। इसलिए सारा कारोबार नंबर दो में चलाते रहते हैं। आरटीओ विपिनकांत मिश्रा का कहना है कि अवैध ट्रेवल्स एजेंसी पर कार्रवाई जारी है। हाल ही में विजय लक्ष्मी ट्रेवल्स का लाइसेंस भी इसी कड़ी में कैंसिल किया गया है। आने वाले दिनों में आरटीओ द्वारा विभिन्न स्थानों पर संचालित अवैध ट्रैवल एजेंसियों की जांच की जाएगी।
-अक्स ब्यूरो