18-Jun-2015 08:49 AM
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जपा के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य व वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी के गंगा की सफाई पर उठाए गए सवालों को लेकर भाजपा में अंदरूनी खलबली मचनी शुरू हो गई है। यह पहला मौका है जब

मोदी सरकार के एक साल में पार्टी के भीतर से सरकार के किसी कार्यक्रम पर सवाल खड़े किए गए हों। हालांकि पार्टी इसे उनके निजी विचार भर करार दे रही है। वहीं, जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने दावा किया है कि दस साल में गंगा साफ हो जाएगी। गंगा सफाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना होने व उसके लिए सरकार की तरफ से किए जा रही भारी भरकम तैयारी पर सवाल उठाना भाजपा व सरकार के लिए असहज करने वाला है। इससे जहां विपक्ष को सरकार पर हावी होने का मौका मिलेगा, वहीं सरकार के अन्य कार्यक्रमों पर भी सवाल खड़े होने का रास्ता खुल गया है। दरअसल मोदी सरकार बनने के बाद से भाजपा के दोनों वरिष्ठ नेताओं व लालकृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी पार्टी में भी हाशिए पर हैं। दोनों को मार्गदर्शक मंडल का सदस्य तो बनाया गया, लेकिन इनसे कोई सलाह नहीं ली जा रही है।
डॉ. जोशी ने वाराणसी में कहा था कि गंगा में जहाज चलाने का हठ ठीक नहीं है। उन्होंने प्रस्तावित बांधों का भी विरोध करते हुए कहा था कि ये बांध गंगा की प्राण-वायु सुखा देंगे। इस दौरान उन्होंने गंगा निर्मलीकरण अभियान को भी अधूरा करार दिया था। एक तरफ जोशी मुखर हुए तो दूसरी तरफ उनके विरोधी भी सक्रिय हो गए। उनका कहना है कि जब टिहरी बांध बन रहा था और गंगा की अविरलता बांधी जा रही थी तो डॉ. जोशी मौन क्यों रहे। उलटे उन्होंने टिहरी बांध को मंजूरी भी दी। वाजपेयी सरकार के समय गंगा पर टिहरी बांध बनाए जाने के समय भूंकप आदि के मुद्दे पर एक समिति बनाई थी, जिसके प्रमुख डा जोशी थे। इस समिति की मंजूरी के बाद ही टिहरी बांध को हरी झंडी मिली थी। डॉ. जोशी के बयान के बाद पार्टी गंभीर हो गई है। सूत्रों के अनुसार, जल संसाधन मंत्री उमा भारती व नितिन गडकरी इस मामले पर जल्दी ही जोशी से बात कर उन्हें सरकार की मंशा व काम के बारे में स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं। सरकार व पार्टी की कोशिश है कि इस तरह के पार्टी या परिवार से सरकार के बारे में आने वाले असहज बयानों को रुकना चाहिए।
कौन बनेगा भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष?
यूपी के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का अगस्त में कार्यकाल पूरा हो रहा है। पार्टी को नए अध्यक्ष की तलाश है। अध्यक्ष पद के लिए वैसे तो कई नेता दावा ठोक रहे हैं मगर पार्टी के रणनीतिकार चाहते हैं कि अबकी संगठन की बागडोर पिछड़े या अनुसूचित जाति वर्ग के नेता को सौंपी जाय ताकि 2017 में होने वाले प्रदेश विधानसभा चुनाव में सामाजिक समीकरण साधने में सहूलियत हो। भाजपा एक तीर से दो निशाना साधना चाहती है। संगठन की कमान गैर ब्राह्मण को सौंपकर सीएम कैंडिडेट के चयन को आसान बनाना चाहती है। यानी तय है कि भगवा ब्रिगेड 2017 के चुनाव में किसी ब्राह्मण चेहरे को ही भावी सीएम के रूप में प्रोजेक्ट करेगी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक नए प्रदेश अध्यक्ष की होड़ में स्वतंत्र देव सिंह का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। संगठन में उनकी पकड़ अच्छी है। वे अनुसूचित जाति से आते हैं। अपनी जाति में भी उनकी अच्छी साख है। संगठन में लंबे समय तक काम करने का अनुभव भी उनकी दावेदारी को मजबूत करता है। सांसद केशव प्रसाद मौर्य व काशी क्षेत्र के अध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य भी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय चुनाव के कुशल प्रबंधन के बाद से संगठन में उनके प्रमोशन की चर्चा लगातार चल रही है। सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री प्रत्याशी के लिए एक दर्जन से अधिक नेताओं के नाम चल रहे हैं। हालांकि पार्टी का एक बड़ा वर्ग लखनऊ के महापौर दिनेश शर्मा की पैरवी कर रहा है। वहीं मोदी सरकार में पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय संभाल रहे डॉ. महेश शर्मा का नाम भी चर्चा में है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष डा. वाजपेयी भी बहुतों की पसंद हैं। इनके अलावा मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी, वरुण गांधी, योगी आदित्यनाथ समेत दर्जन भर से अधिक नेताओं का नाम चल रहा है। उधर पार्टी में संगठन मंत्री के बढ़ते प्रभाव से कई वरिष्ठ नेता खुद को असहज महसूस करने लगे हैं। सांगठनिक कामकाज में हस्तक्षेप बढऩे और बेवजह की दखलंदाजी से कई नेता नाराज हैं मगर सार्वजनिक मंचों पर अपनी नाराजगी जाहिर करने से बच रहे हैं। आरएसएस से भाजपा में आए लोग ही संगठन मंत्री बनाए गए हैं। ऐसे में संगठन मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलना एक तरह से संघ के खिलाफ मोर्चा खोलना होगा। यही सोचकर कई बार नेता चुप्पी साध जाते हैं।
राममंदिर पर कटियार आक्रामक
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की दिशा में पहल करने की सांसद विनय कटियार की मांग पर भाजपा के हिंदूवादी नेता बंट गए हैं। इस मामले में जहां हिंदुत्व के फायरब्रांड नेता महंत आदित्यनाथ कटियार के समर्थन में आ गए हैं वहीं सांसद साक्षी महाराज ने सरकार को फिलहाल विकास के एजेंडे पर ही आगे बढऩे की सलाह दी है। साक्षी ने कहा कि फिलहाल राम मंदिर निर्माण से ज्यादा अहम राष्ट्र निर्माण है। मंदिर निर्माण की दिशा में आगे बढऩे के लिए पार्टी और सरकार को फिलहाल बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हर हाल में जीत हासिल कर राज्यसभा में अपनी ताकत बढ़ानी चाहिए। हालांकि, आदित्यनाथ ने सरकार से इस दिशा में पहल की उम्मीद जताते हुए कहा कि बातचीत और न्यायालय के रास्ते मंदिर निर्माण में बहुत देरी होगी। मुद्दे के नए सिरे से उठने के बाद भाजपा ने भी मंदिर निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। पार्टी प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि पार्टी और सरकार की प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आई है।
1990 के दशक में मंदिर आंदोलन का अग्रणी चेहरा रहे कटियार ने कहा है कि मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किए बिना इस मसले को सुलझाने के लिए आगे बढऩा चाहिए। भाजपा के मंदिर निर्माण के वादे को पूरा करने के लिए सरकार को या तो कानून बनाकर या फिर बातचीत के जरिए मामले को सुलझाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम मंदिर ज्वलंत समस्या है और कोई भी सरकार इसे दरकिनार नहीं कर सकती, चाहे वह बहुमत में रहे या न रहे। अगर सरकार चाहे तो उसके लिए इस मसले को सुलझाना मुश्किल नहीं है। कटियार की मांग पर आदित्यनाथ ने कहा था कि आखिर इसमें गलत क्या है? मंदिर निर्माण के कई विकल्प तो हैं मगर न्यायालय के माध्यम से इसका हल निकलने में लंबा वक्त लगेगा। जबकि बातचीत के जरिए इसका हल निकलना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि मामला अदालत में विचाराधीन है, इसलिए इस मामले में संसद में बहस नहीं हो सकती, मगर संसद को कानून बनाने का अधिकार है। आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला दिया, मगर दूसरे पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। अगर सुप्रीम कोर्ट भी मंदिर के पक्ष में फैसला देता है तो दूसरा पक्ष बड़ी बेंच में अपील करेगा और मामला सालों खिंचता रहेगा। राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दे के प्रमुख पक्षकार हाशिम अंसारी इसे बयानबाजी से ज्यादा अहमियत नहीं देना चाहते। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जीलानी कहते हैं कि कटियार को जल्दी है तो सरकार से कहकर कोर्ट में जल्दी सुनवाई कराएं। मुस्लिम पक्ष के लोगों का यह भी मानना है कि कटियार कुछ भी कहें लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलहाल ऐसा कुछ नहीं करने वाले। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास ने जरूर कटियार का समर्थन किया है।
-लखनऊ से मधु आलोक निगम