इंडस्ट्री में हम शक्लों का भी बोलबाला
16-Aug-2015 09:23 AM 1234840

किसी बड़े और ख्यातिप्राप्त व्यक्ति का हमशक्ल होना भी एक अलग तरह की कैद है। यह कैद आपको जिंदगी भर किसी और की छवि में जकड़े रखती है। आप चाहकर भी उससे आजाद नहीं हो सकते। चाहे आप में कितनी भी गजब प्रतिभा है, आप कमाल के कलाकार हैं और हर विधा में पारंगत हैं, और कोशिश करेंगे, तो भी दुनिया फिर से आपको किसी और की छवि की उन सलाखों के पीछे फिर से कैद कर देती है। आप में हर पल उसे ही देखती और तलाशती रहती है। कन्नड़ पिता और सिंधी मां के घर हैदराबाद में जन्मीं और मुंबई में पढ़ी लिखी 28 साल की योगेश पाटिल की पत्नी स्नेहा उल्लाल, छवि की कैद के सबसे बड़े उदाहरण के रूप में हम सबके सामने है। एक सिर्फ चेहरा ही तो उनका ऐश्वर्य राय जैसा है। वरना, अभिनय से लेकर अदाओं और नृत्य से लेकर नौटंकी की नायिका होने तक में स्नेहा उल्लाल कहां कमजोर है। सलमान खान के साथ 2005 में आई लकी नो टाइम फॉर लवÓ में स्नेहा ने धमाकेदार काम किया था। लेकिन छवि की कैद का कमाल देखिए। लकी नो टाइम फॉर लवÓ में सारे लोग सलमान की हीरोइन स्नेहा की शक्ल के जरिए अभिनय और सलमान की छुअन से लेकर उसके अहसास के अंदाज तक में ऐश्वर्य राय को ही खोजते रहे। आरिफ साउथ की फिल्मों के सफल विलेन हैं। आरिफ खान की तो मुसीबत यह है कि लोग उन्हें जूनियर अनिल कपूर के नाम से ही जानते हैं। वर्धा के रहनेवाले आरिफ की शक्ल अनिल कपूर जैसी होने की वजह से वहां लड़कियां उनकी दीवानी थी।
हमशक्लों में हर किसी को काम भी बहुत मिलता है और दाम भी। अगर किसी की शक्ल सितारे से मिलती है तो फिर उसके तो वारे न्यारे होते देर नहीं लगती। हमारे सिनेमा में अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख खान, अनिल कपूर से लेकर सलमान खान और आमिर खान से लेकर जॉन अब्राहम आदि सभी के डुप्लीकेट सिनेमा में काम कर रहे हैं। बरसों पहले की बात करें, तो सिर्फ किशोर भानुशाली नाम के एक कलाकार देवआनंद के हमशक्ल हुआ करते थे। जूनियर महमूद भले ही नाम से महमूद हों, लेकिन असल महमूद से उनकी शक्ल कतई मेल नहीं खाती। लेकिन बिल्कुल शाहरुख खान के जैसे दिखनेवाले नागपुर के प्रशांत वालदे अब मुंबई में रहते हैं। वे हर महीने फिल्मों में काम करके, विज्ञापनों और स्टेज शो आदि करके हर महीने सात आठ लाख रुपये कमा लेते हैं। सलमान खान खुशनसीब हैं कि उनके दो दो हमशक्ल हैं। एक हिंदुस्तान में तो दूसरा पाकिस्तान में। मुंबई में रहने वाले परवेज गाजी अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि ऊपरवाले ने उन्हें सलमान भाई की झलक बख्शी। उनके पास सलमान की फिल्मों का काम भी भरपूर है। इसी तरह पाकिस्तान के सियालकोट के हसनैन सलमान का डुप्लीकेट होने की वजह से खुद की पहचान ही खो चुके हैं। ना चाहते हुए भी हसनैन को अब सलमान की तरह ही चलना, बोलना और रहना पड़ता है। असम के रहनेवाले देवाशीष घोष को तो जॉन अब्राहम और रानी मुखर्जी तक आमिर खान ही समझ बैठे थे।

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