18-Jun-2015 08:52 AM
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धर्मांधता और धर्मनिरपेक्षता से जूझ रहे बांग्लादेश में नरेंद्र मोदी की यात्रा ने विदेश नीति को नया आयाम दिया है। 6-7 जून की दो दिवसीय यात्रा में मोदी ने वह सब कुछ हासिल किया जो पिछले एक

दशक में नहीं किया जा सका। कूटनीतिक रूप से यह यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि मोदी सरकार के लिए पूर्वी सीमा पर शांति और सद्भाव दोनों बहुत जरूरी हैं। 6 जून को जब मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को आंध्रप्रदेश के वैंकटगिरी में हस्तनिर्मित चित्रपट भेंट किया, उस समय यह साफ जाहिर हो गया था कि भारत बांग्लादेश से सीमा विवाद पूरी तरह समाप्त करना चाहता है। तीस्ता जल बंटवारे पर मनमोहन सिंह के साथ जाने से इनकार करने वाली जिद्दी ममता बनर्जी को अपने साथ बांग्लादेश यात्रा पर ले जाने में कामयाब मोदी ने पड़ोसी देश को यह संदेश दिया कि राजनीतिक मतभेद विदेश नीति के मामले में अडंग़ा नहीं बनेंगे। इससे पहले चीन, मंगोलिया और दक्षिण कोरिया की यात्रा के दौरान मोदी ने कुछ ऐसे बयान दिये थे जिससे विपक्षी दल कांग्रेस और सरकार के बीच तीखी नोंक-झोंक ने जन्म लिया। लेकिन बांग्लादेश में मोदी सतर्कता से बोले।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लिए समर्पित बांग्लादेश स्वतंत्रता युद्ध सम्मान स्वीकार करते हुए नरेंद्र मोदी ने वाजपेयी द्वारा 6 दिसंबर 1971 को भारत की संसद में दिए गए वक्तव्य को पढ़कर बताया और कहा कि बांग्लादेश की जंग के समय मुक्ति योद्धाओं के साथ भारत की सेना ने जो अपना रक्त बहाया था और हर भारतीय नागरिक एक प्रकार से बांग्लादेश के सपने को साकार करने के लिए जूझता था, उस समय अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना नेतृत्व और मार्गदर्शन प्रदान किया। विपक्ष में रहते हुए भी देश की राजनीति को दिशा देने का प्रयास किया। बंग बंधु कन्वेंशन सेंटर में मोदी ने बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्तों को ज्यादा आत्मीयतापूर्ण और प्रगाढ़ बनाने की कोशिश की। जिस तरह चीन और पाकिस्तान मिलकर भारत की घेराबंदी करने की कोशिश कर रहे हैंं उस परिपे्रक्ष में नरेंद्र मोदी ने अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान बांग्लादेश का दिल जीतने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने 6 प्रतिशत विकास दर के प्रधानमंत्री शेख हसीना की सराहना की तथा यह कहा कि दोनों देशों के पास 65 प्रतिशत जनसंख्या युवाओं की है। दोनों देश जवानी से भरे हुए हैं, दोनों के सपने जवान हैं, ऐसी स्थिति में भारत और बांग्लादेश की विकास यात्रा कभी नहीं रुक सकती। बांग्लादेश की जमीन से प्रधानमंत्री ने चीन और पाकिस्तान को भी स्पष्ट चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि आज वक्त बदल चुका है, दुनिया बदल चुकी है कोई एक कालखंड था, जब विस्तारवाद देशों की शक्ति की पहचान माना जाता था, कौन कितना फैलता है, कौन कहां-कहां तक पहुंचता है, कौन कितना सितम और जुल्म कर सकता है, उसके आधार पर दुनिया की ताकत नापी जाती थी। इस युग में, इस समय विस्तारवाद को कोई स्थान नहीं है, आज दुनिया को विकासवाद चाहिए।
मोदी ने सीमा विवाद की प्रभावी पहल करने की कोशिश करते हुए कहा कि बहुत कम लोग इस बात का मूल्यांकन कर पाए हैं कि भारत और बांग्लादेश के बीच रुड्डठ्ठस्र ड्ढशह्वठ्ठस्रड्डह्म्4 ड्डद्दह्म्द्गद्गद्वद्गठ्ठह्ल क्या ये सिर्फ जमीन विवाद का समझौता हुआ है? अगर किसी को ये लगता है कि दो-चार किलोमीटर जमीन इधर गई और दो-चार किलोमीटर जमीन उधर गई, ये वो समझौता नहीं है, ये समझौता दिलों को जोडऩे वाला समझौता है। दुनिया में सारे युद्ध जमीन के लिए हुए हैं और ये एक देश है, बांग्लादेश भी गर्व करता है।
बांग्लादेश के अखबार में, बांग्लादेश और भारत के जमीन के समझौते को क्चद्गह्म्द्यद्बठ्ठ की दीवार गिरने की घटना के साथ तुलना की थी। मोदी ने इस पर कहा कि यही घटना दुनिया के किसी और भू-भाग में होती तो विश्व में बड़ी चर्चा हो जाती, पता नहीं हृशड्ढद्गद्य क्कह्म्द्ब5द्ग देने के लिए रास्ते खोले जाते, हमें कोई नहीं पूछेगा क्योंकि हम गरीब देश के लोग हैं लेकिन गरीब होने के बाद भी अगर हम मिलके चलेंगे, साथ-साथ चलेंगे, अपने सपनों को संजोने के लिए कोशिश करते रहेंगे, दुनिया हमें स्वीकार करे या न करे, दुनिया को ये बात को मानना पड़ेगा कि यही लोग हैं जो अपने बल-बूते पर दुनिया में अपना रास्ता खोजते हैं।
मोदी ने महिला सशक्तिकरण के लिए भी बांग्लादेश की सराहना करते हुए कहा कि महिला क्रिकेटर सलमा खातून को वो चेहरा - ये 2शद्वद्गठ्ठ द्गद्वश्चश2द्गह्म्द्वद्गठ्ठह्ल है, ये 4शह्वह्लद्ध की श्चश2द्गह्म् का परिचय करवाता है। हमारे यहां, अभी-अभी क्रिकेट का दौर समाप्त हुआ। क्रिकेट की दुनिया में बांग्लादेश की द्गठ्ठह्लह्म्4 जरा देर से हुई लेकिन आज हिंदुस्तान समेत सभी क्रिकेट टीमों को बांग्लादेश की क्रिकेट टीम को कम आंकने की हिम्मत नहीं है। देर से आए लेकिन आप ने उन प्रमुख देशों में अपनी जगह बना ली है, ये बांग्लादेश की ताकत है। कुछ वर्ष पहले गरीब परिवार को दो बिटियां, एवरेस्ट जाकर के आ गईं, ये बांग्लादेश की ताकत है और मुझे गर्व है कि मैं उस बांग्लादेश के साथ-साथ चलने के लिए आया हूं।
तीस्ता जल विवाद को भी मोदी ने सुलझाने की कोशिश की उनका कहना था कि तिस्ता के पानी की चर्चा होना बड़ा स्वाभाविक है। गंगा और ब्रह्मपुत्र के पानी के संबंध में हम साथ चले हैं। पंछी, पवन और पानी - तीन को वीजा नहीं लगता है। इसलिए पानी यह राजनीतिक मुद्दा नहीं हो सकता है, पानी यह मानवता के आधार पर होता है, मानवीय मूल्यों के आधार पर होता है। उसको मानवीय मूल्यों के आधार पर समस्या का समाधान करने का आधार हम मिलकर के करेंगे मुझे विश्वास है रास्ते निकलेंगे। मोदी के इस बयान से ममता बनर्जी ने भी मौन स्वीकृति प्रकट की।
कभी-कभार सीमा पर कुछ घटनाएं ऐसी हो जाती हैं कि दोनों तरफ तनाव हो जाता है। किसी भी निर्दोष की मौत हर किसी के लिए पीड़ादायी होती है। गोली यहां से चली या वहां से चली, उसका महत्व नहीं है, मरने वाला गरीब होता है, इंसान होता है। और इसलिए हमारी सीमा पर ऐसी वारदात न हो, और उसके कारण हमारे बीच तनाव पैदा करना चाहने वाले तत्वों को ताकत न मिलें यह हम दोनों देशों की जिम्मेदारी है और हम निभाएंगे, निभाते रहेंगे। ऐसा मुझे विश्वास है।
मोदी की इस यात्रा में ..............इस बार कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए हैं ॥ह्वद्वड्डठ्ठ ञ्जह्म्ड्डद्घद्घद्बष्द्मद्बठ्ठद्द के संबंध में कठोरता से काम लेने के लिए दोनों देशों ने निर्णय लिया है। द्बद्यद्यद्गद्दड्डद्य द्वश1द्गद्वद्गठ्ठह्ल जो होता है, उसके कारण भारत में भी कई राज्यों में उसके कारण तनाव पैदा होता है। हमने दोनों ने मिलकर के इसकी चिंता व्यक्त की। स्नड्डद्मद्ग ष्टह्वह्म्ह्म्द्गठ्ठष्4 पर भी बांग्लादेश के प्रयास को मोदी ने सराहा।
मोदी ने आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश की और कहा कि ञ्जद्गह्म्ह्म्शह्म्द्बह्यद्व से कैसे निपटना है अभी तक दुनिया को समझ नहीं आ रहा है कि रास्ते क्या है? और हृ भी गाइड नहीं कर पा रहा है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री डंके की चोट पर कह रही है कि ह्लद्गह्म्ह्म्शह्म्द्बह्यद्व के संबंध में मेरा जीरो ह्लशद्यद्गह्म्ड्डठ्ठष्द्ग है। भारत तो पिछले 40 साल से इसके कारण परेशान है। ञ्जद्गह्म्ह्म्शह्म्द्बह्यद्व मानवता का दुश्मन है और इसलिए हम किसी भी पंथ साम्प्रदाय के क्यों न हो, किसी भी पूजा पद्धति को क्यों न मानते हो। हम पूजा-पद्धति में विश्वास करते हो या न करते हो। हम ईश्वर या अल्लाह में विश्वास करते हो या न करते हो, लेकिन मानवता के खिलाफ यह जो लड़ाई चली है मानवतावादी शक्तियों का एक होना बहुत आवश्यक है, जो भी मानवता में विश्वास करते हैं उन सभी देशों को एक होना बहुत अनिवार्य है।
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत को स्थायी सदस्यता देने में बाधक बनने वाले देशों की आलोचना करते हुए कहा कि दुनिया की 1/6 जनसंख्या को दुनिया की शांति के विषय में चर्चा करने का हक नहीं है।
प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान कई समझौते हुए। जमीन का आदान-प्रदान भी हुआ। ढाका-शिलांग-गुवाहाटी और अगरतला-ढाका-कोलकाता बस सेवा का शुभारंभ भी हुआ। जल बंटवारे को लेकर भी ममता के तेवर थोड़े नरम पड़े हैं। इससे उम्मीद बंधी है कि दोनों देशों के बीच बातचीत ज्यादा गहन, गंभीर और सार्थक स्तर तक पहुंचेगी।
-अजय धीर