05-Aug-2015 07:28 AM
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कांग्रेस नेता और संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की ओर से महासचिव पद का चुनाव लड़ चुके शशि थरूर आजकल काफी चर्चा में हैं। चर्चा की कई वजहें हैं, जिनमें एक सोनिया गांधी द्वारा उनको साफगोई के

लिए डांट पडऩा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनकी काउंटर तारीफ प्रमुख है। पीएम ने संसद भवन में स्पीकर रिसर्च इनिशटिव प्रोग्राम (अध्यक्षीय शोध कदम) के दौरान सतत विकास के लक्ष्य विषय पर आयोजित कार्यशाला में सभी सांसदों को थरूर की मिसाल देते हुए कहा कि हमें नए विचारों को लेकर अपना दिमाग खुला रखना चाहिए। इन दोनों बातों के अतिरिक्त उनका जिक्र भाजपा में आने की अटकलों को लेकर भी है। दरअसल, मोदी के प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद थरूर ने कई मर्तबा उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का बखान पार्टी लाइन के बाहर जाकर किया। भाजपाई सूत्र बताते हैं कि पत्नी सुनंदा पुष्कर की हत्या में जाल में फंसते जा रहे सीनियर कांग्रेसी शशि थरूर किसी भी दिन भगवा चोला पहन चौंका सकते हैं। इस कयास को अब बल इससे भी मिल गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों के सामने उनकी जमकर तारीफ की।
मोदी ने कहा, शशि थरूर ऐसे वक्ता हैं जो सही समय पर सही बात कहते हैं ... कभी-कभी ऐसी चीजें टर्निंग पॉइंट साबित हो जाती हैं। उन्होंने लंदन में दिए गए थरूर के भाषण की तारीफ करते हुए कहा, शशि थरूर ने जो कुछ भी ऑक्सफर्ड भाषण में कहा, वह यूट्यूब पर वायरल हो गया। प्रधानमंत्री ने कहा 60 मिनट बोलना कठिन नहीं है लेकिन छह मिनट बोलना कठिन है। कई बार जब हम भाषण देते हैं तब लगता है कि कितना शानदार भाषण दिया। लेकिन एक सप्ताह बाद जब उसी भाषण को पढ़ते हैं तब पाते हैं कि कई बार एक ही बात दोहराई गई है। बहुत कम लोग होते हैं जो अपना परीक्षण खुद करते हैं। हालांकि इस दौरान तृणमूल नेता सौगत राय की भी प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों का विकास इस तरह से होता है कि अगर उन्हें लगता है कुछ सही नहीं हो रहा है, तो उसे उठाते हैं। हमारे दादा (सौगत राय) यहां बैठे हैं, उन्हें लगता है कि सदन में कोई चीज नियमों के तहत नहीं हो रही हो, गलत हो रहा है, तो वह उसे उठाते हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी लाइन का पालन न करने को लेकर 22 जुलाई को ही शशि थरूर को जमकर फटकार लगाई थी। सोनिया ने शशि थरूर से कहा था कि वह अक्सर ऐसा करते हैं। थरूर संसद की कार्रवाई बाधित करने की कांग्रेस की रणनीति के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने सुझाव दिया था कि पार्टी को संसद की कार्रवाई चलने देने में सहयोग देना चाहिए। भाजपा में अंसतुष्ट कांग्रेसी और आप नेताओं को अपने पाले में करने की मुहिम चल रही है। पुराने कांग्रेसी नेता और पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह के पुत्र अरविंदर सिंह लवली भाजपा में शामिल हो ही चुके हैं तो पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए भी वन्दनवार सज चुके हैं। अब पत्नी सुनंदा पुष्कर की हत्या के आरोपों से बचने के लिए शशि थरूर सरकार का संरक्षण चाहते हैं और यह तभी संभव हो सकता है जब वे भाजपा का दामन थामें।
थरूर पर इसलिए खुश हैं मोदी
दरअसल, इस साल मई के अंत में ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन में एक वाद-विवाद का आयोजन किया गया। विषय था-ब्रिटेन को अपने पूर्व की कॉलोनियों को हर्जाना देना चाहिए। बहस में कंजरवेटिव पार्टी के पूर्व सांसद सर रिचर्ड ओट्टावे, भारतीय सांसद और लेखक शशि थरूर और ब्रितानी इतिहासकार जॉन मैकेंजी ने हिस्सा लिया। संयोगवश 23 जुलाई को महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद का जन्मदिवस भी था, तो ऐसे में गुलामी काल का ज़ख्म फिर ताजा हो गया। जब भारत ही नहीं दुनिया ने वह वीडियो देखा जिसमें थरूर प्रखरता से अंग्रेजों को उन्हीं की धरती पर आइना दिखाते हुए सच का पाठ पढ़ा रहे हैं। अंग्रेजों द्वारा गुलाम भारत को मुक्त कराने में न जाने कितने महानायक स्वतंत्रता की बलि-बेदी पर शहीद हो गए। उनकी संख्या सैकड़ों, हजारों, लाखों से भी ज्यादा रही है। चंद्रशेखर आज़ाद जैसे अनेक क्रान्तिकारी तो गुलामी में ही पैदा हुए और संघर्ष करते हुए गुलामी में ही अपना बलिदान सहर्ष दे दिया। थरूर मंझे हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वक्ता हैं और अपनी प्रतिभा का सदुपयोग उन्होंने इस बहस में भरपूर किया। भारतीय अर्थव्यवस्था, भारतीय उद्योग, भारत का शोषण, ब्रिटिश शासन का हित, शोषण और अपने लाभ के लिए रेल का इस्तेमाल और विश्व युद्ध में भारत का इस्तेमाल आदि विषयों पर उनके सटीक विचार सुनकर मन 1947 से पहले के समय में स्वत: ही पहुँच जाता है और एक तरफ ब्रिटेन के लिए नफरत तो अपने शहीदों के प्रति करुणा का भाव उत्पन्न हो जाता है। इस मुद्दे पर थरूर का वक्तव्य रोने-धोने और इमोशनल होने के बजाय तार्किक ज्यादा था। जब उन्होंने कहा कि भारतीय वीवर (जुलाहे) बेगर (भिखारी) बन गए तो अंग्रेजों ने भी तालियां बजाईं, उन्होंने बताया कि भारत का विश्व व्यापार में हिस्सा 27 प्रतिशत था जो घटकर मात्र 3 प्रतिशत रह गया है।
-आर.के. बिन्नानी