नेताओं की नई पीढ़ी लपेटे में
21-Jul-2015 09:13 AM 1234768

भ्रष्टाचार और विवाद राजनीतिक परिवारों की वंशानुगत बीमारियां बनती जा रही हैं। कई राजनीतिक घरानों की अगली पीढ़ी पर भी आरोप लगे हैं जिसके चलते राजनीतिक दलों को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है। हत्या, बलात्कार, डकैती, ब्लैकमेलिंग में लिप्त नेता पुत्रों की सूची बहुत लंबी है, लेेकिन अब बड़े-बड़े घोटालों और विवादों से भी नेता पुत्रों के तार जुडऩे लगे हैं। ताजा मामला ललित मोदी के लीक से जुड़ा हुआ है।

भाजपा सांसद वरुण गांधी की मुलाकात भाजपा के राजस्थान विधायक जगत सिंह ने ललित मोदी से कराई थी, ऐसी खबर पहले-पहल मीडिया में आई। बाद में जगत सिंह ने ट्वीट करके दावा किया कि ललित मोदी से वरुण गांधी की मुलाकात एक कॉमन फें्रड ने कराई थी। इस नए खुलासे के बाद वरुण गांधी की मुसीबत बढ़ती दिख रही है। क्योंकि इससे पहले वरुण यही दावा कर रहे थे कि ललित मोदी से उनकी मुलाकात पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेसी नेता नटवर सिंह के पुत्र तथा वर्तमान में भाजपा विधायक जगत सिंह ने कराई थी। ललित मोदी ने वरुण गांधी पर आरोप लगाया है कि वरुण अपनी ताई (सोनिया गांधी) से मिलकर ललित मोदी के सारे मामले सेटल कराने की बात कर रहे थे। इस पूरे सेटलमैंटÓ की कीमत 60 मिलियन डॉलर लगाई गई थी। अब इस खुलासे के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों ही बचाव की मुद्रा में तो हैं, लेकिन ललित मोदी ने प्रियंका गांधी से मुलाकात को भी विवादास्पद बना दिया है। इसका अर्थ यह हुआ कि अकेले ललित मोदी ने कई नेता पुत्र-पुत्रियों को सेट कर रखा था। वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह ललित मोदी के मामले में पहले ही कठिनाई झेल रहे हैं। हालांकि कांग्रेेस उनको अलग तरीके से धौलपुर महल के मामले में लपेट चुकी है। लेकिन दुष्यंत सिंह की कंपनी एनएचएचपीएल (नियंत हैरिटेज होटेल्स प्राइवेट लिमिटेड) में ललित मोदी के 10 करोड़ रुपए के निवेश के आरोप ने दुष्यंत सिंह को भी कहीं न कहीं ललित मोदी से जोड़ दिया है और उन नेता पुत्रों की कतार में खड़ा कर दिया है जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। झालावाड़-बारां से लोकसभा सदस्य दुष्यंत पर आरोप लगे, तो वसुंधरा राजे मुसीबत में पड़ सकती हैं। वे खुद भी ललित मोदी की निकटता के दलदल से बाहर निकलने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन ललित मोदी की मित्रता और शत्रुता दोनों ही भारतीय जनता पार्टी तथा कांगे्रस के कई आला नेताओं के लिए अब जी का जंजाल बनती जा रही है। इन दोनों दलों के नेता पुत्रों पर ललित मोदी की सहायता करने के आरोप हैं। प्रियंका और राहुल पर भले ही सीधे-साधे आरोप न लगे हों, लेकिन राजीव शुक्ला की गांधी परिवार और ललित मोदी से निकटता जग-जाहिर है। इसलिए मोदी मामले में पहले-पहल आक्रामक हुई कांग्रेस के तेवर अब ढीले पड़ चुके हैं। कांग्रेस का अनुमान था कि ललित मोदी के बहाने केंद्र सरकार को घेर लिया जाएगा, पर दांव उलटा पड़ गया। फिर भी संसद के मानसून सत्र में इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा हो सकता है। जहां तक वरुण गांधी का प्रश्न है, उन्होंने कथित रूप से ललित मोदी से जो सेटलमैंट की बात की थी, क्या वह सच थी? यदि ऐसा है, तो क्या गांधी परिवार बाहरी रूप से दो अलग-अलग विचारधाराओं में बंटा दिखाई देता है, लेकिन भीतर से दोनों एक हैं? आखिर ललित मोदी के साथ वरुण गांधी जिस डील की बात कर रहे हैं, वैसी डील कोई विश्वसनीय व्यक्ति ही कर सकता है। ललित मोदी बहुत बड़े पाखंडी और षड्यंत्रकारी हैं। उनकी बात पर सहसा विश्वास नहीं किया जा सकता किंतु उनकी बात को एकदम से खारिज भी नहीं किया जा सकता।
ऐसे ही एक अन्य मामले में दिवंगत गोपीनाथ मुण्डे की पुत्री पंकजा मुण्डे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। महाराष्ट्र की सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री पंकजा के विभाग में 206 करोड़ रुपए की खरीद-फरोख्त नियमों को नजरअंदाज करते हुए की गई। हालांकि पंकजा का कहना है कि यह पैसा खर्च करना जरूरी था, वरना लैप्स हो जाता। लेकिन खर्च करने के लिए केंद्र सरकार के डायरेक्टर जनरल ऑफ सप्लाइज एंड डिस्पोजल्स के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया। कांग्रेस का आरोप है कि इसके लिए ई-टेंडरिंग की जानी थी, जो कि नहीं की गई। इस पर पंकजा का कहना है कि यह खरीद ई-टेंडरिंग के संबंध में आदेश जारी होने से पहले की गई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी पंकजा का बचाव करते हुए कहा है कि पहली नजर में इसमें कोई भ्रष्टाचार नजर नहीं आता। फडणवीस के इस बयान का अर्थ यह भी हो सकता है कि दूसरी और तीसरी नजर में या चौथी नजर में भ्रष्टाचार नजर आ जाए। मतलब सीधा है कि जांच करानी चाहिए। जांच हुई तो पंकजा मुण्डे पर जवाबदेही तय होगी। कांग्रेस सरकार के दौरान इसी तरह से 408 करोड़ रुपए की खरीद हुई है। इसलिए जांच-पड़ताल की गई, तो कांग्रेस भी लपेटे में आएगी। महाराष्ट्र घोटालों का राज्य है। आदर्श घोटाले सहित कई भूमि-घोटाले महाराष्ट्र की जमीन पर जन्मे। वर्ष 2010 में आईपीएल के प्रसारण अधिकार से जुड़े एक मामले में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और उनके दामाद सदानंद सुले का नाम भी सामने आया था। बाद में यह मामला सुर्खियों से गायब हो गया। सुषमा स्वराज की पुत्री बांसुरी स्वराज पर ललित मोदी की वकालत करने के ऐवज में कोई फीस न लेने की बात पर भी विवाद उत्पन्न हुआ था। उधर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद संजय सिंह  के पुत्र और भाजपा नेता विक्रम सिंह का नाम भी उत्तरप्रदेश में अमेठी के भूपति भवन विवाद मेंं शामिल रहा था। अनंत इस मामले में जेल भी गए थे। पिता-पुत्र की इस लड़ाई में दोनों पार्टियों को पर्याप्त नुकसान उठाना पड़ा।
वैसे तो सभी राजनीतिक दलों में नेता पुत्रों, संबंधियों के ऊपर आरोप लगे हैं। ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी ने हाथ काट लेने और आंख निकाल लेने की धमकी दी थी। मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदारों पर भी ऐसे ही आरोप लगे हैं। लालू यादव के दोनों पुत्रों और पुत्री पर सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगे थे। विधानसभा चुनाव के दौरान भी कई शिकायत सामने आई थी। कई बार राजनीतिक घरानों को बदनाम करने के लिए भी आरोप लगा दिए जाते हैं। कई बार राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते जबरन आरोपों में घसीटा जाता है। प्रियंका गांधी के शिमला स्थित निर्माणाधीन घर का विवाद इसी तरह जानबूझकर उछाला गया। जिसके बाद कोर्ट से प्रियंका गांधी को राहत मिली। दक्षिण भारत में भी करुणानिधि के सुपुत्र स्टालिन और चंद्रबाबू नायडू के सुपुत्र नारा लोकेश पर आरोप लगे हैं। जब करुणानिधि यूपीए सरकार के घटक हुआ करते थे, उस वक्त तमिलनाडू के कई दागी मंत्रियों को स्टालिन ने सहयोग किया। जिस पर विवाद उत्पन्न हो गया। पिछले वर्ष नवंबर माह में चंद्रबाबू नायडू के पुत्र नारा लोकेश एक ट्वीट करके चर्चा में आ गए थे। लोकेश ने कथित रूप से इस ट्वीट में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.सी.आर. की तुलना हिटलर से की थी।
-कोलकाता से आईके बिन्नानी

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^