कुशवाह के करप्शन पर विभाग चुप
05-Aug-2015 07:33 AM 1234801

स्वास्थ्य विभाग शुरू से भ्रष्टाचार की खान रहा है। इस विभाग में जो भी अधिकारी और चिकित्सक महत्वपूर्ण जगह पहुंचता है वह अपने-अपने तरीके से विभागीय योजनाओं के फंड का दुरूपयोग करने लगता है। यही नहीं विसंगति तो यह है कि जानते हुए भी कई बार दागदार को महत्वपूर्ण पद पर बैठा दिया गया है। ऐसा ही एक नाम है चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रभारी डायरेक्टर डॉ. एसएस कुशवाह का। रीवा के चिकित्सा महाविद्यालय में प्रोफेसर के तौर पर पदस्थ रहे डॉ. एसएस कुशवाह ने वर्ष 2009 में एक ही समय में तीन जगह से भत्ते लिए और बाद में जब घोटाला पकड़ में आ गया, तो एक जगह का पैसा भी लौटा दिया। मजे की बात तो यह है कि विभाग ने भी खानापूर्ति करते हुए इस मामले में क्लीनचिट दे दी। सबसे बड़ी बात यह है कि विभागीय मंत्री नरोत्तम मिश्रा को भी अफसरों ने कुशवाह के पूर्व के कारनामों की जानकारी नहीं दी।
कुशवाह ने प्राध्यापक एवं पीएसएम विभाग के पद पर रहते हुए जून 2009 में आंगनबाड़ी प्रशिक्षण के कार्यक्रम शेड्यूल के अनुसार 5 दिनों का मानदेय 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से प्राप्त किया तथा इन्हीं 5 दिनों में लोक सेवा आयोग उत्तरप्रदेश, इलाहाबाद में आयोजित साक्षात्कार हेतु 22 से 24 जून 2009 तक का पारिश्रमिक भी लिया और इसके बाद एमजीएम इंदौर में एमडी की परीक्षा लेने हेतु 27-28 जून 2009 को भी पारिश्रमिक लिया। इसका अर्थ यह हुआ कि जिन दिनों में वे इलाहाबाद और इंदौर में बतौर विशेषज्ञ साक्षात्कार लेने गए थे, उन्हीं दिनों में आंगनवाड़ी प्रशिक्षणकर्ता के रूप में मानदेय भी उन्हें प्रदान किया जा रहा था। इस प्रकरण का जब भांडाफोड़ हुआ तो डॉ. एसएस कुशवाह ने आंगनवाड़ी से प्राप्त मानदेय की 2500 रुपए की राशि वापस जमा करा दी। इस प्रकार स्वयं ही उन पर आरोप की पुष्टि हो गई। हालांकि विभाग उनके खिलाफ आरोप की पुष्टि बावजूद कोई कदम उठाने में असफल रहा है। कुशवाह के खिलाफ एक नहीं कई मामलों में विभागीय इंक्वायरी हुई है, उन पर स्टोर का उपयोग निजी गोडाउन के रूप में कराने का आरोप भी लगाया गया था। शासकीय रााशि स्वयं के खाते में जमा कराने का भी आरोप कुशवाह पर लगा था। इसके अलावा भी अन्य आरोप उनके खिलाफ लगे, लेकिन विभागीय जांच-पड़ताल में दोहरा लाभ लेने की बात की पुष्टि हुई है। सवाल यह है कि व्याख्याता पद पर रहते हुए भी कुशवाह ने ऐसी गलती क्यों की और विभाग ने उनकी गलती को नजरअंदाज क्यों किया?  डॉ. भानु प्रकाश दुबे तत्कालीन प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष फोरेन्सिक मेडीसिन विभाग चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल, डॉ. पी.के. शर्मा, संचालक परियोजना, संचालनालय चिकित्सा शिक्षा एवं एस.के. सक्सेना प्रशासकीय अधिकारी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन दिनांक 6/2/2013 की कंडिका क्र.4 में निम्नानुसार निष्कर्ष दिए गए है:- दिनांक 4/12/12 को हुई जांच समिति की बैठक के प्रतिवेदन में बिंदु क्रमांक 03 के संदर्भ में डॉ. एस.एस. कुशवाह ने समिति के सदस्यों को लिखित में अवगत कराया है, कि आर.सी.एच. योजना की राशि विभागाध्यक्ष पी.एस.एम. के नाम से प्राप्त होती थी, जिसे विभागाध्यक्ष के तत्कालीन निर्धारित संधारित कार्यालयीन खाते में जमा की जाती थी, शिकायत में संलग्न तत्कालीन अधिष्ठाता के पत्र से यह पुष्टि होती है, कि राशि अधिष्ठाता के स्थान पर विभागाध्यक्ष खाते में जमा की जाने को अधिष्ठाता द्वारा त्रुटिपूर्ण निरूपित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि विभागाध्यक्ष पीएस को प्राप्त राशि नियमानुसार अधिष्ठाता के खाते में कराना था तथा सेवा राशि का व्यय एवं राशि का आहरण नियमानुसार अधिष्ठाता द्वारा किया जाना था, किंतु संपूर्ण कार्यवाही डॉ. कुशवाह द्वारा की गई, जो वित्तीय नियमों की अवहेलना है। डॉ. कुशवाह का उक्त कृत्य मप्र ट्रेजरी कोड एवं वित्तीय नियमों का उल्लंघन तथा मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के 3 का उल्लंघन है। तथा घोर आपराधिक कृत्य है जो मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के अंतर्गत दंडनीय है। इसके बाद भी विभाग द्वारा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।  वहीं प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष पीएसएम चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर द्वारा वित्तीय अधिकारी दैवीय अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के भेजे गए पत्र द्वारा डॉ. कुशवाह द्वारा प्रस्तुत यात्रा भत्ता के भुगतान का विवरण मांगा गाया था।
विश्विद्यालय के वित्त अधिकारी द्वारा अधिष्ठाता एमजीएम चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर को संबोधित पत्र में डॉ. कुशवाह द्वारा उन्हें प्रस्तुत यात्रा भत्ता देयक की छायाप्रति संलग्न किया गया था। जिसमें उल्लेख है कि कुशवाह 26.6.2009 को 7.50पीएम को रीवा से प्रस्थान किए और 27.6.2009 को 12.50 पीएम इंदौर आए। दिनांक 28.6.2009 को 12.25 पीएम को इंदौर से प्रस्थान किया एवं दिनांक 29.6.2015 को 8.15 एएम को रीवा आगमन हुआ। यह यात्रा भत्ता भी स्वीकृति हेतु कुशवाह द्वारा दैवीय अहिल्या विश्वविद्यालय को प्रस्तुत किया गया था तथा 3365 रुपए की राशि प्राप्त की गई। इस दौरान कुशवाह द्वारा रेल जो रेल टिकट प्रस्तुत किए गए उससे यह पता चलता है कि वे 27.6.2009 एवं 28.6.2009 को इंदौर में ही रहे। लेकिन उन्होंने अवैधानिक तरीके से उस यात्रा का पूरा भुगतान ले लिया। कुशवाह द्वारा की गई इन अनियमितताओं की जांच में भी स्पष्ट हो गया है कि उन्होंने यात्रा के नाम पर वित्तीय अनियमितता की गई है।  यह मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। विधानसभा में प्रश्न क्रमांक 1175 द्वारा तात्कालीन रामकुमार उर्मलिया ने कुशवाह की यात्राओं का विवरण मांगा था जिसमें यह बताया गया है कि उन्होंने किस तरह तीन दिन के अंदर तीन शहरों की यात्रा करने का दावा किया है। लेकिन स्थिति स्पष्ट हो जाने के बाद भी कुशवाह के खिलाफ अभी भी विभागीय कार्रवाई नहीं हो सकी है। जब इस संदर्भ में प्रदेश के स्वास्थ्य मंंत्री नरोत्तम मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले में मुझे कोई जानकारी नहीं है। इसलिए मैं कुछ भी नहीं बता सकता।
-भोपाल से अजय धीर

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