गलियारों से : सगे, सौतेले भाई का झगड़ा
05-Jun-2015 08:58 AM 1234774

राज्य सरकार अपने राज्य प्रशासनिक सेवा के 20 अधिकारियों को जल्द ही आईएएस बना देगी। भारत सरकार से 20 पदों की स्वीकृति हाल ही में मिलने के बाद इन पदों के लिए चयन प्रक्रिया चालू

हो चुकी है। वहीं पिछले पांच वर्षों से गैर राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस अधिकारियों की भर्ती नहीं हो पाई है। उसके लिए भी इस बार हर विभाग से पांच-पांच नाम मांगने की कवायद चालू हो गई है। 
मंत्रालय की कछुआ चाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में वीडियो कान्फ्रेसिंग के दौरान फीडबैक में आला अफसरों से पूछताछ की तो उन्हें पता चला कि उद्यानिकी विभाग से संंबंधित हितग्राहियों को बढ़ी हुुई मुआवजा राशि का भुगतान अभी तक नहीं हो सका है। राज्य सरकार संतरा, सफेद मूसली आदि उद्यानिकी जैसी फसलों पर अपनी मुआवजा राशि को बढ़ाने की घोषणा की थी। इतनी महत्वपूर्ण घोषणा 50 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी अमल में नहीं आ सकी। कछुआ चाल मंत्रालय के हाल के कारण यह योजना कागज में रह गई और भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक वरिष्ठ अफसर अरुण तिवारी को इसका हिसाब नहीं रखना महंगा पड़ गया। जबकि नोटशीट आने  के बाद राहत शाखा में भेजने से वह नोटशीट अटक गई। वहां से निकली तो वित्त विभाग ने उसको कई दिनों तक लटकाए रखा। सवाल यह पैदा होता है कि जब राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव तिवारी ने उस फाइल को खसका दिया और वित्त विभाग की गलती के कारण आदेश जारी नहीं हो पाए। जिसका खामियाजा मुख्यमंत्री को अपनी वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान भुगतना पड़ा। इसी के चलते मुख्य सचिव की तरफ इशारा करते हुए मुख्यमंत्री ने प्रमोटी अफसर को निपटा दिया। सीधा सा है कि आरआर को निपटाने के लिए सरकार को बड़ा कलेजा चाहिए जो उसके पास है नहीं। इस बात को लेकर आईएएस के फस्र्ट कजन प्रमोटी और आरआर में झगड़ा बढ़ता जा रहा है। अरुण तिवारी को हटाकर सरकार ने अभी भी कहीं पदस्थ नहीं किया है।
भारी आईएएस अफसर
मध्यप्रदेश शासन में कुछ आईएएस अधिकारी ज्यादा ही भार उठा रहे हैं। इन अधिकारियों पास न केवल एक से अधिक विभाग हैं बल्कि बहुत से अधिकारी तो ऐसे विभागों में भी तैनात हैं, जिन्हें दूसरे विभाग को रिपोर्टिंग करनी होगी। इस प्रकार रिपोर्ट देने वाला और रिपोर्टिंग लेने वाला अधिकारी एक ही है। जैसे विवेक अग्रवाल मुख्यमंत्री के सचिव होने के साथ-साथ संस्थागत वित्त, नगरीय प्रशासन के सचिव भी हैं। इस प्रकार जिस पोर्टफोलियो की रिपोर्टिंग उन्हें करनी है उसी पोर्टफोलियो को उन्हें देखना भी पड़ता है। वही हाल पंकज अग्रवाल का है, जो स्वास्थ्य आयुक्त होने के साथ-साथ गैस राहत संचालनालय के प्रमुख तथा आईईसी ब्यूरो प्रमुख भी हैं। नवनीत कोठारी स्वास्थ्य संचालक होने के साथ-साथ आयुष भी देख रहे हैं। मुख्यमंत्री की नाराजगी के शिकार अरुण तिवारी की जगह जिन साहब को अतिरिक्त चार्ज मिला है वह भी छुट्टी पर चले गए हैं। वहीं प्रमुख सचिव राजस्व विभाग के रंजन एक नहीं बल्कि तीन-तीन विभागों के प्रमुख बने हुए हैं। इन अधिकारियों को सर ऊंचा करने की फुर्सत नहीं है। पर सरकार ने उन्हें इतने विभागों से लाद रखा है जैसे प्रदेश में दूसरे अफसर हों ही ना। 1980 बैच के आईएएस अफसर प्रभुदयाल मीणा ने अपने प्रदेश में वापस आने की इच्छा जाहिर की है। वे अभी हाल ही में भोपाल आकर मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से सौजन्य भेंट कर चुके हैं। कयास यह लगाया जा रहा है कि अगर मीणा वापस आते हैं तो वो 1982 बैच के अफसर जो मुख्य सचिव बनने का इंतजार कर रहे हैं। उनके इरादों पर कहीं पानी तो नहीं फिर जाएगा। उन्होंने आकर मंंत्रालय के कुछ अफसरों की नींद हराम कर दी है।

 


कौन बनेगा चीफ इलेक्ट्रॉल ऑफिसर?
मध्यप्रदेश के चीफ इलेक्ट्रॉल ऑफिसर के लिए अटकलबाजी शुरू हो गई है। इसमें आईएएस अधिकारी सलीना सिंह, अरुण तिवारी, मुक्तेश वाष्णेय के नाम चल पड़े हैं। जबकि उक्त पद हमेशा से आरआर को मिला है और उसे कम्प्यूटर सेवी होना आवश्यक भी है। इस पद के लिए जिन नामों पर चर्चा चल रही है उनमें से  सलीना सिंह का जाना तय माना जा रहा है। बाकी दो नाम तो पैनल में फिलर के रूप में भेजे गए हैं।

-कुमार राजेंद्र

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