18-Jun-2015 08:56 AM
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21 जून को सारी दुनिया में योग दिवस मनाया जाएगा। लेकिन भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने योग पर हमला बोलते हुए स्कूलों, कॉलेजों सहित तमाम संस्थाओं में इसका विरोध करने का

निर्णय लिया है। सरकार योग को स्वास्थ्य से जोड़ रही है लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि इस्लाम में सिर्फ अल्लाह की इबाबत की इजाजत है। लगता है कि अब योग राजनीति से जुड़ चुका है। क्योंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सुर में सुर मिलाने वाले एक नहीं अनेक हैं। हालांकि मुसलमानों को पक्ष में करने के लिए सरकार ने योग दिवस पर सूर्य नमस्कार की अनिवार्यता खत्म करने का फैसला किया है। उधर राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि वादों को छुपाने के लिए मोदी ने योग दिवस का कार्यक्रम रखा है। इस प्रकार अब यह तय हो गया है कि दुनिया जिस दिन योग दिवस मनाएगी, उस दिन भारत में जमकर राजनीति की जाएगी।
सवाल यह है कि एक दिन योग करने से जनता को ऐसा कौन सा स्मृति विश्राम हो जाएगा कि वह सरकार के वादों को भूल जाएगी? सारी दुनिया में 21 जून को योग दिवस के दिन अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बहुत से मुस्लिम देशोंं में भी जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है, योग दिवस के दिन योग प्रदर्शन करने की योजना है। दरअसल योग का संबंध किसी धर्म विशेष या पूजन पद्धति से न होकर स्वास्थ्य से अधिक है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी योग के स्वास्थ्य पहलू को देखते हुए 21 जून को योग दिवस मनाने की घोषणा की है। अनेक शोधों से यह साबित हो चुका है कि योग में रोग निदान और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की अद्भुत शक्ति है। योग बिना किसी दवा के शारीरिक व्यायाम द्वारा किया गया उपचार है। चूंकि योग का आविष्कार भारतीय ऋषि-मुनियों ने किया है, इसलिए योगासनों के दौरान ओम का उच्चारण और सूर्य नमस्कार अन्य धर्मावलंबियों के लिए स्वीकार्य नहीं होगा। लेकिन योग में यह अनिवार्य भी नहीं है। जो लोग ओम नहीं बोलना चाहते वे मौन रह सकते हंै और जो सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहते वे कोई अन्य व्यायाम कर सकते हैं। लेकिन योग एक हल्का-फुल्का व्यायाम ही है जिसमें शारीरिक श्रम से अधिक श्वांस के आवागमन का भी उतना ही महत्व है। श्वांस के द्वारा प्राण वायु को शरीर के अंदर खींचना और शरीर की ऊर्जा को सही दिशा में प्रेरित करना योग का मुख्य लक्ष्य है। यह उपचार और आरोग्य की एक पद्धति है। इसका किसी धर्म विशेष से कोई ताल्लुक नहीं है लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को कुछ राजनीतिक संगठन हवा दे रहे हैं। भाजपा ने भी योग के बहाने राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साधा है। उधर दूसरे राजनीति दलों ने योग पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। इसके विरोध में कोई खुलकर तो सामने नहीं आया, लेकिन दबी जुबान से यह कहा जा रहा है कि योग हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने की साजिश है। सूर्य नमस्कार और वंदे मातरम पर पहले भी विवाद हो चुका है। मजे की बात यह है कि कांग्रेस के शासन काल में पूर्व मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह ने वंदे मातरम को अनिवार्य करने की बात कही थी लेकिन आज कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने योग को राजनीति से पे्ररित बता रहे हैं। दुनिया के 190 देश में योग दिवस मनाया जाएगा। भारत में सभी शहरों में योग दिवस मनेगा लेकिन दिल्ली में राजपथ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में 35 हजार बच्चे, एनसीसी केडेट्स, सेना के जवान, सरकारी कर्मचारी, सांसद, कैबिनेट मंत्री योग करेंगे। सभी लोगों के लिए 13 आसन अनिवार्य किए गए हैं। ऐसे आसन चुने गए हैं जो सरल हों और सभी कर सकें।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल यूएन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग की पैरवी की थी और योग के महत्व को समझाते हुए योग दिवस मनाने की अपील की थी। यूएन ने भी इस पर तत्काल फैसला लेते हुए योग दिवस की घोषणा कर दी। यूएन ने 21 जून को इंटरनेशनल योगा डे के रूप में मनाने की घोषणा की थी। कई मुस्लिम देशों ने भी योग को अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित करने के पक्ष में वोट किया था। पूरे विश्व में एक साथ लाखों लोगों द्वारा योग करके एक विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा। इसके लिए आयुष मंत्रालय गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज कराने की संभावना पर विचार कर रहा है। आयुष राज्यमंत्री श्रीपाद नाईक ने कहा है कि सूर्य नमस्कार करना सभी के लिए संभव नहीं था। यह एक मुश्किल योग है इसलिए योग दिवस पर इसे नहीं किया जाएगा। लेकिन भारत के ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इस दिवस में शामिल होने से इनकार कर इसका विरोध किया है। स्कूलों में योग कराए जाने को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा एक पैनल का गठन किया जाएगा जो मुस्लिम समुदाय के बच्चों को योग और सूर्य नमस्कार के बारे में बताएगा कि कैसे यह इस्लाम के खिलाफ है। आईएमपीएलबी के मेंबर मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महली ने कहा, स्कूलों में सूर्य नमस्कार और योगा को अनिवार्य बनाए जाने के खिलाफ हम कैंपेन चलाएंगे। मौलाना वली रहमानी इस कैंपेन का नेतृत्व करेंगे।
वंदे मातरम के खिलाफ भी ऐसी ही मुहिम चलाई गई थी। कहा जा रहा था कि यह इस्लाम के खिलाफ है। लेकिन सच तो यह था कि बंकिमचंद चटर्जी के उपन्यास आनंद मठ में वंदे मातरम गाते हुए मुस्लिमों पर हमला बोलने के एक दृश्य का वर्णन है। इसीलिए कई बुद्धिजीवियों ने वंदे मातरम का विरोध किया। लेकिन योग से जुड़ा हुआ ऐसा कोई वाकया नहीं है इसलिए इसका विरोध समझ से परे है। खासकर सरकार द्वारा सूर्य नमस्कार की अनिवार्यता खत्म करने के बाद भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा योग का विरोध जारी रखना, विवादास्पद हो सकता है।
-श्याम सिंह सिकरवार