पीडीएस घोटाले से रमन परेशान
21-Jul-2015 08:09 AM 1234823

भाजपाई मुख्यमंत्रियों के दिन बुरे चल रहे हैं। प्राय: सभी मुख्यमंत्री किसी न किसी घोटाले या विवाद से घिरते नजर आ रहे हैं। वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान, फणनवीस आदि के बाद अब रमन सिंह को विपक्ष ने घेर लिया है। 36 हजार करोड़ रुपए के कथित पीडीएस घोटाले में कांग्रेस ने विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग करते हुए जांच करवाने का कहा है। दिलचस्प यह है कि एसआईटी द्वारा मध्यप्रदेश में व्यापमं घोटाले में की जा रही जांच से कांग्रेस संतुष्ट नहीं है और वहां वह सीबीआई की जांच की मांग कर रही है। लेकिन यह अलग मामला है। छत्तीसगढ़ में कभी सार्वजनति वितरण प्रणाली की सराहना की जाती थी, आज भ्रष्टाचार के मामले में इसकी चर्चा हो रही है। कांग्र्रेस का कहना है कि नागरिक आपूर्ति निगम के जरिए पीडीएस दुकानों के मालिकों और सरकारी अधिकारियों ने मिलकर भरपूर घोटाला किया, चावल के साथ-साथ नमक, कैरोसिन, गेंहू की खरीद में भी भ्रष्टाचार किया गया जिससे सत्तासीन दल के राजनीतिज्ञों को फायदा पहुंचाया गया। कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने इस सिलिसिले में सीधे मुख्यमंत्री रमन सिंह का नाम लिया है।
भाजपा में रमन सिंह की छवि एक मितभाषी, ईमानदार और मेहनती नेता के रूप में बनी हुई है। तमाम विरोधाभासों के बावजूद वे छत्तीसगढ़ में तीन चुनाव जीतने में कामयाब रहे। लालकृष्ण आडवाणी के वे विशेष प्रिय हैं लेकिन नरेंद्र मोदी, अमित शाह भी रमन सिंह को गैर विवादास्पद और लगनशील मुख्यमंत्री मानते हैं। पर पीडीएस घोटाला हुआ है और इसमें अरबों रुपए के वारे-न्यारे हुए हैं, यह स्वयं रमन सिंह को भी पता है। रमन सिंह इस घोटाले में सच सामने लाने की कोशिश में लगे हुए हैं। दिक्कत यह है कि पिछले 11 साल के भाजपाई शासन में धान और अन्य खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं इसमें से कितना पैसा भ्रष्टाचार में गया, इसका हिसाब लगाना असंभव है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा सत्र होने वाला है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार दोषी अधिकारियों को बचा रही है। कांग्र्रेस ने एंटीकरप्शन ब्यूरो से मांग की है कि चालान में प्राप्त राशि एक माह की है या एक वर्ष की और जो वसूली की गई है वह किसके पास गई।  एंटीकरप्शन ब्यूरो ने भी माना है कि शिवशंकर भट्ट, आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के पास नानके घोटाले का पैसा पहुंचा लेकिन उनके पास से पैसा कहां गया, इस बारे में एसईबी के पास कोई क्लू नहीं है। इस घोटाले से संबंधित एक डायरी में कुछ सफेदपोश लोगों के नाम लिखे हुए थे। यह डायरी छापेमारी में बरामद हुई थी। नामों के लिए शॉर्ट फार्म उपयोग किए गए थे। बाद में यह नाम मीडिया को लीक हो गए और किसी समाचार पत्र ने इन्हें छाप भी दिया था जिसके बाद मार्च माह में कांग्रेस ने बहुत हंगामा किया, लेकिन सरकार के स्थायित्व पर कोई खतरा नहीं मंडराया। इस बार विधानसभा सत्र से पहले कांग्रेस इस घोटाले को लेकर सदन और सदन के बाहर आंदोलन खड़ा करना चाहती है। विपक्ष के नेता भूपेश बघेल का कहना है कि नान के शिवशंकर भट्ट ने स्वीकार किया है कि एक राशनकार्ड पर एक हजार रुपए बनते थे, जिसे बांटा जाता था। इस आधार पर प्रदेश में सरकार ने 20 लाख राशनकार्डों को निरस्त किया। इससे हर महीने 200 करोड़ का घोटाला हो रहा था। इस घोटाले का पैसा बाहरी प्रदेशों में भी जाता था। पिछले दस वर्षों में धान, चावल, चना शक्कर में 1.50 लाख करोड़ का घोटाला हुआ। इसकी राशि पहले के एमडी, अधिकारी, मंत्री तक पहुंचती रही। कमीशन की राशि नीचे से ऊपर तक जाती थी, इसीलिए आईएएस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति नहीं दी गई। भूपेश ने कहा कि नान घोटाले में प्रस्तुत चालान आधा अधूरा है। एसीबी की चार्जशीट में चावल के परिवहन के लिए अनिल टुटेजा को भी आरोपी माना गया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2006-07 में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने दुर्ग के श्याम व कृष्णा राइस मिल का चावल बेमेतरा में जमा करने और रायगढ़ का चावल दंतेवाड़ा में जमा करने को लेकर पत्र लिखा था। यह भी तो परिवहन घोटाला है। इस पर कोई कार्रवाई
क्यों नहीं की गई? जब टुटेजा आरोपी हो
सकते हैं तो मुख्यमंत्री को आरोपी क्यों नहीं बनाया जा सकता?
नागरिक आपूर्ति निगम के बहुचर्चित घोटाले के गुनहगारों में नान के तत्कालीन प्रबंध संचालक अनिल टुटेजा के रिश्तेदार भी शामिल थे। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा और एंटी करप्शन ब्यूरो ने 12 फरवरी को छापेमारी में एमडी के निज सहायक गिरीश शर्मा के पास से जो 20 लाख रुपए की नकदी जप्त की थी, उसमें से 10 लाख रुपए अनिल टुटेजा के बेटे यश टुटेजा को दिया जाना था। शेष 10 लाख रुपए की रकम खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के प्रमुख सचिव और नान के पदेन अध्यक्ष डॉ. आलोक शुक्ला के लिए थी।
शुक्ला के निर्देश पर इस रकम को उनके मित्र डॉ. आनंद दुबे को दिया जाना था। यह रकम नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक शिवशंकर भट्ट ने अपने स्टेनो अरविन्द धु्रव से गिरीश शर्मा के पास भिजवाए थे। ऐसा पहली बार नहीं हुआ। गिरीश शर्मा नियमित तौर पर अवैध उगाही की यह रकम टुटेजा के परिजनों तक पहुंचाता रहा था। नान घोटाले के गुनहगारों की यह कहानी एसीबी के उस आरोपपत्र का हिस्सा है जिसे उसने विशेष न्यायालय में पेश किया है।
खुलासे में सामने आया है कि नान के तत्कालीन एमडी अनिल टुटेजा ने जून 2014 से फरवरी 2015 के बीच दो करोड़ 21 लाख 94 हजार रुपए की नकद वसूली इक_ा की थी। चार्जशीट के मुताबिक तीन-चार अगस्त 2014 को अनिल टुटेजा से पांच लाख रुपए लिए। गिरीश शर्मा ने सात अगस्त 2014 को ही 60 लाख रुपए टुटेजा के निर्देश पर उसके परिजनों तक पहुंचाए। इसमें से 20 लाख रुपए सौरभ नाम के व्यक्ति को अनिल टुटेजा के घर ले जाकर दिए। सौरभ टुटेजा के पारिवारिक कारोबार में साझीदार है। शेष रकम छत्तीसगढ़ क्लब के पास राजू नाम के एक व्यक्ति को दिए गए, जिसे शर्मा नहीं पहचानता है। डॉ. आलोक शुक्ला ने भी इस दौरान एक करोड़ 62 लाख 86 हजार रुपए की अवैध वसूली की। इसमें से 11 लाख 43 हजार रुपए का भुगतान उसके निजी खर्चो पर एमडी के पीए गिरीश शर्मा और शुक्ला के खास कर्मचारी संतोष तिवारी ने किए। शेष एक करोड़ 51लाख 43 हजार रुपए नकद शुक्ला की बताए ठिकानों पर दिए गए।
नान घोटाले के दोनों बड़े खिलाड़ी डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा वसूली के इस धंधे से निजी खर्चों का भुगतान कराते रहे। गिरीश शर्मा के पास से बरामद पेन ड्राइव ने इस निजी खर्चों का पूरा ब्यौरा साफ कर दिया है। शुक्ला ने आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन नई दिल्ली का आजीवन सदस्य बनने के लिए 95 हजार 500 रुपए का भुगतान वसूली के रुपए से कराया। इसके लिए नान के लेखाधिकारी नंद किशोर धुरंधर के भृत्य परमेश्वर के माध्यम एक ही दिन में पांच बैंक ड्रॉफ्ट बनवाए गए। 20 हजार से अधिक के ट्रांजेक्शन पर पैन कार्ड बताना अनिवार्य होने की वजह से जालसाजों से यह काम किया। एसीबी की विवेचना में नान एमडी का तत्कालीन निज सचिव गिरीश शर्मा महत्वपूर्ण कड़ी है। जांच एजेंसी ने इसका नाम गवाहों की सूची में सबसे ऊपर रखा है। मूल रूप से मध्य प्रदेश के विदिशा निवासी इस कर्मचारी के पास से एसीबी की टीम ने 20 लाख रुपए नकद बरामद किए थे। इसके पास से एक पेन ड्राइब बरामद हुई जिसमें शुक्ला और टुटेजा को दी गई रकम, उसके खर्चों के भुगतान का पूरा विवरण है। एसीबी ने इसका चालान नहीं किया है। इसके अलावा इससे टेलिफोनिक बातचीत का रिकॉर्ड भी पूरे घोटाले में प्रशासनिक अधिकारियों के चेहरे से नकाब हटाने में कारगर होने वाला है।

18 कर्मियों को निलंबित किया
छत्तीसगढ़ सरकार ने नागरिक आपूर्ति निगम के कर्मियों के परिसरों से करोड़ों रुपए की बेहिसाब नकदी मिलने के बाद निगम के 18 कर्मियों को निलंबित कर दिया। जबकि विपक्षी कांग्रेस ने घोटालेÓ की सीबीआई जांच की मांग की थी। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराधा शाखा ने 12 और 13 फरवरी के बीच नागरिक आपूर्ति निगम और उसके अधिकारियों के 25 परिसरों पर एकसाथ छापे मारे थे जिसमें 3,64,63,320 रूपये नकदी बरामद की गई थी। इस संबंध में निगम के 18 अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है जबकि दो अनुबंधित कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इसके साथ ही राज्य गोदाम निगम के एक अधिकारी को भी निलंबित कर दिया गया है।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^