05-Aug-2015 07:00 AM
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कभी लालू ने नीतिश को जहर कहा था अब नीतिश ने उन्हें साक्षात विषधर बता दिया। बिहार की राजनीति इतनी जहरीली कभी नहीं रही जितनी कि अभी है। सवाल यह है कि बिहार में जहरीला

कौन है? नीतीश के बयान से लगता है कि सांप का इस्तेमाल वे अपने सहयोगी लालू प्रसाद यादव के लिए किये हैं। बीजेपी वाले बोल रहे हंै कि नीतीश ने सांप लालू प्रसाद यादव के लिए इस्तेमाल किया है जबकि नीतीश को अहसास हुआ कि उनके दोहे का अर्थ सीधा लालू प्रसाद यादव के साथ चिपक रहा है तो उन्होंने सफाई दी कि सांप का इस्तेमाल बीजेपी के लिए था। नीतीश कुमार लाख सफाई दें लेकिन उनकी बातें हजम नहीं हो रही है। बिहार की राजनीति का असली सांप कौन है उसे समझने से पहले ये समझ लेते हैं कि सांप की कहानी कहां से शुरू हुई थी। दरअसल नीतीश कुमार से ट्विटर पर पूछा गया था कि अगर आप लालू के साथ मिलकर जीत लेते हैं तो बिहार को विकास के रास्ते पर कैसे ले जाएंगे। नीतीश ने इसका जवाब दिया। बिहार का विकास मेरा एकमात्र एजेंडा है ।
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।।
नीतीश कुमार को ये मालूम नहीं होगा कि दोहे का अर्थ अनर्थ में बदल जाएगा। ध्यान देने की बात ये है कि नीतीश कुमार अपने आपको यहां चंदन बता रहे हैं यानि अपने मियां मिठ्ठू बनने वाली कहावत साबित हो रही है। वैसे राजनीतिक शब्दकोष में आजादी के बाद किसी राजनेता में चंदन जैसी खूशबू नहीं आ रही है। खैर नीतीश ने अपने आपको चंदन कहा लेकिन सांप कौन है इस पर फिर से नीतीश को सफाई देनी पड़ी कि बीजेपी का विचार जहरीला है इसलीए बीजेपी के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया। नीतीश कुमार अनुभवी, सहनशील, बुझक्कड़ और दूरदर्शी नेता हैं लेकिन इस दोहे का अर्थ एक बच्चे और अनपढ़ से पूछा जाए तो शायद यही कहेंगे कि कि सांप का इस्तेमाल लालू के लिए किया गया है। लालू प्रसाद यादव क्या करते, कहने लगे कि सांप का इस्तेमाल बीजेपी के लिए ही किया गया होगा जबकि आरजेडी के नेता मुद्रिका सिंह का कहना है कि नीतीश ऐसा बोल रहें हैं तो गलत बोल रहें हैं।
तब चंदन और सांप कौन था?
2005 में बीजेपी के गठबंधन की बदौलत नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने और बीजेपी के नेता सुशील कुमार उपमुख्यमंत्री बने। नीतीश और सुशील कुमार के नेतृत्व में जंगलराज खत्म हुआ। अपराधियों को जेल में ठूंस दिया गया, विकास हुआ, सड़कें बनी और कानून व्यवस्था सुधरी। बिहार विकास की पटरी पर दौडऩे लगा। जाहिर है कि बिहार के बदलने में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन का योगदान रहा है। चंदन और सांप का पुराना रिश्ता रहा है उस समय सांप और चंदन की भूमिका में कौन था?
2014 के लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने पीएम उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को बनाने का फैसला किया और नीतीश कुमार बीजेपी को डंसते हुए बीजेपी से अलग हो गये जबकि बिहार में बेहतर सरकार चल रही थी। ये ध्यान देने की बात ये है कि नीतीश कुमार ही थे जो लालू प्रसाद यादव और बीजेपी से अलग हुए न कि लालू प्रसाद यादव और बीजेपी नीतीश से अलग हुए थे। चंदन और सांप का खेल बिहार में मंडल कमीशन के बाद चलता रहा है। पार्टी बदली, सरकार बदली, गठबंधन बदले, नेता बदले लेकिन ये खेल खत्म नहीं हुआ । नीतीश कुमार ने जो 1995 में लालू प्रसाद यादव को डंसने का काम किया था। राजनीतिक मजबूरी कहें, रणनीति में फेल हुए नीतीश कुमार फिर लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाकर बीजेपी को हराने की फिराक में लगे हुए हैं। जाहिर है कि बिहार में सत्ता के लिए सांप और नेवले का खेल चल रहा है। बिहार में नीतीश वजूद खोकर फिर से लालू के साथ वजूद बनाने में लगे हुए हैं। ऐसे में उन्होंने सफाई देकर ये साफ कर दिया है कि वे अपने राजनीतिक गठजोड़ को खतरे में नहीं डालना चाहते हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि उदाहरण भी सामने है, भाजपा का रास्ता अतिवाद की ओर जा रहा था तो हमने यह साबित किया कि सांप्रदायिक एजेंडा के साथ कोई अपने जहरीले विचार हम पर थोप नहीं सकता। हम एक बग्गा हैं, विकास के रास्ते पर हैं। उन्होंने कहा कि अपनी-अपनी बात कहने का अंदाज होता है। जब लालू प्रसाद ने कहा था कि सांप्रदायिक ताकतों के लिए वह जहर पीकर भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाएंगे तो क्या उन्होंने हमें जहर कहा था?
लालू के साथ थे तब चंदन और सांप कौन था?
एक जमाना था लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार एक साथ थे। मंडल कमीशन की राजनीति के जरिए दोनों का सितारा बुलंद हुआ। उस समय लालू प्रसाद यादव को नीतीश बड़े भाई और लालू नीतीश को छोटे भाई कहते थे। नीतीश को लालू का चाणक्य भी कहा जाता था। जब नीतीश अभी चंदन और सांप की बात का इस्तेमाल कर रहें हैं जाहिर है कि उस समय भी एक चंदन होगा और दूसरा सांप। नीतीश की महत्वाकांक्षा बढऩे लगी तो लालू प्रसाद यादव को उन्होंने डसने का काम किया। लालू यादव पर ये आरोप लगाते हुए अलग हो गये कि बिहार में जंगलराज हो गया और उन्होंने समता पार्टी का गठन किया। नीतीश कुमार अब खुले तौर पर बीजेपी को सांप की संज्ञा दे रहें हैं उसी बीजेपी से समझौता करके लालू प्रसाद यादव को बिहार से बेदखल करने में सफल हुए।
-आरएमपी सिंह