05-Jun-2015 08:32 AM
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जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को पासपोर्ट तो चाहिए लेकिन पासपोर्ट के लिए आवेदन में कॉलम पूरे भरने की उनकी दिली इच्छा नहीं है। राष्ट्रीयता के कॉलम को गिलानी

ने खाली छोड़ दिया, इसलिए उनका पासपोर्ट नहीं बन पाया। गिलानी की बेटी बीमार है और उसे देखने जाना उनका हक है। लेकिन अपनी बेटी को देखने जाने के लिए भी गिलानी ने राजनीति खेलने में कोताही नहीं बरती। उन्होंने जानबूझकर ऐसा आवेदन लगाया जिस पर विवाद हो। गिलानी कश्मीर मुद्दे पर हल्ला करने का कोई मौका नहीं चूकते। उधर पाकिस्तान ने भी गिलानी को पासपोर्ट न दिए जाने पर भारत की आलोचना करके अपने मन का भार हल्का कर लिया।
सवाल यह है कि गिलानी को राष्ट्रीयता के कॉलम में भारतीय लिखने पर शर्म क्यों आती है? यदि वे इतने ही शर्मिंदा हैं, तो कश्मीर में क्यों रहते हैं? यदि कश्मीर में रहना ही उनकी मजबूरी है, तो पाकिस्तान द्वारा हथिया लिए गए कश्मीर में जाकर क्यों नहीं रहते? गिलानी पासपोर्ट भी चाहते हैं और अपनी राष्ट्रीयता भी नहीं बताना चाहते। पासपोर्ट के लिए राष्ट्रीयता बतानी होगी। बिना राष्ट्रीयता के कोई भी देश गिलानी के पासपोर्ट को स्वीकार ही नहीं करेगा। गिलानी चाहते तो उस आवेदन को तमीज से भरके चुपचाप सऊदी अरब जा सकते थे, कश्मीर की सरकार ने उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की। अधूरे आवेदन पर कार्रवाई की भी नहीं जा सकती थी।
गिलानी को पासपोर्ट दिए जाने के मुद्दे पर बीजेपी का कहना है कि उन्हें पहले यह स्वीकार करना चाहिए कि वे एक भारतीय हैं। बीजेपी प्रवक्ता खालिद जहांगीर ने कहा कि गिलानी को देश विरोधी गतिविधियों के लिए भी माफी मांगनी चाहिए। जहांगीर ने कहा है कि अगर वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें भारतीय पासपोर्ट दिया जाएगा। हालांकि बीजेपी नेताओं ने यह कहा है कि वे गिलानी को मानवीय आधार पर पासपोर्ट दिए जाने की बात का समर्थन करेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, सैयद अली शाह गिलानी अधूरा पासपोर्ट आवेदन उनकी ओर से मिला है। शुल्क अदा नहीं किए गए और बायोमैट्रिक ब्यौरे एवं फोटोग्राफ नहीं सौंपे गए हैं।Ó गिलानी के नजदीकी पासपोर्ट कार्यालय में उनका जरूरी बायोमैट्रिक विवरण देने के लिए जाने के बाद ही इस पर निर्णय होगा। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि गिलानी को पासपोर्ट के लिए आवेदन करने की खातिर राष्ट्रीयता वाले कॉलम में भारतीयÓ लिखना होगा। गिलानी और उनके परिवार के सदस्य जेद्दा की यात्रा करना चाहते हैं और उन्होंने पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया है। परंतु वह अपना बायोमीट्रिक ब्यौरा देने और फोटोग्राफ खिंचवाने के लिए श्रीनगर में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय नहीं गए है। नये नियमों के मुताबिक आवेदक को व्यक्तिगत रूप से पासपोर्ट कार्यालय जाना होता है जहां उसके शरीर की विशिष्ट पहचान जैसे उंगलियों की छाप, आंखों का रंग और किसी जन्मजात निशान आदि का ब्यौरा लिया जाता है और फोटो खींचा जाता है। सवाल ये है कि पाकिस्तान का झंडा फहराने वाला इंसान अब अपने पाकिस्तानी रहनुमाओं से पासपोर्ट क्यों नहीं लेता।
क्या उसे भारत का पासपोर्ट लेते हुए शर्म नहीं आ रही? कायदे से मोदी सरकार को उनसे पासपोर्ट देने के बदले में कहना चाहिए कि वे आगे से देश विरोधी हरकतों से बाज आएंगे। ये मौका है कि सरकार गिलानी को कस दे। गिलानी के पासपोर्ट के सवाल पर राज्य की गठबंधन सरकार में पीडीपी और भाजपा के नेताओं में अलग-अलग राय सामने आ रही है।
-रजनीकांत पारे