सिंहस्थ की तैयारी सब पर भारी
04-Jul-2015 07:57 AM 1234919

उज्जैन में सिंहस्थ के आयोजन में अब 7 माह शेष रहे हैं। 7 माह के भीतर सभी तैयारियां पूरी करनी है। क्षिप्रा नदी की स्वच्छता और उज्जैन शहर में श्रद्धालुओं के वाहन के कारण होने वाली टे्रफिक समस्या सबसे बड़ी चुनौती है। इस वर्ष 4 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। 1980 मेें यह संख्या 50 लाख थी। उस समय देश की जनसंख्या अभी के मुकाबले लगभग आधी ही थी। जनसंख्या तो दोगुनी हुई लेकिन पिछले सिंहस्थ के समय श्रद्धालुओं की संख्या 1980 के मुकाबले लगभग चार गुनी और इस वर्ष बढ़कर आठ गुनी होने की संभावना है। उज्जैन शहर वैसा ही है जैसा 80 के दशक में हुआ करता था। कुछ नए इलाके अवश्य बने हैं और महाकाल के आसपास के क्षेत्रों में भी व्यापक परिवर्तन आया है। लेकिन 4 करोड़ श्रद्धालुओं के लिहाज से व्यवस्था पुख्ता नहीं है। खासकर स्नान के समय इस बार प्रशासन को भारी दिक्कत आएगी। महाकाल का प्रताप कुछ ऐसा है कि सिंहस्थ बिना किसी विघ्न के ही संपन्न होता आया है। इस बार क्षिप्रा में नर्मदा का पानी छोड़ा जाएगा। पिछले कुछ समय से नर्मदा के पानी ने क्षिप्रा को जीवंत रखा हुआ है लेकिन यह पवित्र नदी अभी भी उतनी स्वच्छ नहीं है। क्षिप्रा की सफाई एक बड़ी चुनौती है। प्रशासन ने कहा है कि बरसात के बाद क्षिप्रा एकदम साफ कर दी जाएगी। जब फरवरी माह में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उज्जैन पहुंचे थे, उस वक्त उन्होंने वहां विकास कार्यों का जायजा लिया था। फरवरी तक महाकाल फूडकोर्ट, इंटरप्रिटेशन सेंटर कांक्रीट रोड का काम नहीं हो पाया था। यह अभी भी चल रहा है। उसी प्रकार मंगलनाथ विद्युत डीपी में बहुत सा काम बाकी है। रुद्र सागर का विकास तथा सेंट्रल लाइटिंग के कामों में गति लाने की आवश्यकता है। बरसात प्रारंभ होने के कारण यह काम अभी धीमे पड़ेंगे। लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई जा रही सड़कें भी गुणवत्ता में कमजोर होने के साथ-साथ धीमी गति से बन रही हैं।
महाकाल तक सीधी कनेक्टिविटी के लिए जो वन-वे सड़क बनाई जा रही है उसका आधा रास्ता अभी भी चालू नहीं है। देवास रोड, इंदौर रोड सहित तमाम सड़कों को पहले की अपेक्षा चौड़ा किया गया है, लेकिन निर्माण काम उतना गुणवत्तापूर्ण नहीं है। जैसे टॉवर चौक तक पहुंचने वाली सड़कों के दोनों तरफ अतिक्रमण अभी भी नहीं हट पाया है। यहां पार्किंग की व्यवस्था भी उचित नहीं है। हालांकि टेलीकम्यूनिकेशन का काम सही गति में चल रहा है। बल्क एसएमएस के लिए तो पहले ही व्यवस्था हो चुकी थी, अब पर्यटकों को महाकाल के दर्शन मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से तत्काल हो सकेंगे। यह एप्लीकेशन तैयार है और इसे कुछ ही दिन में सभी के लिए लॉन्च कर दिया जाएगा। इस एप्लीकेशन में जीपीएस का उपयोग किया गया है। देश-विदेश के किसी भी कोने से इस एप्लीकेशन का उपयोग करने वाले व्यक्ति को सर्वाधिक उचित मार्ग, उसकी दूरी और नक्शा उसके मोबाइल पर ही उपलब्ध होगा। मोबाइल पर पता चलता रहेगा कि महाकाल के लिए किस रोड से जाना है, कहां से मुडऩा है। उज्जैन दर्शन का रूट चार्ट भी सामने आ जाएगा। इससे पता चलेगा कि निकट में कौन सा दार्शनिक स्थल है और वहां कैसे पहुंचा जा सकता है। एप में खोया-पाया जैसी सुविधाएं भी संचालित की जाएंगी। कुंभ के खास स्नान 22 अप्रैल, शुक्रवार को पूरणमासी के दिन से प्रारंभ होते हुए 21 मई शनिवार की पूरणमासी तक चलेंगे। इस दौरान 6 मई, शुक्रवार को वैष्णव कृष्ण अमावस्या, 9 मई सोमवार को शुक्ल त्रतीया तथा 11 मई, गुरुवार को शुक्ल पंचमी प्रमुख रूप से पडऩे वाली हैं। इन तिथियों के अतिरिक्त भी कई महत्वपूर्ण तिथियां स्नान के लिए उपयुक्त बताई जा रही हैं। इन 5 तिथियों पर श्रद्धालुओं की भीड़ अन्य दिनों की अपेक्षा 20 से 25 गुना ज्यादा हो सकती है। इसीलिए उनके ठहरने और आवागमन तथा अन्य सुविधाओं की दृष्टि से उज्जैन को एक बड़े शहर की शक्ल तो देनी ही पड़ेगी। प्रशासन क्षिप्रा के दोनों तरफ कुछ खाली स्थान आरक्षित रखने की व्यवस्था भी कर रहा है। सिंहस्थ के समय 33 एमजीडी जल महाकुंभ के लिए आवश्यक होगा, जिसके लिए 100 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाई जा रही है। बिजली के लिए 82 एमबीए का लोड जरूरी है। इसके लिए 26 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। स्नान के समय आपदा प्रबंधन उपकरण जैसे यांत्रिक बोर्ड, प्रशिक्षित तैराक, राष्ट्रीय आपदा कार्यवाही बल, राष्ट्रीय आपदा रिस्पांस फोर्स की व्यवस्था भी करनी होगी। 90 दिनों के दौरान 5 हजार होमगार्ड्स के अलावा 2 हजार निजी स्वयं सेवकों को स्वीकृति दी गई है, जिनके पारिश्रमिक के लिए बजटीय प्रावधान किए जाएंगे। वैसे सिहस्थ में 25 हजार पुलिस कर्मी तैनात किए जाएंगे। लालपुल से लेेकर भूखी माता और भूखी माता से दत्त अखाड़े तक जिन नए घाटों का निर्माण किया गया है उनकी लंबाई 8 किलोमीटर है। इसके अलावा शहर का क्षेत्रफल भी अच्छा-खासा है। ऐसी स्थिति में 25 हजार पुलिसकर्मियों को दिन-रात मेहनत करनी होगी। रेलवे, बस स्टैण्ड से लेकर अतिथियों के आगमन की जगह ज्यादा सुरक्षा की जरूरत रहेगी। रेलवे 1250 टे्रनें चलाएगा। सारे प्रांतों से विशेष बसें चलाई जाएंगी। इसके अतिरिक्त शहर के भीतर चलित एटीएम और प्रत्येक श्रद्धालु को 2 लाख रुपए का बीमा देने का प्रावधान भी किया गया है। संवेदनशील इलाकों की निगरानी ड्रोन से की जाएगी। इसके लिए 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में 6 जोन बनाकर 42 थाने स्थापित किए जाएंगे। रामघाट, त्रिवेणी घाट, मंगलनाथ घाट, सिद्धवत घाट, कबीर घाट, ऋणमुक्तेश्वर घाट, भूखी माता घाट, दत्त अखाड़ा घाट, चिंतामण घाट, प्रशांतिधाम घाट, सुनहरी घाट, नृसिंह घाट जैसे ऐतिहासिक घाटों और चिंतामण गणेश मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर, हरसिद्धी मंदिर, बड़े गणेशजी का मंदिर, रामजनार्दन मंदिर, नगरकोट की रानी का मंदिर, 24 खंभामाता मंदिर, त्रिवेणी नवग्रह शनि मंदिर, गणकालिका मंदिर, गोपाल मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, संदीपनी आश्रम, कालभैरव मंदिर, सिद्धवट मंदिर, इस्कान मंदिर, पीर मत्स्येंद्रनाथ मंदिर में तो भीड़ रहेगी ही, लेकिन उसके अलावा लगभग 50-60 मंदिर ऐसे हैं जहां श्रद्धालु बड़ी तादात में दर्शन के लिए जाएंगे। जिन 12 सड़कों को प्रमुख रूप से तैयार किया गया है, उनमें इसकी कनेक्टिविटी सही रखने की कोशिश की गई है। इसके अलावा 11 के करीब पुल भी बनाए गए हैं, जिनका निर्माण अभी चल रहा है।
उज्जैन सिंहस्थ-2016 में 30 दिनों में 10 मुख्य तिथियों पर प्रमुख स्नान होंगे। ज्योतिर्विदों के मुताबिक अश्वमेघ फल प्रदान करने वाले इस पर्व की शुरुआत चैत्र पूर्णिमा के दिन 22 अप्रैल को प्रथम स्नान के साथ होगी। अंतिम प्रमुख स्नान वैशाख पूर्णिमा पर 21 मई को होगा। इस बीच वरुधिनी एकादशी, वैशाख अमावस्या, अक्षय तृतीया, शंकराचार्य जयंती, वृषभ की सक्रांति पर भी मुख्य स्नान होंगे। इनमें शाही स्नान किन-किन तिथियों पर होंगे इसका निर्णय अखाड़ा परिषद द्वारा लिया जाएगा। संवत 2073 शिवÓ विशति: के अंतर्गत होने के साथ ही सोमयुगÓ का भाग भी है। अत: उज्जैन शिव की नगरी होने से इस सिंहस्थ महाकुंभ में इस संवत का विशेष महत्व स्वयं ही सिद्ध है। इस बार सिंहस्थ महाकुंभ में  श्रद्धालुओं को पवित्र क्षिप्रा एवं नर्मदा के प्रवाहमान शुद्ध जल में स्नान का शुभ अवसर प्राप्त होगा उल्लेखनीय है कि विगत सिंहस्थ महाकुंभ में क्षिप्रा में गंभीर नदी का पानी डाला गया था एवं अनेकों वर्षों से प्रवाहमान नदी में वैशाख माह में स्नान का शुभ अवसर एवं धर्मलाभ श्रद्धालुओं को नही हो पाया था।
- उज्जैन से श्याम सिंह सिकरवार

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