विवाद का समाधान बजट से
04-Jul-2015 07:00 AM 1234815

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल घोषणा वीर तो हैं हीं इसलिए अपने पहले बजट में भी उन्होंने लोक-लुभावन वादे करके इस बजट को चुनावी बजट बनाने की कोशिश की है। आम तौर पर चुनाव के बाद पहला बजट थोड़ा तंग और कठोर आर्थिक उपायों से भरपूर होता है। लेकिन केजरीवाल ने जो बजट दिया है, उसे देखकर भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों की त्यौरियां चढ़ गई हैं। यह कौन सी तैयारी का हिस्सा है? कहीं यह एस.एस. यादव की नियुक्ति का असर तो नहीं? दिल्ली के बजट से दिल्लीवासियों को सीधे तो राहत नहीं मिलेगी लेकिन आम आदमी पार्टी को अपने चुनावी वादे पूरा करने का मौका मिल जाएगा। बिजली, पानी, फ्री वाई फाई, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे कई क्षेत्र हैं जहां केजरीवाल ने जनता को बहुत से ख्वाब दिखाए हैं। 41 हजार 500 करोड़ रुपए आय के बजट में खर्च 41 हजार 129 करोड़ रुपए किया जा रहा है। जिसमें सबसे ज्यादा खर्चा परिवहन पर ही किया गया है। इसीलिए इसे मेगा बजट भी कहा गया। लेकिन दिल्ली नगर-निगम के कर्मचारियों की सैलरी का विवाद इस भारी-भरकम बजट के आभामंडल को कम कर रहा है। भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच बजट सत्र में जमकर हंगामा भी हुआ, जिसके चलते मार्शल बुलाकर भाजपा के तीनों विधायकों को बाहर फिंकवा दिया गया।
भाजपा विधायकों की मांग थी कि दिल्ली सरकार चौथे वित्त आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करे। दरअसल अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी को सलाह दी थी कि कानून मंत्री तोमर के मामले में वे धोखा खा चुके हैं इसलिए मोदी सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी, वसुंधरा राजे के मामले में धोखा न खाएं। केजरीवाल की इस कटाक्ष भरी सलाह पर भाजपा तिलमिला गई और सदन में जमकर हंगामा भी हुआ। विपक्ष में ले-देकर कुल तीन विधायक भाजपा के हैं, तीनों सुर्खियों में रहने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं। विजेंद्र शर्मा और जगदीश पुरी के अलावा ओ.पी. शर्मा की मुखरता से यह साफ जाहिर होता है कि भाजपा संख्या बल में कम हो, लेकिन वह विपक्ष के रूप में दिल्ली विधानसभा को जीवंत बनाए रखना चाहती है। तोमर मुद्दे पर केजरीवाल सरकार की बहुत बदनामी हुई है। केजरीवाल ने जिस तरह तोमर को साइड लाइन किया है, उससे यह संदेश गया है कि वे गड़बड़ी करने वालों को बख्शेंगे नहीं। बीच में यह खबर भी सुनने में आई थी कि आम आदमी पार्टी के 18 विधायकों के खिलाफ फर्जी डिग्री मामले में कार्यवाही हो सकती है। इस खबर की पुष्टि नहीं हो सकी है। लेकिन आम आदमी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि तोमर के इस्तीफे और गिरफ्तारी के बाद अब आम आदमी पार्टी लोकसभा में सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी, वसुंधरा राजे आदि दागी मंत्री-मुख्यमंत्री का मुद्दा उठाएगी। इससे यह साफ जाहिर होता है कि आने वाले दिनों में फर्जी डिग्रियों का मुद्दा सुलगता रहेगा।
रोचक तथ्य यह है कि केजरीवाल के खिलाफ भाजपा और कांग्रेस ऊपर से नहीं किंतु भीतर से एक नजर आते हैं। शीला दीक्षित के कार्यकाल में दिल्ली जल बोर्ड में हुए टेंकर घोटाले की जांच केजरीवाल सरकार ने प्रारंभ कर दी है। वर्ष 2012-13 में जल बोर्ड ने तीन कंपनियों को 385 टैंकर का ठेका दिया था। बताया जाता है कि यह काम 200 करोड़ में हो सकता था लेकिन शीला सरकार ने इस पर 600 करोड़ खर्च किए। अब इस भ्रष्टाचार की जांच एसईबी को सौंपी जा सकती है। लेकिन एसईबी में जो नियुक्तियां हुई हैं वे केंद्र सरकार के इशारे पर की गई हैं। एसईबी शीला के प्रति कितना कठोर रहेगा, कहना मुश्किल है। लेकिन कांगे्रस ने लोकसभा सत्र के दौरान सुषमा, वसुंधरा आदि के प्रकरण पर ज्यादा ंहंगामा नहीं मचाया, तो उसके एवज में शीला को राहत मिल सकती है। यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि शीला दीक्षित को आला कमान कितना महत्व देता है। दिल्ली में पराजय का सारा ठीकरा शीला दीक्षित पर ही फोड़ा गया था। इसलिए शीला के प्रति रहमदिली की संभावना कम ही है। लेकिन शीला अलग-थलग पड़ीं तो दिल्ली में कांग्रेस का जायका बिगड़ जाएगा, जो कि पहले ही बहुत मुसीबत झेल रही है। उधर आम आदमी पार्टी के सोमनाथ भारती और जितेंद्र सिंह तोमर की मुसीबत बढ़ती जा रही है। सोमनाथ भारती ने पिछली सरकार में कानून मंत्री रहते हुए सड़क पर महिलाओं का यूरिन सैंपल लेने का कारनामा कर दिखाया था। इस बार वे दूसरी वजह से चर्चा में हैं। उनकी पत्नी लिपिका मित्रा ने सोमनाथ भारती पर दहेज उत्पीडऩ, धोखाधड़ी, जालसाजी, शारीरिक और मानसिक प्रताडऩा का आरोप लगाया है। दोनों के बीच काउंसिलिंग के दौरान सुलह का प्रयास किया गया लेकिन सुलह नहीं हो सकी। सोमनाथ भारती प्रकरण ने आम आदमी पार्टी को असहज
-दिल्ली से रेणु आगाल

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