छत्तीसगढ़ में कोल ब्लॉक नीलामी में खोट
05-Aug-2015 07:24 AM 1234817

देश में कोल ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हुई तो केंद्र सरकार ने राज्यों को हजारों करोड़ रूपए के मुनाफे का सपना दिखाया गया। छत्तीसगढ़ में तो कोल ब्लॉक की नीलामी से प्रदेश के बजट का एक तिहाई राजस्व मिलने की उम्मीद की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी बजट भाषण में स्वीकार किया था कि प्रदेश के सभी कोल ब्लॉक की नीलामी के बाद 20 हजार 200 करोड़ रुपए का राजस्व मिल सकता है।  लेकिन हाल ही में सात कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द होने से केंद्र और प्रदेश सरकार को 800 करोड़ का घाटा हुआ है।
इधर, कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा सात कोल ब्लॉक के आवंटन रद्द किए जाने को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। पिछले चार महीने में सातों कोल ब्लॉक बंद होने से केंद्र और राज्य सरकार को तो घाटा हुआ ही है, बल्कि वहां रहने वाले दो हजार से ज्यादा परिवारों को भी हुआ है। ऐसे परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। साथ ही वहां काम करने वाली तमाम कंपनियां और कोल ब्लॉक से जुड़ी संस्थाएं भी आर्थिक संकट झेल रही हैं। कोल ब्लॉक्स में खुदाई का काम साल के चार महीने ही चलता है। बरसात के बाद यहां काम बंद हो जाता है। पिछले चार महीने से ऐसे हालात होने से ही वित्तीय संकट उभरकर सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि इस मामले में हाईकोर्ट ने कोल इंडिया को निर्देश दिए हैं कि जिंदल पावर लिमिटेड (जेपीएल) को उनका ब्लॉक बेचा जाए। कोल ब्लॉक्स में जेपीएल के दो ब्लॉक के अलावा बालको के दो, हिंडाल्को के दो और एक मोनेट को आवंटित हुआ था। सभी कोल ब्लॉक की नीलामी हुई थी, जिसके बाद बिड के आधार पर कोल इंडिया लिमिटेड से इन्हें इसका नियमपूर्वक आवंटन हासिल हुआ। बाद में केंद्र में नई सरकार आने के बाद अचानक कोल ब्लॉक के सातों आवंटन को रद्द कर दिया गया। इसके आवंटन रद्द होने से पिछले चार महीनों में केंद्र और राज्य सरकार को आठ सौ करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व घाटा हो चुका है।
किसके कितने कोल ब्लॉक व राजस्व
खनिज विभाग के आला अधिकारियों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1993 से लेकर 2010 तक के सभी 204 कोल ब्लॉक का आवंटन निरस्त कर दिया है। इन कोल ब्लॉक को नीलामी के माध्यम से उद्योगपतियों को दिया जा रहा है। अब तक राज्य सरकार को कोल ब्लॉक से निकलने वाले कोयले पर सिर्फ रायल्टी मिलती थी। छत्तीसगढ़ में बाल्को, जेपीएल ग्रुप, मोनेट ग्रुप  और हिंडाल्को ने बड़ी बोली लगाकर खदानें हासिल की थीं, लकिन इनके आवंटन में बरती गई खामी के कारण इनके विरूद्ध आवाज उठने लगी थीं। कोयले की नीलामी में रिवर्स बीडिंग को अपनाया गया है। इसमें सबसे कम बोली लगाने वाले को खदान का आवंटन होता है। सरकार ने कोयले के दामों को नियंत्रण में रखने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई है। इसलिए इनके कोल ब्लॉक रद्द किए गए हैं। बाल्को के दो कोल ब्लॉक है, जिनकी क्षमता 60 और 10 लाख है। इससे ही राज्य व सरकार को करीब सवा अरब रुपए का राजस्व हर महीने मिलता था। हिंडाल्को ग्रुप  के भी दो कोल ब्लॉक हैं, जिनकी क्षमता 10-10 लाख की है। इस कंपनी से भी केंद्र और राज्य सरकार को तकरीबन 58 करोड़ रुपए का राजस्व हर महीने प्राप्त होता था। मोनेट ग्रुप  का एक ही कोल ब्लॉक है, जिसकी क्षमता 12 लाख है। इस कंपनी से केंद्र व राज्य को एक अरब 27 करोड़ रुपए का राजस्व हर महीने मिलता था। जेपीएल ग्रुप के दो कोल ब्लॉक हैं। इनकी क्षमता तकरीबन साढ़े 62 लाख है। इनसे केंद्र और राज्य को करीब 18 करोड़ रुपए का हर महीने राजस्व मिलता था।

हजारों लोग आर्थिक संकट में फंसे
सातों कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द होने से रायगढ़ जिले के आसपास दो हजार से ज्यादा परिवारों को झटका लगा है। ये ऐसे परिवार हैं, जिनका इस कोल आवंटन से रोजी-रोटी जुड़ी हुई थी। हैरानी की बात यह है कि इस मसले पर भी सीआईएल ने ध्यान नहीं दिया। कोल ब्लॉक से ट्रांसपोर्ट कंपनियां, मजूदरों के ठेकेदार,वहां काम करने वाले परिवार और इससे जुड़ी तमाम कंपनियों के कर्मचारियों को भी परेशानी हो रही है। बताया जाता है कि कई जगहों पर इस वजह से इंक्रीमेंट तक नहीं हुआ। आने वाले समय में अगर कोल ब्लॉक्स का आवंटन बहाल नहीं हुआ तो बड़ी परेशानी खड़ी होगी।
-रायपुर से टीपी सिंह
के साथ संजय शुक्ला





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