19-Mar-2013 10:16 AM
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राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के भीतर भूचाल थमा नहीं है। वसुंधरा राजे की ताजपोशी से वैसे भी राज्य में बहुत से नेता खुश नहीं हैं। अब भाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी की देवदर्शन यात्रा के कारण विवाद और बढ़ गया है। तिवाड़ी ने यात्रा के शुरुआत से पहले अपने भाषण में प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और प्रदेशाध्यक्ष खेमें से जुड़े नेताओं का नाम लिया इससे भाजपा की अंदरूनी खींचतान उभरकर सामने आ गई हैं। खास बात यह है कि मोती डूंगरी से प्रारंभ हुई तिवाड़ी की यह यात्रा प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे की सुराज यात्रा के समानांतर चलेगी। वसुंधरा राजे भी बजट सत्र के बाद सुराज यात्रा करने वाली हैं। ये दोनों यात्राएं साथ-साथ होने से राज्य में राजनीतिक तापमान बढऩा तय माना जा रहा है। हालांकि तिवाड़ी का कहना है कि वे राजनीतिक यात्रा नहीं कर रहे हैं बल्कि राजनीति में शुचिता और सिद्धांत के लिए देवो के दर्शन हेतु जा रहे हैं। इसका राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। तिवाड़ी भले ही इसे एक गैर राजनीतिक कदम बताएं लेकिन इससे यह साफ पता चलता है कि कांग्रेस की तरह राजस्थान में भाजपा भी खेमों में बट चुकी है और स्थानीय नेताओं की महत्वाकांक्षा के चलते एकजुट होकर चुनाव में जाना भाजपा के लिए अब कठिन हो सकता है। इसका फायदा बहुजन समाजपार्टी जैसे अन्य दलों को मिलना तय है।
इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आगामी चुनाव को देखते हुए लोकलुभावन बजट प्रस्तुत किया है। बजट में हर वर्ग को राहत देने की कोशिश की गई है, लेकिन प्रश्न वही है कि क्या इस बजट के माध्यम से गहलोत पार्टी के भीतर पनपते असंतोष और जनआक्रोश से निपट सकेंगे। बजट में कई घोषणाएं ऐसी हैं जिनकी पूर्ति चुनाव के पहले संभव नहीं है। इसीलिए यह माना जा रहा है कि गहलोत अपनी चुनावी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जनता से और समय मांगने के लिए बजट में बढ़चढ़कर घोषणाएं कर रहे हैं। यह सच है कि प्रदेश में गहलोत के नेतृत्व में विकास को गति मिली है, लेकिन इस दौरान कई ऐसी घटनाएं हुईं जिनके चलते मुख्यमंत्री परेशानी में रहे। मदेरणा सीडी कांड से लेकर अन्य अनेक तरह की घटनाओं ने राज्य में गहलोत को बुरी तरह परेशान करके रखा है। आगामी दिनों में उनकी परेशान बढ़ सकती है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने वसुंधरा राजे को मैदान में उतारा है जो जुझारू होने के साथ-साथ लोकप्रिय भी हैं अब बजट के माध्यम से गहलोत इस राजनीतिक दुरावस्था से उबरना चाहते हैं। देखना है कि इसमें वे कितने कामयाब हो पाते हैं। शायद इसीलिए बजट में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस करते हुए हर वर्ग को खुश करने की कोशिश की गई। कर्मचारियों से लेकर बच्चे, युवा, महिला और बुजुर्गो को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया तो गांव, गरीब, मजदूर और किसान का भी ध्यान रखा।
करीब 336.52 करोड़ रुपए के फायदे वाले बजट में मुख्यमंत्री ने 310 करोड़ रु. के नए टैक्स लगाए हैं, जबकि 400 करोड़ रुपए की राहत दी है। बीपीएल को 1 रु. किलो गेहूं और आम आदमी को 5 रु. किलो आटा उपलब्ध कराने की घोषणा करके मुख्यमंत्री ने वोट बैंक को यथावत रखने की कोशिश की है। बुजुर्गों को सरकारी खर्चे पर धार्मिक स्थलों की यात्रा कराने की घोषणा करके भाजपा के वोट बैंक में भी सेंध लगाने का प्रयास किया है। अस्पतालों में जहां मुफ्त जांचों का दायरा बढ़ाया गया। पानमसाला और तंबाकू उत्पादों पर वैट दर 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करके इस बुराई को समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। मौजूदा कांग्रेस सरकार का यह अंतिम बजट है। इस बजट की सबसे ख़ास बात यह थी कि राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में सभी टेस्ट भी मुफ्त होंगे और निशुल्क दवा योजना के तहत मुफ्त मिलने वाली दवाओं की संख्या 400 से बढाकर 600 कर दी गई है।
गहलोत का यह बजट आगामी चुनावों को देखते हुए एकदम लोक लुभावन कहा जा सकता है। मुख्यमंत्री राजधानी जयपुर समेत 15 जिलों में एक-एक मेडिकल कालेज बनाने की भी घोषणा की है। किसानों की हालत सुधारने को लेकर उन्हें मुफ्त बिजली देने साथ कुटीर उद्योगों को भी बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है।
सड़कों से संबंधित घोषणाएं
250 से अधिक आबादी वाले गांवों को सड़कों से जोड़ा जाएगा, 6 हजार किलोमीटर सड़कों का सुदृढ़ीकरण, 546 गांवों को सड़कों से जोडऩे का लक्ष्य, विश्वबैंक की मदद से गावों को जोड़ा जाएगा, आने वाले समय में 650 करोड़ की लागत से 10,337 गांवों को सड़कों से जोड़ा जाएगा, 31,150 किमी सिंगल लेन सड़कों का कार्य प्रगति पर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में चिन्हित सड़कों का सुदृढ़ीकरण, बेणेश्वर धाम जाने वाली विशेष सड़क निर्माण नीति निर्माण बनाई जाएगी, 1400 गांवों को सड़कों से जोड़ा जाएगा, रेलवे फाटक रहित 15 ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य प्रस्तावित।