निराश करती वेलकम टू कराची
18-Jun-2015 07:53 AM 1235031

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म वेलकम टू कराचीÓ दर्शकों को हंसाने की बजाय खिजाएगी। निर्माता वासु भगनानी अपने बेटे जैकी भगनानी के फिल्मी कैरियर को बनाने के लिए धड़ाधड़ फिल्में बनाते जा रहे

हैं लेकिन लगातार असफल होती फिल्में उनका नुकसान ही कर रही हैं। एक समय वासु की डेविड धवन और गोविंदा के साथ हिट तिकड़ी थी। इस तिकड़ी की नंबर-वनÓ श्रृंखला की कई फिल्में हिट रही थीं। वासु की इस फिल्म का निर्देशन आशीष आर मोहन ने किया है जो इससे पहले अक्षय कुमार को लेकर खिलाड़ी नंबर 786Ó बना चुके हैं। फिल्म देखकर आपको लगेगा कि शायद निर्देशक को पूरी आजादी नहीं थी क्योंकि कई जगह ऐसा लगता है कि यह सब आखिर हो क्या रहा है। फिल्म की कहानी दो दोस्तों शम्मी (अरशद वारसी) और केदार पटेल (जैकी भगनानी) के इर्दगिर्द घूमती है। यह दोनों गुजरात के रहने वाले हैं और एक बोट पर काम करते हैं।

 

इनका सपना अमेरिका जाने का है और इसके लिए यह दोनों तरह तरह की तिकड़में करते रहते हैं लेकिन हर बार उन्हें विफलता ही हाथ लगती है। एक दिन यह दोनों बोट से ही अमेरिका जाने का निर्णय करते हैं लेकिन बोट अमेरिका पहुंचने से पहले ही डूब जाती है। दोनों समुद्र के किनारे पहुंचते हैं तो पता चलता है कि वह कराची आ चुके हैं। यहां से काफी अजीबोगरीब घटनाएं शुरू होती हैं जोकि हंसाती भी हैं और खिझाती थी। कराची में यह दोनों एक गैंग के हत्थे चढ़ जाते हैं जहां पर अब इनका मिशन किसी भी तरह से वापस लौटने का है।

अभिनय के मामले में अरशद वारसी सब पर भारी रहे। फिर भी निर्देशक अरशद से जॉली एलएलबीÓ जैसा काम नहीं ले सके। जैकी के ऊपर गुजराती युवक का किरदार फिट रहा। आईएसआई जासूस के रोल में लॉरेन गाटलिब ठीकठाक रहीं। फिल्म में गानों को जबरन ठूंसा गया है। गीत संगीत भी कोई विशेष उल्लेखनीय नहीं है। पटकथा पर निर्देशक को और मेहनत की जरूरत थी। यदि कोई भी फिल्म देखनी ही है तो इसे एक बार देखा जा सकता है।

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