खूनी बनी भोपाल की सड़कें
16-Aug-2015 09:33 AM 1234823

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बरसात की कुछ बौछारों से ही उखड़ चुकी सड़कों पर चलना है तो बेहतर है अपना बीमा करा लिया जाए। क्योंकि विश्व के इतिहास में संभवत: पहली बार ऐसी सड़कें मध्यप्रदेश की राजधानी में बनाई गई हैं जो लोक से परलोक ले जाने में भी सक्षम हैं और सरकार के नुमाइंदे बड़ी बेशर्मी से इन सड़कों का गुणगान करते हुए मध्यप्रदेश के विकास का ढिंढोरा पीट रहे हैं। बरसात में खूनी हो चुकीयह सड़कें सैकड़ों लोगों को तो लील चुकी है, लेकिन
इसके बाद भी उनकी यह रक्त पिपासा शांत नहीं हुई है।
वैसे भोपाल ही नहीं मध्यप्रदेश में तो कई जगह ऐसे ही हालात हैं।  देश में एक साल के अंदर स्पीड और खतरनाक ड्राइविंग के कारण पिछले साल 1.41 लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकडों के मुताबिक साल 2014 में औसतन हर घंटे 16 मौतें हुईं जो 2013 के मुकाबले 3 फीसदी ज्यादा थी। भोपाल मध्यप्रदेश का वो शहर है जहां सर्वाधिक रोड एक्सीडेंट होते हैं। मप्र में जहां 2014 में 39 हजार 700 एक्सीडेंट में 9292 मौतें हुई हैं, वहीं भोपाल में 1015 लोगों की मौत हुई है यानी यहां रोजाना औसतन तीन लोगों की मौत सड़क हादसों में हो जाती हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2014 की रिपोर्ट में हुआ है। यह देश का तीसरा ऐसा शहर है जहां सबसे ज्यादा मौतें रोड एक्सीडेंट में हुईं। हर चौराहे पर चालान बनाती यातायात पुलिस के मुखियाओं के लिए यह शर्मनाक समाचार है।
सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों के मामले में झीलों के खूबसूरत शहर भोपाल ने मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसी मेट्रो सिटी को भी पीछे छोड़ दिया है। एनसीआरबी ने हादसों में मौत के जो आंकड़े जारी किए हैं, उनमें सड़क और रेल दुर्घटना के साथ ही औद्योगिक, निर्माण कार्यों के दौरान होने वाले हादसे, डूबने और सहित अन्य तरह के हादसे शामिल हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2014 में भोपाल में 1015 मौतें ट्रैफिक एक्सीडेंट में हुई हैं। इस मामले में भोपाल देश भर में तीसरे स्थान पर है। 2014 में ट्रैफिक से होने वाली मौतों के मामले में दिल्ली और चेन्नई भोपाल से आगे हैं। क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से भोपाल इन शहरों से काफी छोटा है, लेकिन सड़क हादसे से होने वाली मौतों का अंतर इन शहरों के बीच ज्यादा नहीं है, इसलिए भोपाल की पहचान एक्सीडेंट केपिटल के रूप में बन रही है। मप्र की बात करें, तो इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर जैसे महानगर सड़क हादसों के मामले में काफी सुरक्षित हैं। 2014 में इंदौर में 298, जबलपुर में 138 और ग्वालियर में 134 मौतें सड़क हादसे में हुई हैं। भोपाल में 1015 में से 788 सड़क हादसे से, 132 रेल्वे एक्सीडेंट और 95 रेल्वे क्रॉसिंग पर जान गई हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकडों के अनुसार देशभर में ज्यादा स्पीड में वाहन चलाने के कारण 1.7 लाख टक्कर हुई जिसमें 49000 से ज्यादा लोगों की मौतें हुई। वाहन चालकों के खतरनाक ड्राइविंग के कारण 1.4 लाख दुर्घटनाएं हुई जिसमें 42000 से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी। सड़क हादसों में कुचले गए और घायल हुए लोगों की संख्या भी इस साल में सबसे अधिक रही। यह आंकड़ा क्रमश: 4.5 लाख और 4.8 लाख था। सड़क हादसों में मरने वालों लोगों की कुल संख्या के आधे लोग टू वीइलर और ट्रक से जुड़ी दुर्घटनाओं में मरे। जबकि दुर्घटना में 13,787 टू वीइलर ड्राइवर की मौत हुई और इन्हीं दुर्घटनाओं में अन्य संबंधित 23,529 यात्रियों की मौत हुई। साथ ही 1.4 लाख लोग इन हादसों में घायल हुए। सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या के लिहाज से ये राज्य सबसे ज्यादा घातक साबित हुए-यूपी, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान। यूपी में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 16,284 औऱ तमिलनाडु में यह आंकड़ा 15000 रहा।

सड़क हादसे से मप्र में होने वाली मौतों पर एक नजर
द्य    2014 में 39 हजार 700 एक्सीडेंट में 9292 मौतें
द्य    4070 मौतें अत्यधिक स्पीड की वजह से
द्य 2771 मौतें गलत ओवरटेक या लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण
द्य 118 मौतें शराब पीने की वजह से
द्य ट्रक एक्सीडेंट में 1500 मौत
द्य 800 मौत कार से टकराकर
द्य जीप से टकराकर 500 मौत
द्य ट्रैक्टर की वजह से 672 मौतें
द्य स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स(एसयूवी) की वजह से 412 मौत
द्य सबसे ज्यादा एक्सीडेंट(7337) दोपहर 12 से 3 बजे के बीच में
सबसे ज्यादा मौत इन शहरों में
शहर    मौत
दिल्ली    1332
चेन्नई    1046
भोपाल    1015
जयपुर    844
बेंगलुरु    729
मुंबई    667
कोलकाता    431
सबसे ज्यादा मौत वाले राज्य
राज्य    मौत
उत्तरप्रदेश    16324
तमिलनाडू    15190
महाराष्ट्र    13529
कर्नाटक    10444
राजस्थान    10301
मध्यप्रदेश    9292
-राजेश बोरकर

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